हंगरी में वर्ल्ड कैटलबैल चैंपियनशिप में डॉ. सुमन कालड़ा ने जीता कांस्य
श्रीगंगानगर| हंगरी के सेग्लेड शहर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कैटलबैल वर्ल्ड चैंपियनशिप (आईकेएमएफ) 2025 (भाग-2) में श्रीगंगानगर की डॉ. सुमन कालड़ा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक प्राप्त कया है। श्री कृष्ण मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष वेदप्रकाश कालड़ा की बेटी डॉ. सुमन ने वेटरन कैटेगरी में विश्व स्तर केि खिलाड़ियों को कड़ी चुनौती दी। पदक के साथ-साथ उन्होंने नेशनल रैंक की प्रतिष्ठित उपाधि भी हासिल की है। भारतीय दल की इस ऐतिहासिक जीत के साक्षी और मार्गदर्शक के रूप में भारत की पहली पैरा ओलिंपिक पदक विजेता, एशियन पैरालंपिक कमेटी की बोर्ड सदस्य पद्मश्री डॉ. दीपा मलिक मौजूद रहीं। उन्होंने डॉ. सुमन सहित सभी विजेताओं को सम्मानित किया और उनके जज्बे की सराहना की। इस वैश्विक प्रतियोगिता में 22 देशों के 200 से अधिक एथलीटों ने हिस्सा लिया। 15 सदस्यीय भारतीय दल ने अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए कुल 25 पदक जीते। दल के प्रतिनिधि और कोच के रूप में विनय सांगवान ने नेतृत्व किया। इस जीत पर सुमन ने कहा कि यह मेडल इस बात का प्रमाण है कि फिटनेस और खेल का जुनून किसी उम्र का मोहताज नहीं होता। सुमन के अनुसार उसकी कोशिश यही रहती है कि वह आने वाली पीढ़ी को खेल के प्रति प्रोत्साहित कर सके। (स्थानीय खबरें पेज नं. 8 पर भी पढ़ें)
श्रीगंगानगर| हंगरी के सेग्लेड शहर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कैटलबैल वर्ल्ड चैंपियनशिप (आईकेएमएफ) 2025 (भाग-2) में श्रीगंगानगर की डॉ. सुमन कालड़ा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक प्राप्त कया है। श्री कृष्ण मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष वेदप्रकाश कालड़
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पदक के साथ-साथ उन्होंने नेशनल रैंक की प्रतिष्ठित उपाधि भी हासिल की है। भारतीय दल की इस ऐतिहासिक जीत के साक्षी और मार्गदर्शक के रूप में भारत की पहली पैरा ओलिंपिक पदक विजेता, एशियन पैरालंपिक कमेटी की बोर्ड सदस्य पद्मश्री डॉ. दीपा मलिक मौजूद रहीं। उन्होंने डॉ. सुमन सहित सभी विजेताओं को सम्मानित किया और उनके जज्बे की सराहना की। इस वैश्विक प्रतियोगिता में 22 देशों के 200 से अधिक एथलीटों ने हिस्सा लिया।
15 सदस्यीय भारतीय दल ने अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए कुल 25 पदक जीते। दल के प्रतिनिधि और कोच के रूप में विनय सांगवान ने नेतृत्व किया। इस जीत पर सुमन ने कहा कि यह मेडल इस बात का प्रमाण है कि फिटनेस और खेल का जुनून किसी उम्र का मोहताज नहीं होता। सुमन के अनुसार उसकी कोशिश यही रहती है कि वह आने वाली पीढ़ी को खेल के प्रति प्रोत्साहित कर सके। (स्थानीय खबरें पेज नं. 8 पर भी पढ़ें)