उदयपुर में अतिक्रमण के खिलाफ चला बुलडोजर:फलासिया ग्राम पंचायत ने चलाया अभियान; गांव में पहली बार ऐसी कार्रवाई
उदयपुर जिले के फलासिया कस्बे में ग्राम पंचायत इन दिनों अतिक्रमण हटाने की सख्त मुहिम में जुटी है। राज्य सरकार के “रास्ता खोलो” अभियान के तहत पिछले करीब 15 दिनों से लगातार कार्रवाई चल रही है। पंचायत प्रशासन का कहना है कि कस्बे की हर गली और मुख्य सड़कों के किनारे किए गए अतिक्रमण को हटाकर यातायात व्यवस्था सुधारी जा रही है। ग्रामीणों का दावा है कि गांव के इतिहास में पहली बार इस तरह की कार्रवाई देखने को मिल रही है। सड़क किनारे किए गए स्थायी-अस्थायी निर्माण को चिह्नित कर हटवाया निवर्तमान उपसरपंच रमेश पटेल के नेतृत्व में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रहा है। पटेल के मुताबिक, ग्राम पंचायत ने पहले स्थिति का सर्वे कराया, फिर ग्राम सेवक दीपेश जैन के मार्गदर्शन में व्यवस्थित तरीके से कार्रवाई शुरू की गई। कई स्थानों पर दुकानों और मकानों के आगे बढ़ाए गए हिस्से, कब्जा कर बनाए गए पक्के और कच्चे चबूतरे, ढांचे, सड़क किनारे किए गए स्थायी और अस्थायी निर्माण को चिह्नित कर हटवाया। समझाइश के दौरान बनी सहमति के बाद हटाया अतिक्रमण पंचायत प्रशासन का कहना है कि पहले समझाइश की गई, बातचीत हुई और फिर सहमति से अतिक्रमण हटाया गया, ताकि किसी तरह का विवाद न हो। इस अभियान का असर साफ दिखाई देने लगा है। जहां सड़कें पहले संकरी हो चुकी थी, वहां अब चौड़ाई वापस मिल गई है। गली-मोहल्लों में पैदल चलने वालों से लेकर दोपहिया और चौपहिया वाहनों की आवाजाही आसान हो गई है। लंबे समय से कर रहे थे अतिक्रमण की शिकायत ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से लोग कब्जे को लेकर शिकायतें कर रहे थे, लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाती थी। इस बार सुनियोजित तरीके से काम हुआ, इसलिए लोगों ने भी सहयोग किया। उपसरपंच रमेश पटेल ने साफ संकेत दिया है कि यह सिर्फ कार्रवाई नहीं, बल्कि व्यवस्था सुधारने की स्थायी पहल है। बिना निर्माण स्वीकृति के भविष्य में किसी भी तरह का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा। तीन महीने पहले ग्रामीणों को नोटिस देकर दी गई थी चेतावनी 3 महीने पहले ही ग्रामीणों को नोटिस देकर स्पष्ट चेतावनी दे दी गई थी। इसी कारण अधिकांश लोगों ने स्वेच्छा से कब्जे हटाए। ग्रामीणों का मानना है कि यदि इसी तरह अनुशासन कायम रहा तो कस्बे की सड़कें, यातायात और सार्वजनिक सुविधाएं पहले की तुलना में काफी बेहतर हो जाएंगी। इनपुट - दुष्यंत पुर्बिया, झाड़ोल।