पाकिस्तान के राष्ट्रपति बोले- 'भारत के साथ जंग शुरू होते ही बंकर में जाने की मिली थी सलाह'
अप्रैल महीने में पहलगाम हमले में 26 लोगों के मारे जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफ़ी बढ़ गया था, जिसके बाद मई में यह तनाव सैन्य संघर्ष तक पहुँच गया था.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति बोले- 'भारत के साथ जंग शुरू होते ही बंकर में जाने की मिली थी सलाह'

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इमेज कैप्शन, पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी (फ़ाइल फ़ोटो)
3 घंटे पहले
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी ने कहा है कि मई महीने में जिस वक़्त भारत के साथ सैन्य संघर्ष शुरू हुआ था, उस वक़्त उन्हें बंकर में जाने की सलाह दी गई थी.
हालांकि ज़रदारी ने कहा कि उन्होंने इस विकल्प को नहीं चुना और अपने सहयोगी से कहा कि 'लीडर मैदान में मरते हैं, बंकर में नहीं.' उन्होंने एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें बताईं.
अप्रैल महीने में हुए पहलगाम हमले के बाद छह और सात मई की दरमियानी रात को भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में सैन्य कार्रवाई की थी, जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया था.
भारतीय सेना ने दावा किया था कि इस दौरान उन्होंने नौ ठिकानों पर 'आतंकवादियों के कैंपों' पर हमले किए.
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वहीं पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उसकी जवाबी कार्रवाई 'ऑपरेशन बुनियान-उन-मरसूस' में उनकी तरफ़ से भारत के 26 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया था.
ज़रदारी क्या बोले?

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इमेज कैप्शन, मई महीने में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष शुरू हो गया था (फ़ाइल फ़ोटो)
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी सिंध प्रांत के लरकाना शहर में अपनी पत्नी और पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की 18वीं पुण्यतिथि के मौक़े पर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे.
ज़रदारी ने कहा, "मेरा सहयोगी इधर ही है. उसने मुझे आकर कहा कि सर वो जंग शुरू हो गई है. वैसे तो मैंने उसे चार दिन पहले बोला था कि जंग होने वाली है. लेकिन उसने मुझे कहा कि सर बंकर में चलें."
"मैंने उसे कहा कि शहादत आनी है तो इधर ही आएगी, बंकरों में नहीं मरते लीडर, मैदान में मरते हैं, बंकरों में बैठकर नहीं मरते. कभी भी दोबारा ज़रूरत पड़ी, पाकिस्तान की धरती को ज़रूरत पड़ी तो हम अपनी जान-माल सब दांव पर लगाने को तैयार हैं."
उन्होंने कहा, "बीबी साहिबा (बेनज़ीर भुट्टो) कहा करती थीं, मैं अकेली ही काफ़ी हूं. तो हम सब पीपल्स पार्टी अकेले ही काफ़ी हैं."
"किसी का दिल नहीं करता कि वो अपने बच्चों को हमारे यहां जिस तरह की जंग हैं उनमें धकेले. लेकिन हम लड़ेंगे, हमारी आने वाली नस्लें भी लड़ेंगी. हमें कोई डर नहीं लगता, हम लड़ेंगे. हम जंग के शौकीन नहीं हैं."
इस दौरान ज़रदारी ने दावा किया, "हम किसी मुल्क से नहीं लड़ना चाहते. लेकिन कोई भी हमारे गिरेबान में हाथ डालेगा, तो हम उसे धोबी पछाड़ देंगे."
'हो सकता है हमें जंग लड़नी पड़े'

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इमेज कैप्शन, पहलगाम में हुए हमले का कश्मीर में भी विरोध हुआ था (फ़ाइल फ़ोटो)
ज़रदारी ने कहा कि जो पाकिस्तान की तरफ़ ग़लत नज़रों से देखेगा, उसे चने चबवा देंगे.
उन्होंने कहा, "पाकिस्तान की आर्मी उसको चने चबवा देगी, पाकिस्तान की नेवी उसको चने चबवा देगी, पाकिस्तान की एयरफोर्स चने चबवा देगी. हमने इस बात के इंतज़ाम पहले ही कर रखे हैं."
"हम इस बात की तैयारी करके बैठे हैं कि हो सकता है कि हमें लड़ना पड़ जाए. इतनी समझ हम में है कि हम पाकिस्तान की हिफ़ाज़त कर सकते हैं. अगर हमारे अंदर इतनी समझ नहीं होती तो दुश्मन हमें मैली आंखों से देखता."
ज़रदारी ने कहा, "जब वो हमला करने आए तो हम पहले ही आसमान में उनका इंतज़ार कर रहे थे. उन्हें तब मालूम चला जब उनके सामने पाकिस्तानी एयरफोर्स नज़र आई. उन्हें तब पता चला जब कमांड दे दी गई थी कि शूट दैम नाउ."
हालांकि ख़बर लिखे जाने तक भारत की ओर से आसिफ़ अली ज़रदारी के इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
अप्रैल-मई में क्या हुआ था?

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इमेज कैप्शन, अप्रैल महीने में कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी (फ़ाइल फ़ोटो)
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले के बाद मई में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव इतना बढ़ा कि ये सैन्य संघर्ष में बदल गया.
दोनों देशों के बीच संघर्ष चार दिन तक चला था. संघर्ष विराम के बाद भारत की तीनों सेनाओं ने 11 मई को प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी.
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में भारतीय सेना के डीजीएमओ लेफ़्टिनेंट जनरल राजीव घई ने पहलगाम हमले का ज़िक्र करते हुए कहा था कि "ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने वालों, इसकी योजना बनाने वालों को सज़ा देना और उनके आतंकवादी बुनियादी ढांचे को नष्ट करना था."
इसी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एयर मार्शल एके भारती ने बताया था कि "सीमापार 9 आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने के बाद सात मई की शाम को भारत की पश्चिमी सीमा से सटे कई इलाक़ों में बड़ी संख्या में पाकिस्तान के मानवरहित यंत्र और छोटे ड्रोन देखे गए."
एयर मार्शल एके भारती ने कहा, "ये रिहायशी इलाक़ों, सैन्य ठिकानों के ऊपर देखे गए. सेना ने उन्हें सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट कर लिया."
उन्होंने बताया था कि इनमें से कुछ हमले में कामयाब रहे लेकिन इससे ज़्यादा नुक़सान नहीं हुआ.
एयर मार्शल एके भारती ने कहा, "यहां दोनों में अंतर यह है कि हमने उनके आतंकवादियों को निशाना बनाया, जबकि उन्होंने हमारे आम लोगों और सैन्य ढांचे को निशाना बनाया."
वहीं पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता अहमद शरीफ़ चौधरी ने कहा था, "भारत के जिन 26 सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया, उनमें वायु सेना और विमानन अड्डे भी शामिल थे. ये अड्डे सूरतगढ़, सिरसा, आदमपुर, भुज, नालिया, बठिंडा, बरनाला, हरवाड़ा, अवंतिपुरा, श्रीनगर, जम्मू, अंबाला, उधमपुर और पठानपुर में थे."
उन्होंने कहा था, "पाकिस्तान के ड्रोन कश्मीर से लेकर राजधानी दिल्ली और गुजरात के लिए उड़ान भरते रहे. पाकिस्तानी फ़ौज ने भरपूर साइबर हमले भी किए. पाकिस्तान ने सभी हमलों को बड़ी कुशलता से अंजाम दिया, ताकि शहरी आबादी को निशाना न बनाया जाए."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.