जस्टिस माहेश्वरी बोले- संविधान धर्मनिरपेक्ष नहीं, पंथनिरपेक्ष:वकीलों के महाकुंभ में कहा- सभी धर्मों के लिए संविधान ही गीता, कुरान और बाइबिल
बालोतरा में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 17वें राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन शनिवार को संविधान की मूल भावना पर गहन विचार-विमर्श हुआ। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे. के. माहेश्वरी ने भारत के संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए "सेक्युलर" शब्द पर चर्चा करते हुए कहा कि राजस्थान के विधिवेत्ताओं ने इसे धर्मनिरपेक्ष के बजाय पंथनिरपेक्ष बताने का सुझाव दिया था, जिसे बाद में स्वीकार किया गया। "न्याय: मम् धर्मः" के ध्येय-वाक्य का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे. के. माहेश्वरी ने आगे कहा कि यह केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि एक जीवंत सत्य है। "यूनिटी एंड इंटीग्रिटी ऑफ नेशन: कॉन्स्टिट्यूशन मैंडेट" विषय पर केंद्रित अधिवेशन के तीसरे सत्र में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे. के. माहेश्वरी ने कहा कि संविधान केवल अदालतों तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि वकीलों और आम नागरिकों के आचरण में भी दिखना चाहिए। संविधान के लेखन में 303 तरह के कुल 432 निब का उपयोग जस्टिस माहेश्वरी ने बताया- संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. बी. आर. आंबेडकर थे, संविधान की मूल प्रति का आर्टवर्क नंदलाल बोस ने किया था और इसे प्रेम बिहारी नारायण राय ने अपने हाथों से लिखा था। संविधान के लेखन में 303 प्रकार के कुल 432 निब का उपयोग किया गया। उन्होंने डेटा ओरिएंटेशन के माध्यम से इन निब के चित्र भी सेमिनार हॉल में प्रदर्शित किए। संविधान की पुस्तक केवल वकीलों और न्यायाधीशों के लिए ही नहीं, बल्कि आम जनता के लिए भी आस्था का केंद्र होनी चाहिए। विक्रमादित्य के सिंहासन से न्याय का संदेश जस्टिस माहेश्वरी ने विक्रमादित्य के सिंहासन से जुड़े न्याय के प्रसंग पर कहा कि उस समय न्याय न केवल दिया जाता था, बल्कि जनता द्वारा स्वीकार भी किया जाता था। उन्होंने कहा कि कानून के शासन (Rule of Law) में हर धर्म के व्यक्ति के लिए संविधान सर्वोपरि है और संविधान ही उनके लिए गीता, कुरान और बाइबिल के समान है। उन्होंने बालोतरा और जोधपुर की भूमि को वीरता और अटूट विश्वास के लिए जाना जाने वाला बताया। जस्टिस विनीत माथुर ने 'वसुधैव कुटुंबकम' को रेखांकित किया इस सत्र में राजस्थान उच्च न्यायालय के जस्टिस विनीत कुमार माथुर, जस्टिस संजीत पुरोहित और पूर्व न्यायाधीश डॉ. विनीत कोठारी भी मौजूद थे। जस्टिस विनीत माथुर ने कहा कि भारतीय संविधान की उद्देशिका में 'वसुधैव कुटुंबकम' की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने संविधान की मूल भावना को व्यक्तिपरक नहीं, बल्कि राष्ट्रपरक बताया। पूर्व न्यायाधीश डॉ. विनीत कोठारी ने कहा कि अधिवक्ता न्याय रूपी वाहन के प्रमुख पहिये हैं, उनके बिना न्याय की कल्पना संभव नहीं है। उन्होंने भारतीय न्याय प्रणाली की वैश्विक प्रतिष्ठा का उल्लेख करते हुए इसे बनाए रखने में वकीलों और न्यायाधीशों की समान जिम्मेदारी बताई। अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेंद्रन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सत्र में अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजेंद्रन डी, सुनील जैन, विनीता पाय, सुरेश मोर, मार्टिनो कार्तो, झरनासिंह और तेज कुमार मोड़ भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता परिषद मध्यप्रदेश के ज़ोनल सचिव प्रदीप सिंह ने किया। चरी नृत्य और भांगड़ा ने मोहा मन शुक्रवार रात भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के तत्वावधान में "कल्चरल नाइट" का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना से हुई, जिसके बाद चरी नृत्य ने दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। पोरबंदर से आए कलाकारों द्वारा प्रस्तुत शौर्य गीत पर आधारित तलवार रास और पंजाबी कलाकारों का ऊर्जावान भांगड़ा दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहे। इसके अतिरिक्त मयूर नृत्य, कथक, राठवा और मांगणियार कलाकारों की प्रस्तुतियों ने पूरे कार्यक्रम को रंगारंग बना दिया। इन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने देशभर से आए अधिवक्ताओं को राजस्थान की समृद्ध लोक कला और वीरता की परंपरा से परिचित कराया। कार्यक्रम का सफल संचालन पूनम शर्मा और अधिवक्ता पंकज अवस्थी ने किया, जिसमें बड़ी संख्या में अधिवक्ता और अतिथि उपस्थित थे। अधिवेशन के विभिन्न सत्रों में प्रबुद्धजन भी पहुंचे अधिवेशन के विभिन्न सत्रों के दौरान अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री हरिराव बोरीकर, राष्ट्रीय अध्यक्ष के. श्रीनिवास मूर्ति, राष्ट्रीय सचिव विक्रम दुबे, प्रांत अध्यक्ष सुनील जोशी, प्रांत महामंत्री श्याम पालीवाल, हाईकोर्ट जोधपुर इकाई के महामंत्री देवकीनंदन व्यास, प्रांत कोषाध्यक्ष कमलेश रावल, वरिष्ठ अधिवक्ता कांतिलाल ठाकुर, अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार, श्याम लादरेचा और महावीर बिश्नोई सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित थे।