अखंड पाठ का भोग, कीर्तन दीवान में गुरु जस का किया गान, जम्मू कश्मीर, दिल्ली से भी पहुंची संगत
गुरुद्वारे में आयोजित विशेष दीवानों के साथ-साथ सेवा की एक मिसाल पेश की गई। 300 से अधिक पुरुष और महिला सेवादारों ने अलग-अलग मोर्चों पर जिम्मेदारी संभाली। बड़े स्तर पर लंगर तैयार करने से लेकर श्रद्धापूर्वक संगत को छकाने तक की कमान सेवादारों के हाथ रही। कड़कड़ाती ठंड के बावजूद सेवादार नंगे पैर रहकर श्रद्धालुओं के जूते-चप्पल संभालने की सेवा में जुटे रहे। इसके अलावा बर्तनों की सफाई और गुरुद्वारा परिसर की स्वच्छता के लिए सेवादारों में विशेष उत्साह देखा गया। सेवा में जुटे युवाओं और बुजुर्गों का कहना था कि गुरु महाराज के दिखाए मार्ग पर चलते हुए निस्वार्थ सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। सेवादारों के चेहरों पर थकान के बजाय एक विशेष मुस्कान और संतुष्टि का भाव दिखने को मिला। श्रीगंगानगर| सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह के चार साहिबजादों के अद्वितीय बलिदान और शौर्य को नमन करने के लिए मंगलवार को नई धानमंडी स्थित दी गंगानगर ट्रेडर्स एसोसिएशन हॉल में ‘निक्कियां जिंदां वड्डे साके’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सिख फोरम सोसायटी के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को साहिबजादों के धर्म के प्रति अडिग विश्वास और साहस से परिचित कराना था। आयोजन के दौरान जिले के विभिन्न स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए चित्रकला, भाषण और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। चित्रकला में बच्चों ने साहिबजादों की शहादत और अत्याचार के विरुद्ध उनके संकल्प को कैनवास पर उकेरा। भाषण प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह के बलिदान पर भावपूर्ण विचार रखे, जिससे श्रोता भाव विभोर हो गए। प्रश्नोत्तरी में ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित इस प्रतियोगिता में बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर अपनी जागरूकता का परिचय दिया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. हरबंस सिंह बराड़ ने कहा कि साहिबजादों की शहादत पूरे मानव समाज के लिए प्रेरणापुंज है। पीएमओ डॉ. सुखपाल सिंह बराड़, जीपी सिंह अरनेजा, डॉ. प्रेम बजाज और बलदेव सिंह औलख ने भी बच्चों को सत्य और साहस के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। इस अवसर पर गुरुद्वारा सिंह सभा के अध्यक्ष जितेन्द्रपाल सिंह ‘पाली’ कोचर सहित कई गणमान्य नागरिक और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विजेताओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्र के नैतिक मूल्यों को सुदृढ़ करने के संकल्प के साथ हुआ। भास्कर संवाददाता| श्रीगंगानगर मित्र प्यारे नूं हाल मुरीदां दा कहणा..., मानस की जात सबै एकै पहचानबो... व दे सिवा बरू मोहि इतै, सुभ करमन ते कबहूं न टरों... जैसे शब्द कीर्तन पदमपुर रोड चक 5 ए स्थित गुरुद्वारा हरगोबिंदसर में मंगलवार को गूंजते रहे। मौका था गुरुद्वारा साहिब की ओर से श्रीगुरु गोबिंद सिंह महाराज के प्रकाशोत्सव पर आयोजित कीर्तन दीवान का। इस अवसर पर जम्मू कश्मीर, दिल्ली के अलावा स्थानीय संगत ने श्रीगुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष शीश नवाया। प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों की शुरुआत श्री अखंड पाठ साहिब के प्रकाश से हुई थी, जिसका भोग मंगलवार को डाला गया। इसके उपरांत विशेष कीर्तन दीवान सजाया गया। ढाडी जत्था भाई छिंदरपाल सिंह मानेवाला और भाई जसविंद्र सिंह अबुल खुराना ने गुरु साहिब के जीवन संघर्ष और वीरता के गौरवमयी इतिहास को साझा किया। उन्होंने बताया कि श्रीगुरु गोबिंद सिंह महाराज का जीवन साहस, त्याग और मानवता की रक्षा का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि गुरु साहिब ने अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने और सत्य के मार्ग पर अडिग रहने की शिक्षा दी। खालसा पंथ की स्थापना कर उन्होंने समाज को समानता, भाईचारे और सेवा का संदेश दिया। इस दौरान संगत को गुरु साहिब के आदर्शों पर चलने और समाज में सेवा, प्रेम तथा सद्भाव के लिए प्रेरित किया। कीर्तन के दौरान जो बोले सो निहाल, सतश्री अकाल के जयकारों से गुरुद्वारा परिसर गूंज उठा। इसके अलावा हजूरी रागी भाई हरनेक सिंह एवं भाई सरिंदर सिंह ने गुरुबाणी कीर्तन के जरिए संगत को निहाल किया। गुरुद्वारा के सेवादार बाबा रेशम सिंह ने बताया कि भोग की समाप्ति के बाद गुरु का अटूट लंगर वितरित किया गया।