नर्स ने जिला हॉस्पिटल में लगाए 'ठुमके':वन मंत्री बोले- घर आऊं तो रोटी खिलाओगी? बड़ा नेता बनने की 'रेसिपी'
नमस्कार छात्र नेता निर्मल चौधरी भी अरावली बचाओ के मिशन पर हैं। इस बीच सफेद घोड़ी पर चढ़कर खतरनाक स्टंट दिखाना पड़ गया। अलवर में वन मंत्री महिलाओं के साथ नाचते नजर आए। बूंदी में नर्स जिला हॉस्पिटल में डांस करते हुए रील बनाने के चक्कर में फंस गई। राजस्थान की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी की ऐसी ही खरी-खरी बातें पढ़िए, आज के इस एपिसोड में... 1. निर्मल चौधरी का 'सफेद घोड़ी वाला स्टंट' अरावली बचाओ आंदोलन अब छात्र नेता से बड़ा नेता बनने की रेसिपी भी बन गया है। यही वजह है कि मौका भांपकर छात्र नेता निर्मल चौधरी भी लाव-लश्कर और लवाजमे के साथ अरावली बचाने निकल पड़े हैं। अरावली बचाने के लिए इंस्टाग्राम-फेसबुक और यूट्यूब के एक्सपट्र्स की टीम साथ है। हर मौके को डिजिटल कैमरे से शूट करने वाले फोटोग्राफर हैं। कहां कैमरे की स्पीड बढ़ानी है। कहां जूम करना है। कहां स्लो-मोशन के साथ गाना चिपकाना है, यह सब बारीकी से ध्यान दिया जा रहा है। अरावली में खनन रोकने के लिए कारों के बोनटों पर बड़े-बड़े अक्षरों में अरावली आंदोलन लिख दिया गया है। ये काफिला प्रदेश में एक हजार किलोमीटर घूमेगा। इस दौरान रास्ते में आने वाले मंदिरों में ढोक लगाई जाएगी। महापुरुषों की मूर्तियों पर फूल-मालाएं चढ़ाई जाएंगी। इस यात्रा में 'सफेद घोड़ी' आउट ऑफ सिलेबस आ गई। भीड़ को मेला समझकर घोड़ी का मालिक अश्व-नाच का प्रोग्राम दिखाने लगा। इस बीच युवा नेताजी लगाम पकड़कर घोड़ी पर चढ़ गए। घोड़ी दो खुरों पर खड़ी हो गई। ऐसे-ऐसे स्टंट होने लगे कि कोई कच्चा खिलाड़ी होता तो जमीन पर गिरकर धूल फांकने लगता। लेकिन अरावली को बचाने की राह आसान थोड़े ही है। नेताजी दम साधे बैठे रहे और सकुशल ही नीचे उतरे। 2. वन मंत्री संजय शर्मा बोले- घर आऊं तो रोटी खिलाओगी? नेताओं का जीवन बड़ा कठिन होता है। नेताजी मंत्री बन जाएं तो पूछो ही मत। मिर्जा गालिब ने लिखा था- हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले.. मंत्री के जीवन में हजारों मांगें ऐसी कि हर मांग पर लोग दम निकालने को आमादा रहते हैं। ऐसी एक मांग थी पानी की। उन्हीं के गृह जिले अलवर में। विकट समस्या थी। एक मोहल्ला तो काफी लंबे समय से परेशान था। महिलाएं कई बार मटके फोड़ चुकी थीं। धरना-प्रदर्शन सब हो चुका था। लेकिन समस्या जस की तस। मंत्रीजी ने पानी की समस्या हल कर दी थी। महिलाएं काफी खुश थीं। लेकिन मंत्रीजी सीकर गए हुए थे। वहां कलेक्टर साहब ने मूड खराब कर दिया था। अलवर लौटने पर महिलाओं ने घेर लिया। गीत गाने लगीं- 'जय-जयकार हो रही है। मालाएं भेंट कीं। मंत्रीजी खुश ताली बजाकर खूब नाचे। फिर महिलाओं से पूछा- 'खुश हो? अब अगर घर आऊं तो रोटी तो खिलाओगी ना?' 3. चलते-चलते.. लगता है कि अमुक गांव में फलां बाबाजी ने ठीक ही फैसला किया था। जिसमें कहा था- बहू बेटी कैमरे वाला फोन घर में ही इस्तेमाल करेंगी। बूंदी का जिला हॉस्पिटल वह जगह है, जहां लोग दर्द से कराहते हुए पहुंचते हैं। ट्रॉमा सेंटर पर तो और भी गंभीर मरीज आते हैं। फिर भी एक नर्स से रहा नहीं गया और उसने हॉस्पिटल में ही नाच-नाचकर रील बना ली। रील बनाई जो बनाई, सोशल मीडिया पर पोस्ट भी कर डाली। रील में वह खुद तो नाचती दिख ही रही है, अस्पताल में कामकाज करते दूसरे साथी भी नजर आए। नाचने-रील बनाने पर पाबंदी नहीं, लेकिन बहन कहां बना रही हो यह तो देख लो। ओपीडी में मरीजों की कतार लगी होगी। कोई मरीज बीपी-शुगर की जांच का इंतजार कर रहा होगा। किसी का स्ट्रेचर खींचना होगा। किसी को सुई लगानी है। हां, कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि संगीत थेरैपी से इलाज के कुछ सकारात्मक परिणाम मिले हैं। लेकिन तुम अभी इस झमेले में मत पड़ो। बूगी-वूगी घर में करो और अस्पताल में मरीज संभालो। वीडियो देखने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें। अब मंगलवार को मुलाकात होगी...


