नागौर में साल के आखिरी दिन बदला मौसम:घना कोहरा छाने से वाहन चालकों को हुई परेशानी, सर्दी ने ठिठुरन बढ़ाई
साल के अंतिम दिन कुचामन सिटी और आसपास के ग्रामीण इलाकों में कड़ाके की ठंड के बीच आज सुबह सीजन की पहली घनी ओस और कोहरा गिरा। क्षेत्र सफेद चादर में लिपटा नजर आया। लंबे समय से सूखी ठंड और धूप झेल रहे किसानों के लिए साल का यह आखिरी दिन बड़ी राहत लेकर आया है। विशेषज्ञों और किसानों का मानना है कि यह ओस रबी की फसलों के लिए अमृत के समान है। सुबह होते ही कुचामन शहर और ग्रामीण इलाकों में घना कोहरा छा गया। खेत, पेड़-पौधे, छतें और सड़कें ओस की बूंदों से भीगी नजर आईं। ठंड इतनी तेज थी कि लोग सुबह देर तक घरों से बाहर नहीं निकले। ग्रामीण इलाकों में लोग अलाव जलाकर ठंड से बचते दिखाई दिए। मौसम के इस बदलाव ने साल के आखिरी दिन को और भी ठंडा बना दिया। सड़कों पर विजिबिलिटी जीरो, रेंगते नजर आए वाहन घने कोहरे के कारण सड़कों पर विजिबिलिटी लगभग जीरो हो गई। जयपुर-नागौर हाईवे सहित ग्रामीण संपर्क मार्गों पर वाहन बेहद धीमी गति से चलते नजर आए। वाहन चालकों को दिन में भी हेडलाइट्स जलाकर सफर करना पड़ा। कोहरे और ठंड के चलते आम जनजीवन प्रभावित रहा। 31 दिसंबर को नए साल के स्वागत की तैयारियों के बीच ठंड ने लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने पर मजबूर कर दिया। खेतों में गिरी ओस बनी किसानों के लिए वरदान खेती-किसानी के लिहाज से यह मौसम किसानों के लिए खुशखबरी लेकर आया है। गोपालपुरा, सुजानपुरा, जिलिया, चितावा सहित आसपास के गांवों में बुवाई कर चुके किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। किसान परसाराम बुगालिया ने बताया कि इस बार लंबे समय तक वैसी ठंड नहीं पड़ी थी जैसी रबी की फसलों के लिए जरूरी होती है, लेकिन साल के अंतिम दिन गिरी भारी ओस ने फसलों को नई ऊर्जा दे दी है। कृषि जानकारों के अनुसार ओस और ठंड का यह दौर जौ, गेहूं, सरसों और चना जैसी रबी की फसलों के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे फसलों में नमी बनी रहती है, रोगों का खतरा कम होता है और उत्पादन बढ़ने की संभावना रहती है। यदि जनवरी और फरवरी तक ऐसा ही मौसम बना रहा, तो इस बार रबी फसलों का उत्पादन रिकॉर्ड तोड़ सकता है।
साल 2025 के अंतिम दिन यानी आज बुधवार को कुचामन सिटी और आसपास के ग्रामीण इलाकों में मौसम ने जबरदस्त पलटा खाया है। कड़ाके की ठंड के बीच आज सुबह सीजन की पहली घनी ओस और कोहरा गिरने से पूरा इलाका सफेद चादर में लिपटा नजर आया। लंबे समय से सूखी ठंड और धूप का सामना कर रहे किसानों के लिए साल का यह आखिरी दिन बड़ी राहत लेकर आया है। विशेषज्ञों और स्थानीय किसानों का मानना है कि आज की यह ओस रबी की फसलों के लिए 'अमृत' के समान है, जिससे फसलें रोगों से मुक्त होंगी और उत्पादन में बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। सड़कों पर विजिब्लिटी जीरो : वाहन रेंगने को मजबूर सुबह से ही छाया घना कोहरा इतना गहरा था कि सड़कों पर विजिब्लिटी जीरो के करीब पहुंच गई। इसके चलते जयपुर-नागौर हाईवे सहित ग्रामीण संपर्क मार्गों पर वाहनों के पहिए थम से गए। वाहन चालकों को दिन के उजाले में भी हेडलाइट्स जलाकर बेहद धीमी गति से चलना पड़ा। सर्दी और ठिठुरन के चलते आम जनजीवन भी पूरी तरह प्रभावित रहा। लोग सुबह देर तक घरों में दुबके रहे और अलाव जलाकर ठंड से बचने का जतन करते नजर आए। 31 दिसंबर होने के कारण जहां लोग नए साल के स्वागत की तैयारियों में जुटे हैं, वहीं इस कड़ाके की सर्दी ने उत्सव के उत्साह के बीच ठिठुरन बढ़ा दी है। खेती किसानी के लिए अमृत साबित होगी ओस खेती की बात करें तो गोपालपुरा, सुजानपुरा, जिलिया, और चितावा सहित आसपास के दर्जनों गांवों में बुवाई कर चुके किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। ग्रामीण परसाराम बुगालिया ने बताया कि इस बार सर्दी के सीजन के करीब 2 महीने बीतने के बाद भी वैसी ठंड नहीं थी जैसी उम्मीद की जा रही थी, लेकिन आज गिरी भारी ओस ने जौ, गेहूं, सरसों और चना जैसी फसलों को नई जान दे दी है। कृषि जानकारों का कहना है कि यदि ओस और ठंड का यह दौर जनवरी और फरवरी तक जारी रहता है, तो इस बार रबी की फसल का उत्पादन पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ सकता है। साल के अंतिम दिन हुए इस सुखद मौसमी बदलाव ने किसानों के लिए नए साल की खुशियों को दोगुना कर दिया है।