फिल्म 'सागवान' में दिखेगा अंधविश्वास का खौफनाक चेहरा:उदयपुर के रीयल लाइफ पुलिस अफसर हिमांशु सिंह मूवी में रील लाइफ में दिखेंगे
मूवी 'सागवान' जल्द रिलीज होने वाली है। इस मूवी में दक्षिणी राजस्थान के घने जंगलों में घटित वास्तविक घटना से प्रेरित है। साथ ही इसमें उदयपुर के रीयल लाइफ पुलिस अफसर हिमांशु सिंह राजावत मूवी में रील लाइफ में दिखेंगे। वे मुख्य भूमिका में हैं। उदयपुर के पुलिस अधिकारी हिमांशु सिंह राजावत ने खाकी की उसी गरिमा और समाज की उसी कड़वी सच्चाई को समेटकर फिल्म तैयार की है। दक्षिणी राजस्थान के सागवान के जंगलों के बीच पनपी यह कहानी मर्डर मिस्ट्री तक सीमित नहीं है। मूवी में अंधविश्वास को लेकर काफी काम किया गया है। आज भी विज्ञान के युग में मासूमों की जान का दुश्मन बना हुआ है। फिल्म की पटकथा इस बुनियादी सवाल को कुरेदती है कि जब इंसान की आस्था, डर में बदल जाती है, तो वह हैवानियत की हदें क्यों पार करने लगता है। खाकी भी, कहानी भी और कलाकारी भी फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी खुद हिमांशु सिंह राजावत हैं। राजावत ने न केवल मुख्य भूमिका निभाई है, बल्कि लेखन और निर्देशन की कमान संभालकर यह साबित किया है कि एक पुलिस वाला समाज को सिर्फ डंडे से नहीं, बल्कि सिनेमा के जरिए जागरूक करके भी सुधार सकता है। राजावत ने बताया कि यह कहानी किसी एक केस की फोटोकॉपी नहीं है, बल्कि मेरे करियर के उन सैकड़ों अनुभवों का निचोड़ है, जहां मैंने इंसानियत को अंधविश्वास के आगे घुटने टेकते देखा है। दिग्गज कलाकारों की जुगलबंदी फिल्म में सयाजी शिंदे, मिलिंद गुणाजी खास भूमिका में दिखेंगे। निर्माता प्रकाश मेनारिया और सह-निर्माता अर्जुन पालीवाल ने बताया- फिल्म को राजस्थान की जड़ों से जोड़े रखा है। धरियावद और प्रतापगढ़ जैसे इलाकों की बोली और वहां का परिवेश फिल्म को 'सिनेमा' से ज्यादा 'हकीकत' के करीब ले जाता है।
मूवी 'सागवान' जल्द रिलीज होने वाली है। इस मूवी में दक्षिणी राजस्थान के घने जंगलों में घटित एक वास्तविक घटना से प्रेरित है। साथ ही इसमें उदयपुर के रीयल लाइफ पुलिस अफसर हिमांशु सिंह राजावत मूवी में रील लाइफ में दिखेंगे। वे मुख्य भूमिका में है। अक्सर कहा जाता है कि पुलिस की फाइलें कभी नहीं बोलतीं, लेकिन जब उन फाइलों के पीछे छिपी चीखें किसी संवेदनशील इंसान को सुनाई दे जाएं यह सब ‘सागवान’ मूवी में दिखेगा। उदयपुर के पुलिस अधिकारी हिमांशु सिंह राजावत ने खाकी की उसी गरिमा और समाज की उसी कड़वी सच्चाई को समेटकर एक ऐसी फिल्म तैयार की है। दक्षिणी राजस्थान के सागवान के जंगलों के बीच पनपी यह कहानी किसी एक मर्डर मिस्ट्री तक सीमित नहीं है। मूवी में अंधविश्वास को लेकर काफी काम किया गया है। आज भी विज्ञान के युग में मासूमों की जान का दुश्मन बना हुआ है। फिल्म की पटकथा इस बुनियादी सवाल को कुरेदती है कि- जब इंसान की आस्था, डर में बदल जाती है, तो वह हैवानियत की हदें क्यों पार करने लगता है। खाकी भी, कहानी भी और कलाकारी भी फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी खुद हिमांशु सिंह राजावत हैं। राजावत ने न केवल मुख्य भूमिका निभाई है, बल्कि लेखन और निर्देशन की कमान संभालकर यह साबित किया है कि एक पुलिस वाला समाज को सिर्फ डंडे से नहीं, बल्कि सिनेमा के जरिए जागरूक करके भी सुधार सकता है। राजावत ने बताया कि यह कहानी किसी एक केस की फोटोकॉपी नहीं है, बल्कि मेरे करियर के उन सैकड़ों अनुभवों का निचोड़ है जहाँ मैंने इंसानियत को अंधविश्वास के आगे घुटने टेकते देखा है। दिग्गज कलाकारों की जुगलबंदी फिल्म में सयाजी शिंदे अपनी कड़क आवाज और प्रभावशाली उपस्थिति के साथ तो मिलिंद गुणाजी रहस्य और गहराई को पर्दे पर उतारने में खास भूमिका निभाई है। निर्माता प्रकाश मेनारिया और सह-निर्माता अर्जुन पालीवाल ने बताया कि फिल्म को राजस्थान की जड़ों से जोड़े रखा है। धरियावद और प्रतापगढ़ जैसे इलाकों की बोली और वहां का परिवेश फिल्म को 'सिनेमा' से ज्यादा 'हकीकत' के करीब ले जाता है। मेनारिया ने बताया कि सेंसर बोर्ड से यूए सर्टिफिकेट मिलने के बाद इसकी रिलीज डेट जारी होगी जिसका सभी को इंतजार है।