लाफ्टर के नाम पर फूहड़ता परोसी जा रही:कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव के भाई दीपू श्रीवास्तव ने कहा-पहले लाफ्टर बाकी सब आफ्टर
किसी को हंसाना इबादत है और किसी को रुलाना मेरी आदत नहीं है। यह बात कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव के छोटे भाई एवं हास्य कवि दीपू श्रीवास्तव ने कही। वे शनिवार को कोटा में कायस्थ महाकुंभ में भाग लेने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि जीवन में पहचान बनाने के लिए 70 प्रतिशत मेहनत और 30 प्रतिशत किस्मत की भूमिका होती है। निरंतर साधना, स्पष्ट सोच और सशक्त प्रस्तुति के बिना कोई भी कलाकार लंबी दौड़ तय नहीं कर सकता। कॉमेडी के नाम पर फूहड़ता और अश्लीलता परोसी जा रही दीपू श्रीवास्तव ने नए और उभरते हास्य कलाकारों को सलाह देते हुए कहा कि कंटेंट का स्पष्ट और मजबूत होना सबसे जरूरी है। आपका बैकग्राउंड क्या है या आप किससे जुड़े हैं, यह उतना महत्वपूर्ण नहीं जितने आपके विचार और आपकी रचना। उन्होंने हंसी के नाम पर परोसी जा रही फूहड़ता और अश्लीलता पर तीखा व्यंग्य करते हुए कहा कि ऐसा हास्य कुछ घंटों या कुछ दिनों तक ही चलता है। अगर कलाकार को समाज में स्थायी पहचान बनानी है तो कंटेंट में गहराई और दम होना जरूरी है। दीपू श्रीवास्तव ने कहा कि वे कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव के परिवार से हैं, इसलिए इस बात को लेकर वे हमेशा गंभीर रहते हैं कि जनता के बीच हास्य के नाम पर क्या परोसा जाए। दीपू श्रीवास्तव 13 देशों में दे चुके प्रस्तुति,2000 से ज्यादा लाइव शो हमारा प्रयास रहता है कि हमारा कंटेंट ऐसा हो जिसे बच्चा, बूढ़ा, जवान और महिलाएं सभी समान रूप से आनंद के साथ देख और सुन सकें। उन्होंने बताया कि वे अब तक 2000 से ज्यादा लाइव शो कर चुके हैं और 13 देशों में अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। लाफ्टर चैलेंज और कॉमेडी सर्कस जैसे प्रतिष्ठित मंचों पर उनकी प्रस्तुति को खूब सराहना मिली। साल 2005 में लाफ्टर चैनल के टॉप-10 कलाकारों में उन्होंने अपनी जगह बनाई। हास्य विधा के विकास पर चर्चा करते हुए दीपू श्रीवास्तव ने कहा कि पहले संगीत कार्यक्रमों के भीतर 10 मिनट का हास्य कार्यक्रम हुआ करता था, लेकिन आज समय बदल गया है। अब लाफ्टर शो मुख्य मंच बन चुके हैं और उनके बीच संगीत कुछ मिनटों के ब्रेक के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो हास्य की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है। यूट्यूब और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ऑडियंस सीमित यूट्यूब और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्टैंडअप कॉमेडी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि वहां की ऑडियंस सीमित और व्यक्ति विशेष तक केंद्रित होती है, जबकि वे जिस में काम कर रहे हैं, उसमें 10 वर्ष से लेकर 70 वर्ष तक की आयु के दर्शक शामिल होते हैं। यही वजह है कि उनकी हास्य प्रस्तुति समाज के व्यापक वर्ग से सीधा संवाद करती है। वहीं कोटा शहर के विकास को लेकर उन्होंने कहा कि कोटा में अब बहुत बदलाव आया है। कोटा लंदन से कम नही दिखता है।



