ईरान में अब क्यों विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, अमेरिका क्या कर रहा है दावा?
ईरान में राजधानी तेहरान समेत देश के कई हिस्सों में रविवार से लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. ईरानी सरकार ने कहा है कि वो प्रदर्शनकारियों को सुनेगी. वहीं अमेरिका ने इन प्रदर्शनों का समर्थन किया है.
ईरान में अब क्यों विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, अमेरिका क्या कर रहा है दावा?

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इमेज कैप्शन, राजधानी तेहरान समेत ईरान के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं
5 घंटे पहले
ईरान में बढ़ती महंगाई और डॉलर के मुक़ाबले गिरती ईरानी मुद्रा रियाल की क़ीमत को लेकर विरोध प्रदर्शन चौथे दिन में दाख़िल हो चुका है.
इन नए विरोध प्रदर्शनों की लहर राजधानी तेहरान से शुरू होकर देश के कई दूसरे शहरों में फैल गई है.
विरोध प्रदर्शन रविवार को तेहरान के ग्रैंड बाज़ार के दुकानदारों की ओर से तब शुरू हुए जब खुले बाज़ार में ईरानी रियाल अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था.
उसके बाद से बीबीसी फ़ारसी ने वेरिफ़ाई किए वीडियो में पाया कि कराज, हामेदान, केशम, मलार्ड, इस्फ़हान, करमानशाह, शिराज़ और यज़्द शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
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प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करते हुए भी देखा गया है.
क्या हैं ताज़ा हालात

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इमेज कैप्शन, तेहरान में मंगलवार को सरकार के समर्थन में भी प्रदर्शन हुए
ईरानी सरकार ने कहा है कि वह विरोध प्रदर्शनों को 'मानती है' और इसकी आवाज़ों को 'धैर्य' से सुनेगी, चाहे उसमें कितने भी 'कड़े लफ़्ज़ों' का इस्तेमाल किया गया हो.
सरकारी प्रवक्ता फ़ातेमेह मोहाजेरानी ने कल कहा था, "सरकार विरोध प्रदर्शनों को मान्यता देती है और हम शांति से इकट्ठा होने के अधिकार पर ज़ोर देते हैं जिसे हमारे संविधान में मान्यता मिली है. जब लोगों की आवाज़ सुनी जाती है, तो इसका मतलब है कि दबाव ज़्यादा है और सरकार का काम आवाज़ सुनना है."
वहीं, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने सोमवार की शाम एक्स पर लिखा था कि उन्होंने आंतरिक मंत्री को निर्देश दे दिए हैं कि वह प्रदर्शनकारियों की ओर से तय किए गए 'प्रतिनिधियों' से बात करें ताकि "समस्याओं को हल करने और ज़िम्मेदारी से काम करने के लिए" क़दम उठाए जा सकें.
इसके साथ ही उन्होंने ईरान के केंद्रीय बैंक के गवर्नर मोहम्मदरेज़ा फ़रज़ीन का इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया और पूर्व आर्थिक एवं वित्त मंत्री अब्दुलनासेर हेम्मति को उनकी जगह नियुक्त किया.
इन प्रदर्शनों में विश्वविद्यालय के छात्र भी शामिल हुए हैं और उन्होंने 'तानाशाह मुर्दाबाद' जैसे सरकार विरोधी नारे भी लगाए.
इस नारे को आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई से भी जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि वो देश के सर्वोच्च नेता हैं.
कुछ प्रदर्शनकारियों को 1979 की इस्लामिक क्रांति में तख़्तापलट करके हटाए गए दिवंगत शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी के बेटे के समर्थन में नारे लगाते हुए भी सुना गया, जिसमें 'शाह ज़िंदाबाद' नारा भी शामिल था.
इसके जवाब में अमेरिका में निर्वासन में ज़िंदगी गुज़ार रहे रज़ा पहलवी ने एक्स पर लिखा, "मैं आपके साथ हूं. जीत हमारी होगी क्योंकि हमारा मक़सद सही है और हम एकजुट हैं."
उन्होंने कहा, "जब तक यह शासन सत्ता में रहेगा, देश की आर्थिक स्थिति ख़राब होती रहेगी."
अमेरिका ने विरोध प्रदर्शनों का किया समर्थन

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इमेज कैप्शन, विरोध प्रदर्शन की सबसे अहम वजह गिरती ईरानी रियाल की क़ीमत भी है
एक्स पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय के फ़ारसी भाषा के अकाउंट ने भी विरोध प्रदर्शनों का समर्थन किया.
इसमें कहा गया कि अमेरिका "उनके साहस की तारीफ़ करता है" और सालों की नाकाम नीतियों और आर्थिक कुप्रबंधन के बाद "गरिमा और बेहतर भविष्य" चाहने वालों के साथ खड़ा है.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "हम उन रिपोर्ट और वीडियो से बहुत परेशान हैं जिनमें कहा गया है कि ईरान में शांति से प्रदर्शन करने वालों को धमकाया जा रहा है, हिंसा हो रही है और उन्हें गिरफ़्तार किया जा रहा है. बुनियादी अधिकारों की मांग करना कोई जुर्म नहीं है. इस्लामिक रिपब्लिक को ईरानी लोगों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए."
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने ईरान की कई बड़ी यूनिवर्सिटी में हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर रिएक्शन देते हुए मंगलवार को लिखा था, "पूरे ईरान में यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट अपने बुनियादी अधिकारों की मांग कर रहे हैं, जबकि सुरक्षाबल उन्हें लगातार धमकाते और प्रताड़ित करते हैं."
"ये स्टूडेंट देश के सबसे पढ़े-लिखे और टैलेंटेड लोगों में से हैं, लेकिन इस्लामिक रिपब्लिक सरकार की नाकाम पॉलिसी और अपने नागरिकों के बुनियादी अधिकारों की अनदेखी करने की वजह से उन्हें अच्छी ज़िंदगी जीने का मौका नहीं मिल रहा है."
फ्लोरिडा में सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के बीच एक बैठक के एजेंडे में कथित तौर पर ईरान सबसे ऊपर था.
बाद में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने इस पर कुछ कहने से इनकार कर दिया कि वह ईरान में सत्ता परिवर्तन का समर्थन करते हैं या नहीं, लेकिन उन्होंने कहा, "उनके पास बहुत सारी समस्याएं हैं. ज़बरदस्त महंगाई से उनकी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गई है, उनकी अर्थव्यवस्था अच्छी नहीं है, और मुझे पता है कि लोग इतने ख़ुश नहीं हैं."
ट्रंप की ईरान को धमकी

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इमेज कैप्शन, अमेरिका ने विरोध प्रदर्शनों का समर्थन किया है
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अगर देश अपने बैलिस्टिक मिसाइल या परमाणु कार्यक्रमों को फिर से शुरू करता है तो वह ईरान पर इसराइली हवाई हमलों के एक और दौर का समर्थन कर सकते हैं.
जून में इसराइल और ईरान के बीच 12 दिन के युद्ध के दौरान, अमेरिका ने भी ईरान के प्रमुख यूरेनियम संवर्धन स्थलों पर हवाई हमले किए थे. ईरान ज़ोर देता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है.
राष्ट्रपति पेज़ेश्कियान ने मंगलवार को कहा कि 'किसी भी दमनकारी आक्रामकता' पर ईरान की प्रतिक्रिया 'गंभीर' होगी और दुश्मन को 'पछताना' पड़ेगा.
ईरान के सर्वोच्च नेता ने कई बार कहा है कि इसराइल की सरकार को उम्मीद थी कि युद्ध के दौरान ईरान में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे और सरकार गिर जाएगी.
ख़ामेनेई ने सितंबर में कहा था, "वे सड़कों पर दंगा फैलाना चाहते थे. लेकिन लोग दुश्मन की चाहत से बिलकुल भी प्रभावित नहीं हुए."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.