'जल-जंगल-जमीन को कॉर्पोरेट के हवाले कर रही सरकार':अरावली बचाने को लेकर भाकपा का आंदोलन, बोले- ऊंचाई वाले नियम बदले सरकार
SOURCE:Dainik Bhaskar Tech
'पर्यावरण बचाओ, भारत बचाओ' दिवस के अवसर पर रविवार को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्स वादी-लेनिनवादी) ने अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर बुहाना तहसील कार्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने अरावली के साथ-साथ हिमालय, ग्रेट निकोबार और हसदेव के जंगलों को बचाने की मांग करते हुए केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने केंद्र सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े किए। पार्टी नेताओं ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की कमेटी की सिफारिशों के कारण अरावली के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। वक्ताओं ने चिंता व्यक्त की कि नवंबर में आए एक निर्णय के अनुसार, 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले हिस्सों को पहाड़ नहीं मानने की वजह से लगभग 90 प्रतिशत अरावली संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएगी। कॉर्पोरेट लूट का लगाया आरोप जिला सचिव रामचंद्र कुलहरि ने कहा कि सरकार अपने 'कॉर्पोरेट मित्रों' को फायदा पहुंचाने के लिए देश की प्राकृतिक संपदा को दांव पर लगा रही है। चारधाम सड़क और विद्युत परियोजनाओं के नाम पर सुरंगें बनाकर हिमालय को खोखला किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में लाखों पेड़ों की कटाई कर जमीन गौतम अडाणी को सौंपी जा रही है। 130 किलोमीटर के घने जंगलों को नष्ट करने की योजना बनाई जा रही है। ऊंचाई संबंधी निर्णय को बदलवाएं भाकपा (माले) ने मांग की है कि केंद्र सरकार तुरंत सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करे और 100 मीटर की ऊंचाई संबंधी निर्णय को बदलवाएं। नेताओं ने कहा कि यदि अरावली के पहाड़ों को खनन माफियाओं से बचाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो राजस्थान की जनता सड़कों पर उतरकर बड़ा जन-आंदोलन करेगी। ये रहे प्रदर्शन में शामिल इस विरोध प्रदर्शन में जिला सचिव कामरेड रामचंद्र कुलहरि, पूर्व सचिव (बुहाना-खेतड़ी) हरी सिंह वेदी, मनफूल सिंह (सचिव, सिंघाना-खेतड़ी), अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश झारोड़ा, विधाधर सिंह गर्सा, जसवीर सिंह नेहरा, कमलकांत, रामचंद्र नेहरा, शौकीन, श्रीवास कुलहरि, महावीर सिंह सुलताना अहिरान्, जीतराम जोधपुर और सत्यवीर सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।
'पर्यावरण बचाओ, भारत बचाओ' दिवस के अवसर पर रविवार को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर बुहाना तहसील कार्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने अरावली के साथ-साथ हिमालय, ग्रेट निकोबार और हसदेव के जंगलों को बचाने की मांग करते हुए केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने केंद्र सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े किए। पार्टी नेताओं ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय की कमेटी की सिफारिशों के कारण अरावली के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। वक्ताओं ने चिंता व्यक्त की कि नवंबर में आए एक निर्णय के अनुसार, 100 मीटर से कम ऊंचाई वाले हिस्सों को पहाड़ नहीं मानने की वजह से लगभग 90 प्रतिशत अरावली संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएगी। कॉर्पोरेट लूट का लगाया आरोप जिला सचिव रामचंद्र कुलहरि ने कहा कि सरकार अपने 'कॉर्पोरेट मित्रों' को फायदा पहुँचाने के लिए देश की प्राकृतिक संपदा को दांव पर लगा रही है। चारधाम सड़क और विद्युत परियोजनाओं के नाम पर सुरंगें बनाकर हिमालय को खोखला किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में लाखों पेड़ों की कटाई कर जमीन गौतम अडानी को सौंपी जा रही है। 130 किलोमीटर के घने जंगलों को नष्ट करने की योजना बनाई जा रही है। प्रमुख मांगें भाकपा (माले) ने मांग की है कि केंद्र सरकार तुरंत सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करे और 100 मीटर की ऊंचाई संबंधी निर्णय को बदलवाए। नेताओं ने कहा कि यदि अरावली के पहाड़ों को खनन माफियाओं से बचाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो राजस्थान की जनता सड़कों पर उतरकर बड़ा जन-आंदोलन करेगी। ये रहे प्रदर्शन में शामिल इस विरोध प्रदर्शन में जिला सचिव कामरेड रामचंद्र कुलहरि, पूर्व सचिव (बुहाना-खेतड़ी) हरी सिंह वेदी, मनफूल सिंह (सचिव, सिंघाना-खेतड़ी), अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश झारोड़ा, विधाधर सिंह गर्सा, जसवीर सिंह नेहरा, कमलकांत, रामचंद्र नेहरा, शौकीन, श्रीवास कुलहरि, महावीर सिंह सुलताना अहिरान्, जीतराम जोधपुर और सत्यवीर सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।