राजस्थान में जनवरी में नहीं होगी ठंड:नवंबर-दिसंबर का पारा हर साल बढ़ रहा, जानें- इस साल क्यों नहीं है सर्दी
आज दिसंबर के साथ ही साल 2025 भी खत्म हो रहा है। बावजूद इसके इस सीजन राजस्थान में अभी तक सर्दी ने रफ्तार नहीं पकड़ी है। दिसंबर में माउंट आबू और सीकर के फतेहपुर में तापमान जीरो से नीचे पहुंच जाता है। ओस बर्फ बनकर जमने लगती है। इस बार ठिठुरन और बर्फ दोनों गायब हैं। महज चार-पांच जिलों में ही औसत न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से कम दर्ज किया गया। मौसम विभाग का कहना है कि इस साल जनवरी में भी कड़ाके की सर्दी के आसार कम हैं। मौसम विभाग निदेशक से समझते हैं कि आखिर इस साल सर्दी कहां छू मंतर हो गई… इस बार 30 दिन भी कड़ाके की ठंड नहीं मौसम विभाग, जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि राजस्थान में सर्दी मुख्य रूप से दिसंबर और जनवरी तक सीमित रहती है, जब न्यूनतम तापमान औसतन 10°C से नीचे होता है। सर्दी की तीव्रता पश्चिमी विक्षोभ पर निर्भर करती है। ये वेस्टर्न डिस्टर्बेंस भूमध्य सागर से आते हैं और हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी तथा मैदानी इलाकों में नमी लाते हैं। इससे कोहरा, धुंध और ठिठुरन बढ़ती है। IMD (भारत मौसम विज्ञान विभाग) के 100 सालों के डेटा (1901-2020) के डेटा से पता चलता है कि औसतन हर सर्दी में 5-6 वेस्टर्न डिस्टर्बेंस आते हैं। 2025 में सिर्फ 3-4 आए, वे भी कमजोर। इसी वजह से न कड़ाके की सर्दी पड़ी, न मावठ हुई। 31 दिसंबर और 1 जनवरी को भी वेस्टर्न डिस्टर्बेंस बन रहा है। इससे कुछ इलाकों में बूंदाबांदी और कोहरे की स्थिति रहेगी। इस साल जनवरी में भी सामान्य सर्दी रहने की आशंका है। 10 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान होने पर ही कड़ाके की सर्दी मानते हैं। राजस्थान में कैसे आती है सर्दी पश्चिम से पूर्व की और बहने वाली हवाएं अरब सागर, बंगाल की खाड़ी से नमी अपने साथ लाती हैं। इससे मावठ और तेज सर्दी पड़ती है। इन्हीं पश्चिमी विक्षोभ से मैदानी इलाकों में मॉयश्चर लेवल (नमी का स्तर) बढ़ जाता है। नमी के चलते कोहरा और धुंध होती है। दिन का पारा गिर जाता है। ठिठुरन बढ़ जाती है। पश्चिमी विक्षोभ में इस बार नमी की कमी से सर्दी की तीव्रता बेहद कम रही। ऐसे तय होती है सर्दी की तीव्रता जब पारा औसत से 4 डिग्री कम होता है तो उसे शीतलहर यानी कोल्डवेव कहते हैं। इसी तरह जब न्यूनतम तापमान 2 डिग्री से भी कम हो तो ही शीतलहर या एक्सट्रीम कोल्ड स्पेल मानते हैं। प्रदेश में ये मुख्यतः उत्तरी जिलों में होता है, जहां थार रेगिस्तान की शुष्क हवाएं साइबेरियन कोल्ड एयर मास से मिलती हैं। एल नीनो और क्लाइमेट चेंज से वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की फ्रीक्वेंसी घट रही है। 20 सालों में औसत न्यूनतम तापमान 1-1.5 डिग्री बढ़ा 1901 से 2020 तक दिसंबर-जनवरी में राजस्थान का औसतन न्यूनतम तापमान 7-8 डिग्री रहा है, लेकिन पिछले 100 सालों में ये 1 से 1.5 डिग्री बढ़ गया है। यह एलनीनो और ग्लोबल वार्मिंग का असर है। एक्सपट्र्स के अनुसार, अगले पांच साल में यानी 2030 तक ये 0.23 से 1.42 डिग्री और बढ़ सकता है। IMD पुणे की 'क्लाइमेट ऑफ राजस्थान' रिपोर्ट (1961-1990 डेटा) से पता चलता है कि प्रदेश की सर्दी में धीमी लेकिन स्थिर वार्मिंग हो रही है। इसका मतलब यह है की यहां की ठंडी समय के साथ धीरे-धीरे तीव्रता खो रही है। --- राजस्थान के मौसम की यह खबर भी पढ़िए... राजस्थान-2 दिन बारिश की चेतावनी, जैसलमेर में पहली मावठ:न्यू ईयर की सुबह 18 जिलों में घने कोहरे का अलर्ट, जानें- आगे कैसा रहेगा मौसम राजस्थान में आज और कल बारिश की चेतावनी के बीच जैसलमेर में बुधवार सुबह सीजन की पहली मावठ हुई। बुधवार को बीकानेर, फलोदी, गंगानगर के एरिया में कहीं-कहीं हल्की बारिश या बूंदाबांदी हो सकती है। पढ़ें पूरी खबर....



