जोधपुर और भगत की कोठी स्टेशन पर खुलेंगे प्रीमियम-ब्रांड स्टोर:राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फूड चेन और रिटेल आउटलेट्स के लिए ई-ऑक्शन से होगी बिडिंग
जोधपुर और भगत की कोठी रेलवे स्टेशनों पर यात्री अब एयरपोर्ट जैसी प्रीमियम सुविधा का अनुभव कर सकेंगे। रेलवे बोर्ड के नए दिशा-निर्देशों के तहत यहां जल्द ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रीमियम ब्रांड कैटरिंग आउटलेट्स के साथ प्रतिष्ठित रिटेल स्टोर्स खोले जाएंगे। इसका लक्ष्य यात्रियों को बेहतर क्वालिटी, हाईजीन और भरोसेमंद खान-पान के साथ व्यवस्थित शॉपिंग विकल्प उपलब्ध कराना है। सीधे ब्रांड को अलॉटमेंट, सबलेट करना पूरी तरह प्रतिबंधित उत्तर पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल के सीनियर डीसीएम हितेश यादव ने बताया कि प्रीमियम ब्रांड स्टोर सीधे संबंधित कंपनी/ब्रांड को ही अलॉट किए जाएंगे। इन्हें किसी थर्ड पार्टी को सबलेट करने की अनुमति नहीं होगी। रेलवे की नई व्यवस्था के तहत बड़े और प्रतिष्ठित नेशनल–इंटरनेशनल ब्रांड्स को सीधे स्टेशन परिसर में अपना आउटलेट स्थापित करने की मंजूरी दी जा रही है, ताकि यात्रियों तक ऑथेंटिक और स्टैंडर्ड प्रोडक्ट्स पहुंच सकें। यादव के अनुसार, इस पहल से यात्रियों को उच्च गुणवत्ता वाले फूड प्रोडक्ट्स, बेहतर स्वच्छता मानकों और विश्वसनीय सर्विस का लाभ मिलेगा। इससे स्टेशनों की समग्र छवि, सेवा स्तर और यात्री संतुष्टि में भी बड़ा सुधार आने की उम्मीद है। अन्य स्टेशनों के लिए भी मौका, मंडल कार्यालय से करें संपर्क फिलहाल प्रीमियम ब्रांड कैटरिंग स्टोर और अन्य ब्रांड स्टोर के लिए जोधपुर और भगत की कोठी स्टेशनों को प्राथमिक रूप से प्रस्तावित किया गया है। हालांकि जोधपुर मंडल के अन्य स्टेशनों पर भी इच्छुक पक्ष/ब्रांड अपने आउटलेट खोलने के लिए आवेदन कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें मंडल रेलवे कार्यालय से संपर्क कर प्रक्रिया पूरी करनी होगी। कैटरिंग पॉलिसी में बड़ा बदलाव, चौथी कैटेगरी बनी ‘प्रीमियम ब्रांड आउटलेट’ रेलवे की कैटरिंग पॉलिसी–2017 में संशोधन करते हुए “प्रीमियम ब्रांड कैटरिंग आउटलेट्स” को कैटरिंग स्टॉल की चौथी श्रेणी के रूप में शामिल किया गया है। यानी सामान्य स्टॉलों से अलग, इन आउटलेट्स के लिए अलग कैटेगरी और मानक तय किए गए हैं। इन प्रीमियम आउटलेट्स का अलॉटमेंट किसी नामांकन या सिफारिश के आधार पर नहीं होगा, बल्कि पूरी तरह पारदर्शी ई-ऑक्शन प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा। लाइसेंस अवधि भी अन्य कैटरिंग स्टॉलों की तरह 5 वर्ष की होगी। न्यूनतम लाइसेंस शुल्क का निर्धारण रेलवे की मौजूदा कैटरिंग पॉलिसी के नियमों के अनुसार किया जाएगा। यात्रियों को क्या मिलेगा फायदा
