टोल से परेशान हो रहे लोग:बीडीए की जद बढ़ी तो टोल सीमा में आए कई गांव घर और दफ्तर जाने के लिए भी देना पड़ रहा शुल्क
संभाग मुख्यालय होने की वजह से लोगों को घर से ऑफिस आने-जाने तक के लिए भी अब टोल चुकाना पड़ रहा है। वजह ये है कि भरतपुर शहर के आस-पास करीब 10-15 किमी की दूरी तक 3 टोल प्लाजा लुधावई, गिरधरपुर व गुंडवा पर हैं यहां लोगों को रोजाना 50 से 55 रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं। असल में पहले शहर की यूआईटी थी और 53 राजस्व गांव ही क्षेत्र में आते थे और दायरा भी 10-15 किमी भी नहीं था। अब 15 दिसंबर 2024 को सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर यूआईटी की जगह बीडीए (भरतपुर विकास प्राधिकरण) बना दिया। जिसके अंतर्गत भरतपुर शहर के साथ-साथ कुल 210 राजस्व गांवों को शामिल किया गया है, जिसमें डीग, कुम्हेर और नदबई तहसील के कई गांव शामिल हैं। जैसे अभोर्रा, तालफरा, पूंछरी, गगवाना, कौठेन और रारह आदि शामिल किए गए हैं, जिससे पूरे क्षेत्र का सुनियोजित विकास हो सके। वहीं दूसरी ओर भरतपुर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सेवर से आगे लुधावई, भरतपुर से डीग मार्ग पर महाराजसर के पास गिरधरपुर पर, कंजौली पुल से सेवर-मथुरा बाईपास पर गुंडवा पर टोल प्लाजा शहर के बिल्कुल नजदीक 10 किमी दूरी भी नहीं है। जबकि बीडीए का क्षेत्र 20-22 किमी तक बढ़ गया है और ऐसे में लोगों को हर रोज आने-जाने में टोल देना पड़ रहा है। 1. गिरधरपुर टोल: बृज यूनिवर्सिटी जाने के लिए भी टोल टैक्स देकर जाना पड़ रहा महाराजसर गिरधरपुर टोल डीग रोड पर आरएसआरडीसी ने लगाया है। यह शहर के नजदीक है और उससे आगे तक शहर का विकास हो चुका है। यूनिवर्सिटी भी उससे आगे है। पढ़ने वाले व नौकरी करने वाले लोगों को रोज जाना पड़ता है। 5 हजार वाहन रोज निकलते हैं। 2. गुंडवा टोल: शहर के सबसे नजदीक टोल, इसके आस पास भी हैं कई गांव गुंडवा टोल शहर के नजदीक है बाईपास पर टोल है, जहां आस पास कई गांव हैं। ये सेवर से मथुरा जाने वाले रोड पर है और कंजौली रेलवे पुल से टर्न के बाद आस पास के गांवों के बीच है। ये सभी गांव बीडीए क्षेत्र में हैं और लोगों को शहर आने-जाने का भी टोल देना पड़ता है। 3. लुधावई टोल प्लाजा: 10 किमी आगे तक के गांव अब शहर में हो गए शामिल जयपुर रोड पर लुधावई टोल प्लाजा सेवर से मात्र 3 किमी दूरी पर है। वहीं लुधावई टोल प्लाजा से सिर्फ 10 किमी आगे बांसी तक बीडीए का एरिया हो गया है, जहां अब नई-नई कॉलोनियां भी बनने लगी हैं। हाईवे होने की वजह से यहां हर रोज 15 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं। लोकल लीडरशिप बहुत कमजोर है "टोल हमेशा वही वसूलता है जो एजेंसी रोड बनाती है। हम नौकरी करते थे, तब शहर का एरिया कम था। तब ज्यादातर पीडब्ल्यूडी ही सड़क बनाती थी और वही टोल लगाती थी, तब एनएचएआई नहीं थी। उसकी स्थापना तो मेरी सेवानिवृत्ति के बाद हुई है। अब शहर का एक्सटेंशन होते ही टोल भी दूर शिफ्ट करने चाहिए, लोकल लीडरशिप कमजोर है। यही वजह है लोगों को लोकल शहर के बीडीए क्षेत्र में ही रोजाना टोल देना पड़ता है। जयपुर रोड पर लुधावई से आगे बांसी और डीग रोड पर कुम्हेर तक तथा मथुरा रोड पर रारह तक शहर पहुंच गया है और हर रोज हजारों लोग टोल देकर शहर में आते हैं। " -भास्कर एक्सपर्ट - राजेंद्र सिंह, पूर्व एईएन पीडब्ल्यूडी