श्रीनाथ मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया, श्रद्धालुओं ने अबीर-गुलाल उड़ाया
भास्कर संवाददाता| डूंगरपुर गेपसागर पाल पर स्तिथ श्रीनाथ मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन सोमवार को श्रीकृष्ण प्राकट्योत्सव मनाया। इस अवसर पर कथा पंडाल में भागवत प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ी। कथा व्यास पं. दीपेन व्यास ने बताया कि भगवान का जन्म नहीं होता, बल्कि वे प्रकट होते हैं। पांचवे दिन पंडित रोहित पंडया ने मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना की और कथा का शुभारंभ हुआ। कथा में भक्तों ने भगवान कृष्ण के प्राकट्योत्सव की कथा का श्रवण किया। इस दौरान सुंदर भजनों का भी आयोजन किया। इस पर श्रद्धालु भक्तिभाव में लीन दिखे। कथाचार्य प. दीपेन व्यास ने कृष्ण अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि भागीरथी गंगा में स्नान करने से शारीरिक अशुद्धियां दूर होती हैं, लेकिन मानसिक अशुद्धियां केवल प्रभु कृष्ण की कथा से ही दूर हो सकती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कृष्ण कथा कहीं भी कही और सुनी जा सकती है, जबकि भागीरथी गंगा हर स्थान पर प्रकट नहीं होती। कथा व्यास ने बताया कि जब धरती पर दैत्यों का उपद्रव बढ़ गया, लोग दुःखी हो गए और पाप चरम पर पहुंच गया, तब धरती ने ब्रह्मा की शरण ली। ब्रह्मादि देवताओं ने भगवान नारायण से प्रार्थना की, जिसके बाद भगवान ने वसुदेव-देवकी के यहां शीघ्र प्रकट होने का आश्वासन दिया। इसके उपरांत सभी देवता गोकुल में प्रकट हुए। भगवान ने देवकी के आठवें गर्भ के रूप में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्य रात्रि को कंस के कारागार में अवतार धारण किया। भगवान कृष्ण के प्राकट्य होते ही कथा पंडाल में खुशियां मनाई। कथा में रमेश वरयानी ने भागवत जी की आरती उतारी। इसके बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान राजेंद्र यादव, घनश्याम शाह, डॉ अरविन्द,गजेंद्र श्रीमाल, पार्षद भूपेश शर्मा, शैलेंद्र अरोड़ा, डायालाल मोची, गोपाल जोशी, श्रीनाथ महिला मंडल, गोपी सत्संग मंडल सहित शहर के श्रद्वालु मौजूद रहे।
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गेपसागर पाल पर स्तिथ श्रीनाथ मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन सोमवार को श्रीकृष्ण प्राकट्योत्सव मनाया। इस अवसर पर कथा पंडाल में भागवत प्रेमियों की भारी भीड़ उमड़ी। कथा व्यास पं. दीपेन व्यास ने बताया कि भगवान का जन्म नहीं होता, बल्कि वे प्रकट होते हैं। पांचवे दिन पंडित रोहित पंडया ने मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना की और कथा का शुभारंभ हुआ। कथा में भक्तों ने भगवान कृष्ण के प्राकट्योत्सव की कथा का श्रवण किया।