फीमेल वार्ड में 'बिल्ली बहन' का क्या काम?:मंत्री-सांसद ने मेले में बजाई 'चिड़िया सीटी'; कोटपूतली में 'ब्लेड वाली कचौरी'
नमस्कार चित्तौड़गढ़ के मेले में मंत्रियों और सांसद महोदय को 'स्वदेशी सीटी' खूब मजेदार लगी। पाली में सरकारी काम का पेमेंट न मिलने की शिकायत करते हुए ठेकेदार ने मंत्री महोदय को घेर लिया। अजमेर के नसीराबाद में सरकारी हॉस्पिटल में बेड पर बिल्ली मिली और कोटपूतली में कचौरी में ब्लेड। राजस्थान की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी की ऐसी ही खरी-खरी बातें पढ़िए, आज के इस एपिसोड में... 1. सांसद-मंत्रियों ने बजाई 'चिड़िया वाली सीटी' मेला हर उम्र, हर कद और हर पद के लोगों को आकर्षित करता है। मेले में विविध आइटम देख हर किसी का मन चलता है। मेला बच्चों को ललचाता है और बड़ों को बचपन की याद दिलाता है। चित्तौड़गढ़ में ऐसा ही मेला भरा था। मेले का नाम था- राष्ट्रीय स्वदेशी मेला। मेले के समापन पर बड़े-बड़े मंत्री, सांसद पहुंचे। मिट्टी की शिल्पकारी से सजी एक दुकान पर डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत पहुंचे। उनके पीछे शिक्षा मंत्री मदन दिलावर। उनके पीछे सांसद सीपी जोशी। मंत्री जोरारामजी ने आजमाइश के लिए मिट्टी की एक चिड़िया उठाई। शिल्पकार ने चिड़िया के पेट में पानी भरा। कहा-बजाइये सर। सर ने फूंक मारी और जोरदार सीटी बजी। सर खुश हुए। सर की देखा-देखी शिक्षा मंत्रीजी ने दूसरी चिड़िया आजमाई। फिर से बढ़िया सीटी बजी। दोनों मंत्रियों को सीटी बजाते देख सांसद महोदय का भी मन चल गया। उन्होंने तीसरी चिड़िया उठाई और फूंक मारी। नतीजा वही- सीटी की सुंदर ध्वनि निकली। स्वदेशी मेले में सांसद-मंत्रियों का देसी अंदाज देख वहां हर चेहरे पर मुस्कान तैर गई। 2. पाली में ठेकेदार ने मंत्रीजी को सुनाया दर्द एक पुरानी फिल्म का गीत है- दर्द तो रुकने का अब नाम नहीं लेता है, सब्र से दिल भी मेरा काम नहीं लेता है..। जिसे दर्द होता है, उसे सब्र कैसे हो? पाली के ठेकेदार का वीडियो महीने भर से सोशल मीडिया पर घूम रहा है। उसने दो साल सब्र किया। फिर दर्द लेकर मंत्री झाबर सिंह खर्रा के सामने पहुंच गया। ठेकेदार के हाथ में कुछ कागज थे, जिन्हें वह ज्ञापन कह रहा था। ठेकेदार के अनुसार उसने सरकारी काम किया था जिसके पेमेंट के लिए वह चक्कर काट रहा था। मंत्रीजी कार के पास खड़े थे। अधिकारी थे। पुलिसवाले थे। ठेकेदार बोला- साब मैं लेबर को क्या दूं? पेट्रोल पंप वालों को क्या दूं? सब मेरे कपड़े फाड़ रहे हैं। मैं सुसाइड कर लूंगा। मंत्रीजी ने उसका ज्ञापन लिया। गौर करने लगे। कंधे पर हाथ रखकर दिलासा दी। वह बोला- न पेमेंट हो रहा है न कुछ हो रहा है। कलेक्टर साब से कई बार मिल चुका। कई बार ज्ञापन दे चुका। पुलिसवाले ठेकेदार को पीछे खींचने लगे। लेकिन वह बात पूरी करने पर आमादा था। उसने कहा- अरे, बात तो करने दो। मेरी मरने की कंडीशन आ गई है। दो साल से घूम रहा हूं। पुलिस वाले ठेकेदार को फिर पीछे खींचने लगे। वह बोला- अरे, पीछे क्यों धकेल रहे हो? बात तो पूरी होने दो। क्या आज ही मर जाऊं? साब, मुझे मरने पर मजबूर कर दिया। मेरी सुनवाई नहीं हो रही। मेरे 20 लाख रुपए काट दिए। दरअसल ठेकेदार ने बारिश के बाद शहर में भरे पानी को मड पंप लगाकर निकाला था। उसी का बकाया होने की बात कह रहा था। बोले- साब मैंने मुसीबत में प्रशासन का साथ दिया। अब मैं मुसीबत में हूं। इसके बाद पुलिसवाले ठेकेदार को खींचकर मंत्रीजी से दूर ले गए। 3. बिल्ली बहन, आपको भी बोतल चढ़ेगी क्या? जाने क्या दिख जाए- यह टैग लाइन राजस्थान के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश की खूबसूरती दिखाने के लिए था। लेकिन सरकारी विभागों के हालात ऐसे हैं कि यह लाइन पर्यटन के अलावा विविध विभाग भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे कि स्वास्थ्य विभाग। बात अजमेर की है। अजमेर का कस्बा है नसीराबाद। नसीराबाद में सरकारी अस्पताल है। अस्पताल में फीमेल वार्ड है। फीमेल वार्ड का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से घूम रहा है। जिस युवक ने वीडियो बनाया वह पहले कमरे के बाहर लिखा 'फीमेल वार्ड' दिखाता है। मानक हिंदी के ज्ञान की कमी के कारण फीमेल को 'फिमेल' लिखा गया है। लेकिन यह मामूली खामी है। वीडियो बनाने वाला वार्ड में जाता है। जहां बेड की चादरें अस्त-व्यस्त हैं। सबसे आखिर के बेड पर एक बिल्ली दुबक कर तकिए पर बैठी है। वीडियो बनाने वाला कहता है- बिल्ली बहन तुम्हें भी बोतल चढ़ेगी क्या? वीडियो में सरकारी सिस्टम की खिल्ली उड़ाई गई है जिस पर आपको हंसी आ सकती है। लेकिन जिम्मेदारों को यह वीडियो 'सीरियसली' लेने की जरूरत है। 4. चलते-चलते.. जाने क्या दिख जाए- टैग को खाद्य और रसद विभाग भी इस्तेमाल कर सकता है। प्रदेश की अन्नपूर्णा रसोइयों में भोजन के नाम पर न जाने क्या मिल रहा है। पानी में घुले पीले रंग को सब्जी बताकर खिलाया जा रहा है। तेल में भांति-भांति के केमिकल मिलाकर घी तैयार किया जा रहा है। कपड़े धोने के सामान से दूध तैयार किया जा रहा है। शुद्ध आहार के लिए भी 'वार' करना पड़ रहा है। लेकिन बात मिलावट के अपराध की नहीं, लापरवाही की है। कोटपूतली के भीड़भाड़ वाले इलाके पर मिठाई की मशहूर दुकान है। दुकान पर मशहूर कचोरी बनाई जाती है। यहां युवक अपने साथियों के साथ सर्दी में कचौरी से मुंह तीखा करने गया। कचौरियां टेबल पर आ गईं। युवक कचौरी खाने लगा। कचौरी में तीखापन ऐसा कि युवक के होठ कट गए। पहले तो उसने सोचा कि यह कोई ठोस मसाला है। लेकिन ध्यान से देखा तो कचौरी में से टूटी हुई ब्लेड निकली। इस घोर लापरवाही की शिकायत उसने कचौरी वाले से की तो वह तमक गया। गलती मानने के बजाय कहने लगा कि जो करना है कर लेना। ब्लेड साबुत और नई नहीं थी, वरना युवक दाढ़ी बना लेता। इससे अधिक क्या कर सकता है? रसद विभाग में शिकायत कर देगा, इससे ज्यादा क्या? वीडियो देखने के लिए सबसे ऊपर फोटो पर क्लिक करें। अब कल मुलाकात होगी...



