'ताऊ, तेरी छोरी की उम्र की हूं मैं', हरियाणा की अभिनेत्री के बयान के बाद किस मुद्दे पर बहस छिड़ी
हाल के दिनों में कई महिला सेलिब्रिटीज़ के साथ हुई बदसलूकी की घटनाओं के बाद प्रांजल के इस वीडियो ने महिला कलाकारों के साथ होने वाली बदसलूकी को लेकर एक बहस छेड़ दी है.
'ताऊ, तेरी छोरी की उम्र की हूं मैं', हरियाणा की अभिनेत्री के बयान के बाद किस मुद्दे पर बहस छिड़ी

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इमेज कैप्शन, प्रांजल दहिया मुख्य तौर पर हरियाणवी म्यूज़िक इंडस्ट्री में सक्रिय हैं
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- Author, शुभ राणा
- पदनाम, बीबीसी हिन्दी के लिए
- 2 घंटे पहले
हरियाणा की डांसर और एक्टर प्रांजल दहिया का एक वीडियो सोशल मीडिया पर इन दिनों वायरल है. ये वीडियो गुरुग्राम में एक लाइव शो के दौरान का है.
परफॉर्मेंस के दौरान कुछ दर्शकों के व्यवहार पर दिए गए उनके बयान की काफ़ी चर्चा है और महिला कलाकारों की सुरक्षा का मुद्दा भी उठ रहा है.
दरअसल, वायरल वीडियो में वह एक व्यक्ति की तरफ़ इशारा करते हुए कहती हैं, "और ताऊ तू... तेरी छोरी (बेटी) की उम्र की हूं मैं. तो थोड़ा कंट्रोल में रहें."
फिर वह दूसरे व्यक्ति से कहती हैं, "स्टेज पर न आएं. थोड़ा पीछे रहें. हमारी परफॉर्मेंस और भी बची है."
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प्रांजल इसके साथ ही ऑडियंस से सहयोग करने की अपील करती हैं.
हरियाणा में महिला कलाकारों के साथ बदसलूकी का दूसरा मामला
हरियाणा की महिला कलाकारों से जुड़ा यह दूसरा मामला है. इससे पहले अगस्त में हरियाणवी मॉडल, डांसर और एक्टर अंजलि राघव के साथ भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह ने लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बिना उनकी सहमति के उनकी कमर को टच किया था.
अंजलि राघव ने बीबीसी हिंदी को बताया था कि उस वक़्त उन्हें यह समझ नहीं आया कि क्या करना चाहिए क्योंकि पूरी भीड़ पवन सिंह की फ़ैन थी.
हालांकि पवन सिंह ने अंजलि राघव से बाद में माफ़ी भी मांगी.

वीडियो कैप्शन, पवन सिंह के बर्ताव को क्या अंजलि राघव ने कर दिया माफ़? -इंटरव्यू
हाल के दिनों में महिला सेलिब्रिटी के साथ हुई घटना के बाद प्रांजल के इस वीडियो ने महिला कलाकारों के साथ होने वाली बदसलूकी को लेकर एक बहस छेड़ दी है.
17 दिसंबर, 2025 को हैदराबाद के लुलु मॉल में एक सॉन्ग लॉन्च के दौरान अभिनेत्री निधि अग्रवाल के इवेंट के बाहर निकलते ही प्रशंसकों की बेकाबू भीड़ ने उन्हें घेर लिया था.
भीड़ के कारण निधि का अपनी कार में बैठना तक मुश्किल हो गया था. कार में बैठने के बाद भी निधि सहमी हुई दिखीं.
कुछ दिनों बाद ऐसी ही घटना अभिनेत्री समांता रुथ प्रभु के साथ स्टोर उद्घाटन के दौरान हुई.
भीड़ को बेकाबू होता देख 25 दिसंबर को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में गायक कैलाश खेर को शो बीच में रोकना पड़ा.
लेकिन आख़िर भीड़ के मन में ऐसा क्या चलता है जिससे वह ऐसा व्यवहार करते हैं? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष और वर्ल्ड साइकियाट्रिक सोसाइटी के बोर्ड मेम्बर, डॉक्टर विनय कुमार से बात की.
आख़िर भीड़ ऐसा क्यों करती है?

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इमेज कैप्शन, डॉक्टर विनय कुमार कहते हैं कि फैंस को ऐसा लगता है 'ये सेलिब्रिटी मेरा है, इन पर मेरा अधिकार है.'
भीड़ के मनोविज्ञान पर डॉक्टर विनय कुमार कहते हैं, "फ़ैंस और सेलिब्रिटी के बीच रिश्ता पैरासोशल यानी एकतरफ़ा होता है, जो मुख्य तौर पर तीन स्टेज में बढ़ता है:
- कैज़ुअल: फ़ैंस फ़िल्में देखते हैं, अच्छा लगता है, लेकिन ये सामान्य है. अपनी जड़ों या कल्चर से जुड़ाव के कारण लोग सेलिब्रिटी से रिलेट करते हैं.
- पर्सनल: इंटेंसिटी बढ़ती है, फ़ैंस महसूस करते हैं कि सेलिब्रिटी उनका सोलमेट या गॉडफ़ादर है. जैसे एनटीआर के निधन पर लोग सड़कों पर उतरे और मौत को साज़िश मानने लगे.
- पैथोलॉजिकल: इरोटोमेनिया जैसी स्थिति, जहां फ़ैंस कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. वे सेलिब्रिटी को छूने, उनके घर जाने की कोशिश करते हैं, या वहम होता है कि सेलिब्रिटी उन्हें जानती है.
अगर कनेक्शन न मिले, तो मूड ख़राब होता है, बॉडी इमेज इश्यूज़ आते हैं, ख़ुद से तुलना करते हैं. पैथोलॉजिकल स्टेज में ख़तरा स्टॉकिंग या हिंसा तक पहुंच सकता है."
डॉक्टर विनय कुमार कहते हैं, "भीड़ में डीइंडिविजुएशन यानी भीड़ में व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान गायब हो जाती है. कोई चेहरा या नाम नहीं रहता. अकाउंटेबिलिटी की कमी से लोग छिपी इच्छाओं को बिना डर के अंजाम देते हैं. चिल्लाना, धक्का देना या हिंसा भड़कना आसान हो जाता है, क्योंकि अब 'मैं' नहीं, 'भीड़' हूं. इससे व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी कम होती है, और क्राउड साइकोलॉजी के तहत सामूहिक व्यवहार उग्र हो सकता है."
डॉक्टर विनय कुमार बताते हैं, "सोशल मीडिया ने पैरासोशल रिलेशनशिप में इंटरैक्टिविटी का भ्रम पैदा कर दिया है. रोज़ स्टोरी, लाइव, कमेंट्स से लगता है कि सेलिब्रिटी 'क्लोज़' है, जबकि वो एकतरफा है. इससे पैथोलॉजिकल फैंस बढ़े हैं. आज वायरल होकर कोई भी रातों-रात फेमस हो सकता है, इसलिए कई लोग सोचते हैं कि 'अगर मैं सेलिब्रिटी के साथ कुछ अटपटा करूं तो मैं भी वायरल हो जाऊंगा.'
इससे अधिकार भाव बढ़ा है, फैंस को ऐसा लगता है 'ये सेलिब्रिटी मेरा है, इन पर मेरा अधिकार है.' सोशल मीडिया ने फेम की इच्छा को हवा दी, जिससे भीड़ में असुरक्षित व्यवहार बढ़ रहा है."

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इमेज कैप्शन, प्रांजल दहिया के वीडियो की सोशल मीडिया पर ख़ासी चर्चा है
कौन हैं प्रांजल दहिया?
प्रांजल दहिया एक भारतीय मॉडल, डांसर, अभिनेत्री और सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंसर हैं, जो मुख्य रूप से हरियाणवी म्यूज़िक इंडस्ट्री में सक्रिय हैं. वह हरियाणा के फ़रीदाबाद की रहने वाली हैं.
टिकटॉक पर अपने डांस वीडियो से प्रांजल लोकप्रिय हुई थीं. टिकटॉक बैन होने के बाद वह इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर सक्रिय हो गईं.
हरियाणवी गानों में उनकी शुरुआत 2018 में हुई. उनका सबसे बड़ा हिट गाना '52 गज का दामन' रहा, जिसमें वह गायिका रेणुका पवार के साथ फीचर हुईं.
इस गाने ने यूट्यूब पर 1.7 बिलियन से अधिक व्यूज़ हासिल किए और यह गाना भारतीय यूट्यूब वीडियो की टॉप लिस्ट में शामिल हुआ.
उनके लोकप्रिय गानों में 'डीजे पे मटकुंगी', 'बालम थानेदार' और 'नाचूंगी डीजे फ़्लोर' शामिल हैं. उन्होंने पंजाबी इंडस्ट्री में भी काम किया है.
प्रांजल ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके इंडस्ट्री में आने से पहले ही 2015 में उनके पिता की मौत हो गई थी. उनकी मां ने करियर में उन्हें बहुत सपोर्ट किया. लेकिन 2019 में उनकी मां भी चल बसीं.
अब परिवार में प्रांजल और उनके भाई हैं, जिन्हें वह अपना बड़ा सपोर्ट मानती हैं.
इंस्टाग्राम पर प्रांजल दहिया के 5 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं. वह अक्सर लाइव स्टेज परफ़ॉर्म करती हैं.

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इमेज कैप्शन, हरियाणवी गानों में प्रांजल दहिया की शुरुआत 2018 में हुई थी
'ऐसा अक्सर होता है'
प्रांजल ने गायिका रेणुका पवार के साथ काम भी किया है. वह महिला कलाकारों के साथ कुछ दर्शकों के इस तरह पेश आने के बारे में कहती हैं, "जब भी कोई लड़की स्टेज पर परफ़ॉर्म करती है, अक्सर उसके साथ ऐसा होता है."
रेणुका अपने शो में भी दर्शकों से साफ़ कहती हैं, "किसी तरह की बदसलूकी न करें, क्योंकि ऐसा कर आप अपने गांव या शहर का नाम ख़राब कर रहे हैं. अगर कोई आर्टिस्ट वहां गया और उसने दूसरे कलाकारों को बताया कि उस शहर में उसके साथ ऐसा हुआ, तो दूसरा आर्टिस्ट भी वहां आने से कतराएगा."
रेणुका कहती हैं, "एक आर्टिस्ट को शांत रहना चाहिए. मंच पर आर्टिस्ट की छोटी-से-छोटी हरकत को लोग नोट करते हैं और वह सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती है. लेकिन जब पानी सिर से ऊपर चला जाए, तो बात अलग है, फिर तो जवाब देना ही पड़ता है."
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं की राय

ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमेन एसोसिएशन (एआईडीडब्ल्यूए) की उपाध्यक्ष जगमती सांगवान कहती हैं, "प्रांजल दहिया ने जिस तरह पूरी स्थिति को संभाला यह बहादुरी का काम है. जिस व्यक्ति ने उन्हें ग़लत नज़र से देखा, उन्हें वहीं रोक दिया गया. साथ ही, स्टेज पर चढ़ने को आतुर अन्य लोगों को भी संदेश दिया कि उन्हें सही तरीक़े से व्यवहार करना चाहिए."
जगमती सांगवान बताती हैं, "मैं ख़ुद अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रही हूं और शिक्षिका भी, मैंने ग्राउंड पर ख़ुद इस तरह की चुनौतियों का सामना किया है. अधिकतर जब महिलाएं परफॉर्मिंग आर्ट्स, जैसे- डांस, गायन, खेल या नाटक के ज़रिए अपनी कला का प्रदर्शन करती हैं, तो दर्शकों में बैठे कुछ लोग उनकी कला से इतर उन्हें सेक्स ऑब्जेक्ट की तरह ऑब्जेक्टिफाई करते हैं."
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में प्रोफ़ेसर डॉक्टर रंजना कुमारी ने प्रांजल दहिया वाली घटना पर गंभीर चिंता जताई है.
वह कहती हैं, "भारतीय समाज में कुछ पुरुषों की मानसिकता ऐसी है कि वे महिलाओं को अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं. यह पितृसत्तात्मक मानसिकता का प्रतीक है. इस मानसिकता के कारण पब्लिक लाइफ़ में आने वाली महिलाओं, ख़ासकर महिला कलाकारों के प्रति उनका व्यवहार निंदनीय है."
डॉक्टर रंजना कुमारी कहती हैं, "ऐसी हरकतों का समाज में विरोध नहीं होता, न ही इन पर कोई चार्ज लगता है. हमारे पास क़ानून हैं जिनके तहत सज़ा दी जा सकती है, लेकिन आमतौर पर सज़ा मिलती नहीं. यही कारण है कि इनका हौसला बढ़ता जाता है. अब सोशल मीडिया पर ऐसे मामलों को जिस तरह परोसा जा रहा है, उससे उपद्रवी स्वभाव और बढ़ गया है."
डॉक्टर रंजना कुमारी आगे बताती हैं, "समाज में ऐसे पुरुषों की दोहरी सोच है. अपने घर की मां-बेटी की रक्षा करेंगे, उन्हें नियंत्रित रखेंगे, लेकिन बाहर पब्लिक में गाना गाने या नृत्य करने वाली महिलाओं को 'पब्लिक प्रॉपर्टी' या 'कमोडिटी' समझते हैं."
वह आगे जोड़ती हैं, "यह मानसिकता पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है. अगर 'ताऊ' ऐसा कर रहे हैं, तो उनका बेटा-पोता क्या करेगा?"

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इमेज कैप्शन, विश्लेषकों की राय है कि दर्शकों को काबू में रखने की ज़िम्मेदारी आयोजकों की होती है
'आयोजकों और समाज की ज़िम्मेदारी'
इसके समाधान के लिए डॉक्टर रंजना कुमारी आयोजकों को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) बनाने की सलाह देती हैं.
वह कहती हैं, "अगर आप इवेंट में आ रहे हैं और टिकट ख़रीद रहे हैं, तो आपको सही व्यवहार करना होगा. आयोजकों को सख़्त नियम बनाने चाहिए ताकि दर्शक सतर्क रहें."
डॉक्टर रंजना कुमारी कार्रवाई की भी बात कहती हैं.
उनका कहना है, "एसओपी का पालन न करने पर पुलिस की कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भीड़ की मानसिकता बदली जा सके."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित