कथा के चौथे दिन कृष्ण लीलाओं का वर्णन
बीकानेर| दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से 27 दिसंबर से 2 जनवरी तक, दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक माखनभोग, उत्सव कुंज, पूगल रोड में श्री कृष्ण कथा आयोजन किया गया है। कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास पर विराजमान साध्वी जयंती भारती ने श्री कृष्ण कृष्ण की बचपन की प्रसिद्ध शरारतों में से एक है, जिसमें वे बाल-सखाओं के साथ गोपियों के घरों से माखन चुराते थे और खाते थे, जो नटखटपन और प्रेम का प्रतीक है। माखन इंसान के हृदय में छिपे प्रेम, भक्ति और अहंकार का प्रतीक है, जिसे कृष्ण चुराते थे। यह लीला भक्तों के कठोर हृदयों को पिघलाकर भक्ति जगाने और उन्हें परमात्मा से जोड़ने का एक तरीका थी। साध्वी ने पर्यावरण संरक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि वर्तमान शहरीकरण के चलते आज मनुष्य प्रकृति के साथ बहुत कम समय बिताता है। जिसके फलस्वरूप प्राकृतिक वातावरण का निरंतर ह्रास हो रहा है। कथा में आए मुख्य अतिथि विश्राम मीना संभागीय आयुक्त, अजय पुरोहित, अध्यक्ष बार एसोसिएशन, रमजान मुगल, रजनी कालड़ा, बुधराज शर्मा, राकेश पारीक शामिल हुए।
बीकानेर| दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से 27 दिसंबर से 2 जनवरी तक, दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक माखनभोग, उत्सव कुंज, पूगल रोड में श्री कृष्ण कथा आयोजन किया गया है। कथा के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास पर विराजमान साध्वी जयंती भारती ने श्री कृष्ण कृष्ण की
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माखन इंसान के हृदय में छिपे प्रेम, भक्ति और अहंकार का प्रतीक है, जिसे कृष्ण चुराते थे। यह लीला भक्तों के कठोर हृदयों को पिघलाकर भक्ति जगाने और उन्हें परमात्मा से जोड़ने का एक तरीका थी। साध्वी ने पर्यावरण संरक्षण के बारे में बताते हुए कहा कि वर्तमान शहरीकरण के चलते आज मनुष्य प्रकृति के साथ बहुत कम समय बिताता है।
जिसके फलस्वरूप प्राकृतिक वातावरण का निरंतर ह्रास हो रहा है। कथा में आए मुख्य अतिथि विश्राम मीना संभागीय आयुक्त, अजय पुरोहित, अध्यक्ष बार एसोसिएशन, रमजान मुगल, रजनी कालड़ा, बुधराज शर्मा, राकेश पारीक शामिल हुए।