लक्ष्मणगढ़ में लेपर्ड का रेस्क्यू, ट्रेंक्यूलाइज कर पिंजरे में डाला:सनवाली गांव के खेत में छिपा हुआ था, घेराबंदी कर पकड़ा
सीकर के लक्ष्मणगढ़ में वन विभाग की टीम ने सनवाली गांव से लेपर्ड को पकड़ लिया है। लेपर्ड को ट्रेंक्यूलाइज कर वन विभाग कार्यालय के लिए रवाना कर दिया गया। जयपुर से आई वन विभाग की टीम और लक्ष्मणगढ़ वन विभाग की टीम ने सोमवार दोपहर करीब 12 बजे लेपर्ड का सकुशल रेस्क्यू किया। करीब एक सप्ताह से क्षेत्र में लेपर्ड का मूवमेंट देखा जा रहा था। इस दौरान लक्ष्मणगढ़ में लेपर्ड ने गधे का शिकार भी किया था और दो किसानों पर हमला भी किया था। जिसमें दोनों घायल हो गए थे। फुट प्रिंट्स का पीछा करते हुए सनवाली पहुंचे लक्ष्मणगढ़ रेंजर दुर्गा हुड्डा ने बताया- वन विभाग की टीम सोमवार सुबह से ही लेपर्ड के पदचिन्हों का पीछा करती हुई सनवाली गांव तक पहुंची। इस दौरान एक खेत में लेपर्ड के छिपे होने की सूचना मिली। सूचना मिलते ही वन विभाग ने तत्काल मौके पर पहुंचकर खेत की घेराबंदी की। एक घंटे की मशक्कत के बाद किया रेस्क्यू लगभग एक घंटे की मशक्कत के बाद टीम ने लेपर्ड को सफलतापूर्वक ट्रेंक्यूलाइज कर लिया। इसके बाद लेपर्ड को पिंजरे में डालकर लक्ष्मणगढ़ वन विभाग कार्यालय लाया गया है। कई गांवों में दिखा था लेपर्ड का मूवमेंट लेपर्ड की पहली गतिविधि 21 दिसंबर को नेछवा क्षेत्र की चारणों की ढाणी में सामने आई थी। उस समय वन विभाग और ग्रामीणों ने लेपर्ड को सरसों के खेत में घेर लिया था और जयपुर वन विभाग को भी सूचना दी गई थी। हालांकि, रात हो जाने के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं हो सका और सुबह होने से पहले लेपर्ड वहां से निकल गया। इसके बाद वन विभाग की टीम ने लेपर्ड के पगमार्क के आधार पर कई गांवों में तलाश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। अगले दिन जयपुर से आई टीम वापस लौट गई, जबकि लक्ष्मणगढ़ वन विभाग की टीम लगातार निगरानी करती रही। जेठवा का बास और बनाई में भी दिखा शनिवार शाम को फतेहपुर उपखंड के जेठवा का बास में भी लेपर्ड की गतिविधि देखी गई थी। वहां वन विभाग ने पिंजरा और जाल लगाए, लेकिन लेपर्ड वहां से निकल गया था। इसके बाद रविवार को लक्ष्मणगढ़ के बनाई गांव में लेपर्ड की मौजूदगी सामने आई। बनाई में किसानों पर किया था हमला बनाई गांव में लेपर्ड ने एक जोहड़े में गधे का शिकार किया और फिर एक सरसों के खेत में जाकर छिप गया। जहां किसान भागीरथ धायल और मुकुन्दाराम मेघवाल पर हमला कर दिया। हमले में भागीरथ के हाथ और मुकुन्दाराम के पैर में चोट आई। दोनों को जिला अस्पताल में उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई थी। रविवार शाम को जयपुर से पहुंची टीम ग्रामीणों के अनुसार, रविवार सुबह करीब 11 बजे ही वन विभाग को लेपर्ड की सूचना दे दी गई थी। इसके बाद लक्ष्मणगढ़ रेंजर दुर्गा हुड्डा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचीं। हालांकि, लेपर्ड को ट्रेंक्यूलाइज करने के लिए जयपुर से वन विभाग की टीम शाम करीब 6 बजे गांव पहुंची। तब तक अंधेरा हो चुका था, जिससे रेस्क्यू अभियान में कठिनाई हुई। इस देरी को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखा गया। अंधेरे में रोशनी जलाकर रेस्क्यू अभियान चलाया जयपुर वन विभाग की टीम गांव पहुंचने के बाद एक बारगी रेस्क्यू अभियान चलाया गया। इस दौरान लेपर्ड को ट्रेंक्यूलाइज करने के प्रयास किए गए। टीम सरसों के खेत में भी गई, लेकिन लेपर्ड नजर नहीं आया। इस दौरान खेत को चारों ओर से घेर लिया गया और गाड़ियों की हेडलाइट व आग जलाकर इलाके में रोशनी की गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, अंधेरा ढलते समय लेपर्ड खेत की पूर्वी-दक्षिणी दिशा से कुछ देर के लिए बाहर आया, लेकिन लाइट देखकर वापस खेत में ही छिप गया। रात को रोका अभियान, सोमवार सुबह फिर चला अंधेरा अधिक होने और लेपर्ड की स्पष्ट लोकेशन नहीं मिलने के चलते देर रात रेस्क्यू अभियान रोक दिया गया था। एहतियात के तौर पर खेत के आसपास पिंजरे लगाए गए और वन विभाग की टीम पूरी रात गांव में ही डटी रही थी। सोमवार सुबह से वन विभाग की टीम से ने दोबारा लेपर्ड को खोजने के प्रयास शुरू कर किए और करीब 12 बजे लेपर्ड का रेस्क्यू कर लिया।