श्रीमद् भागवत कथा; चतुर्थ दिन व्यासपीठ से गजेंद्र मोक्ष का प्रसंग सुनाया
जयपुर | सांगानेर के आजाद नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में चतुर्थ दिन गजेंद्र मोक्ष कथा का प्रसंग सुनाया गया। संस्थान के मंत्री राजेन्द्र गोहिल ने बताया कि व्यास पीठ से आचार्य जैनेंद्र कटारा ने कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि मुसीबतों के समय सभी परिवारजन जब साथ छोड़ देते हैं, तब एक ही नाम, एक ही पुकार श्री हरि की ही काम में आती हैं। प्रभु के प्रति शरणागति बड़े से बड़े कष्ट को दूर कर देती हैं। राजा बलि एवं वामन भगवान चरित्र में दान की महिमा का उल्लेख किया। राजा बलि ने अपने गुरू शुक्राचार्य की बात को भी नहीं माना और वामन भगवान को तीन पग भूमि दान करने का वचन दे दिया। सूर्य वंश के मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पूरे चरित्र का वर्णन किया। चन्द्र वंश का वर्णन करते हुए देवकी-वासुदेव के विवाह,कंस की देवकी के आठवें पुत्र द्वारा हत्या की आकाशवाणी सुनकर दोनों को कारागृह डाल देना, छह बच्चों की निर्मम हत्या, सातवें बलराम और उसके बाद आठवें पुत्र के रूपश्री हरि का कारागृह में चतुभुर्ज रूप में प्रकट होने का प्रसंग सुनाया।
जयपुर | सांगानेर के आजाद नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में चतुर्थ दिन गजेंद्र मोक्ष कथा का प्रसंग सुनाया गया। संस्थान के मंत्री राजेन्द्र गोहिल ने बताया कि व्यास पीठ से आचार्य जैनेंद्र कटारा ने कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि मुसीबतों के समय सभी परिवार
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प्रभु के प्रति शरणागति बड़े से बड़े कष्ट को दूर कर देती हैं। राजा बलि एवं वामन भगवान चरित्र में दान की महिमा का उल्लेख किया। राजा बलि ने अपने गुरू शुक्राचार्य की बात को भी नहीं माना और वामन भगवान को तीन पग भूमि दान करने का वचन दे दिया।
सूर्य वंश के मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पूरे चरित्र का वर्णन किया। चन्द्र वंश का वर्णन करते हुए देवकी-वासुदेव के विवाह,कंस की देवकी के आठवें पुत्र द्वारा हत्या की आकाशवाणी सुनकर दोनों को कारागृह डाल देना, छह बच्चों की निर्मम हत्या, सातवें बलराम और उसके बाद आठवें पुत्र के रूपश्री हरि का कारागृह में चतुभुर्ज रूप में प्रकट होने का प्रसंग सुनाया।