राजस्थान हॉस्पिटल; बिना नक्शे पास किए निर्माण, अब सीएम, जेडीए व पुलिस को शिकायत, जांच शुरू
विधि निदेशक ने सीबीआई जांच तक की सिफारिश की जयपुर | शहर के एक निजी अस्पताल द्वारा कथित रूप से अवैध जमीन पर निर्माण किए जाने को लेकर जेडीए, पुलिस और मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत के बाद संबंधित विभागों ने मामले की जांच शुरू कर दी है। शिकायत में आरोप है कि जिस भूमि पर निर्माण किया गया, उस पर न्यायालय का स्टे है और नियमों के विपरीत निर्माण कार्य कराया गया। इसके बावजूद निर्माण की अनुमति और प्रक्रियाएं आगे बढ़ाई गईं। मामले के अनुसार, राजस्थान हॉस्पिटल लिमिटेड के भवन के नक्शे वर्ष 2007 में जेडीए द्वारा निरस्त कर दिए गए थे। इसके अलावा जुलाई 2023 से उक्त भूमि पर जेडीए का स्टे भी प्रभावी है। इसके बावजूद मार्च 2025 में जेडीए की बीपीसी (बैठक संख्या 319) में अस्पताल भवन के कंपलीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि यह आवेदन डॉ. जीएल पुरोहित के नाम से किया गया, जबकि उन्हें 21 अक्टूबर 2013 को राजस्थान हॉस्पिटल लिमिटेड से बाहर किया जा चुका था। इसके करीब पांच महीने बाद हुई जेडीए की बैठक (अगस्त 2015) में भी अस्पताल की ओर से कंपलीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि डॉ. जीएल पुरोहित और डॉ. एसएस की ओर से किए गए आवेदनों में खसरा नंबर अलग-अलग दर्शाए गए हैं। लैंड यूज को लेकर भी सवाल रिकॉर्ड के अनुसार, संबंधित भूमि को राज्य सरकार ने केपसटन मीटर को औद्योगिक उपयोग के लिए आवंटित किया था। बाद में इस भूमि का लैंड यूज बदले बिना अस्पताल के नाम लीज कर दिया गया और अस्पताल का निर्माण कर लिया गया। मामले में डिप्टी कमीशनर अपूर्वा जोरवाल ने कुछ भी कहने से मना कर दिया। डॉ. जीएल पुरोहित के नाम से जिस खसरा नंबर पर आवेदन किया, वह भूमि केपसटन मीटर, जय ड्रिंक प्रा. लि. और महावीर जयपुरिया से जुड़ी बताई जा रही है। इसके बाद जेडीए में इस पत्रावली को लेकर विवाद हो गया। जेडीए की फाइलों में गंभीर अनियमितताओं और दस्तावेजों के गायब होने के आरोप लगे, जिस पर तत्कालीन विधि निदेशक (डिस्ट्रिक्ट जज) ने टिप्पणी करते हुए सीबीआई/ईडी/एसीबी जांच और एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की। इस मामले को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की गई है, जो फिलहाल विचाराधीन है।