बिना पर्ची के बिक रहे हैं एंटी-एलर्जिक इंजेक्शन, ओवरडोज से कोमा का खतरा
जयपुर | मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली एंटी-एलर्जिक दवाओं का युवाओं द्वारा नशे के रूप में दुरुपयोग सामने आया है। पुलिस ने करीब 900 सीलबंद इंजेक्शन बरामद किए हैं, जिनका उपयोग स्मैक जैसे नशे के साथ किया जा रहा था। पड़ताल में सामने आया कि ये एंटी-एलर्जिक इंजेक्शन शेड्यूल-जी श्रेणी में आते हैं और इन्हें बिना डॉक्टर की पर्ची के बेचना प्रतिबंधित है। ये इंजेक्शन इमरजेंसी में मरीज की जान बचाने के लिए लगाए जाते हैं, लेकिन नशे के साथ इनका इस्तेमाल बेहद खतरनाक है। एसएमएस अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. पुनीत भार्गव के अनुसार, पैकविल या एविल जैसे इंजेक्शन के गलत इस्तेमाल से यूफोरिया और हैलूसिनेशन जैसे लक्षण सामने आते हैं। वहीं, मेडिसिन विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. पुनीत सक्सेना ने बताया कि लगातार उपयोग से बेहोशी या कोमा तक का खतरा रहता है। प्रदेश में 15 से 20 साल के युवा नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक का कहना है कि एंटी एलर्जिक इंजेक्शन डॉक्टर की पर्चे के नहीं बेच सकते। मेडिकल स्टोरों पर कार्रवाई की जाएगी।
जयपुर | मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली एंटी-एलर्जिक दवाओं का युवाओं द्वारा नशे के रूप में दुरुपयोग सामने आया है। पुलिस ने करीब 900 सीलबंद इंजेक्शन बरामद किए हैं, जिनका उपयोग स्मैक जैसे नशे के साथ किया जा रहा था। पड़ताल में सामने आया कि ये ए
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एसएमएस अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. पुनीत भार्गव के अनुसार, पैकविल या एविल जैसे इंजेक्शन के गलत इस्तेमाल से यूफोरिया और हैलूसिनेशन जैसे लक्षण सामने आते हैं। वहीं, मेडिसिन विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. पुनीत सक्सेना ने बताया कि लगातार उपयोग से बेहोशी या कोमा तक का खतरा रहता है। प्रदेश में 15 से 20 साल के युवा नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक का कहना है कि एंटी एलर्जिक इंजेक्शन डॉक्टर की पर्चे के नहीं बेच सकते। मेडिकल स्टोरों पर कार्रवाई की जाएगी।