काया-देबारी-अंबेरी ग्रेड सेपरेटर शुरू:टोल बचाने के चक्कर में शहर से गुजर रहे भारी वाहन, अब हाइट गेज लगाकर रोकेंगे
काया-देबारी-अंबेरी ग्रेड सेपरेटर शुरू होने के बावजूद शहर के इनर रिंग रोड को भारी वाहनों से मुक्ति नहीं मिली है। इसकी बड़ी वजह यह है कि भारी वाहन टोल बचाने के चक्कर में अब भी बलीचा बाइपास, प्रतापनगर, सुखेर होकर गुजर रहे हैं। इन्हें रोकने के लिए पुलिस अब नया प्रयोग करने जा रही है। दो-तीन दिन में प्रतापनगर चौराहे से पहले हाईवे पर सीमेंटेड हाइट गेज लगाए जाएंगे। ताकि, भारी वाहन प्रतापनगर से आगे न जा सके। हालांकि, काया हाईवे से अभी भी भारी वाहन प्रतापनगर तक पहुंच सकेंगे। इन्हें वापस घूमकर निकलना होगा। एएसपी उमेश ओझा ने बताया कि सोमवार को यूडीए आयुक्त राहुल जैन से बात की। उन्होंने जल्द ही नया गेज लगवाने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि काया हाईवे पर हाइट गेज नहीं लगाए जा सकते हैं। रात 9 से सुबह 7 बजे तक भारी वाहन इस मार्ग से निकलते हैं। जिनके ट्रांसपोर्ट इन हाईवे क्षेत्र में हैं, उन्हें वहां जाने से भी नहीं रोका जा सकता है। बता दें कि भास्कर ने 9 नवंबर के अंक में खबर प्रकाशित कर यह मुद्दा उठाया था। पहले भी लगाई थी पाबंदी, ज्यादा दिन नहीं चली ग्रेड सेपरेटर बनाने का उद्देश्य ही शहर में ट्रैफिक दबाव को कम करना था। इसके शुरू होने के बाद जिला प्रशासन ने पिछले साल काया से अंबेरी तक वाया बलीचा चौराहा, गीतांजली वाली रोड, प्रताप नगर चौराहा, आरटीओ होते हुए भुवाणा चौराहा तक तथा देबारी चौराहा से प्रतापनगर चौराहा तक भारी वाहनों के आवागमन पर पाबंदी के लिए नई व्यवस्था की थी। इसके बावजूद वाहन चालक पुराने रास्तों से ही गुजर रहे हैं। इन मार्गों के आसपास शहरी आबादी बसी है। ऐसे में सड़क हादसे होने का खतरा बना रहता है।
काया-देबारी-अंबेरी ग्रेड सेपरेटर शुरू होने के बावजूद शहर के इनर रिंग रोड को भारी वाहनों से मुक्ति नहीं मिली है। इसकी बड़ी वजह यह है कि भारी वाहन टोल बचाने के चक्कर में अब भी बलीचा बाइपास, प्रतापनगर, सुखेर होकर गुजर रहे हैं। इन्हें रोकने के लिए पुलिस अ
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एएसपी उमेश ओझा ने बताया कि सोमवार को यूडीए आयुक्त राहुल जैन से बात की। उन्होंने जल्द ही नया गेज लगवाने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि काया हाईवे पर हाइट गेज नहीं लगाए जा सकते हैं। रात 9 से सुबह 7 बजे तक भारी वाहन इस मार्ग से निकलते हैं। जिनके ट्रांसपोर्ट इन हाईवे क्षेत्र में हैं, उन्हें वहां जाने से भी नहीं रोका जा सकता है। बता दें कि भास्कर ने 9 नवंबर के अंक में खबर प्रकाशित कर यह मुद्दा उठाया था।
ग्रेड सेपरेटर बनाने का उद्देश्य ही शहर में ट्रैफिक दबाव को कम करना था। इसके शुरू होने के बाद जिला प्रशासन ने पिछले साल काया से अंबेरी तक वाया बलीचा चौराहा, गीतांजली वाली रोड, प्रताप नगर चौराहा, आरटीओ होते हुए भुवाणा चौराहा तक तथा देबारी चौराहा से प्रतापनगर चौराहा तक भारी वाहनों के आवागमन पर पाबंदी के लिए नई व्यवस्था की थी। इसके बावजूद वाहन चालक पुराने रास्तों से ही गुजर रहे हैं। इन मार्गों के आसपास शहरी आबादी बसी है। ऐसे में सड़क हादसे होने का खतरा बना रहता है।