धर्म-समाज:बच्चों को गुरुवाणी सिखाते हैं सलमान अली, गुरुद्वारों में शबद कीर्तन भी करते हैं
धार्मिक कट्टरता के माहौल के बीच सलमान अली जैसे अभी भी कुछ लोग हैं, जो दीपक बनकर सद्भाव की लौ को जलाए हैं। सलमान अली संगीत से जुड़े हैं और बच्चों को गुरुवाणी सिखा रहे हैं। अब तक करीब 28 से ज्यादा बच्चों को उन्होंने गुरुवाणी सिखाई है। इनमें से 8 से ज्यादा बच्चे गैर-सिख हैं। इनमें एक मुस्लिम भी है। करीब 9 बालिकाएं हैं। बच्चे भले ही कच्ची उम्र के हैं, लेकिन सभी पक्के रागों में अभ्यस्त हैं और अब गुरुद्वारों में शबद कीर्तन करने जाते हैं। बच्चों के साथ सलमान अली भी संगत करते हैं। सत्ताईस वर्षीय सलमान अली खानदानी गवैये हैं। उनके बाप-दादा भी शास्त्रीय संगीत गायन और वादन से जुड़े रहे हैं। मूलत: राया, जिला मथुरा के निवासी सलमान काफी समय से भरतपुर में रह रहे हैं और बच्चों को गुरुवाणी सहित शास्त्रीय संगीत सिखा रहे हैं। नतीजा सकारात्मक है। श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष एवं पूर्व डिप्टी मेयर इंद्रपाल सिंह कहते हैं कि इन बच्चों का अपना अलग रागी जत्था है, जो पाई बाग स्थित मुख्य गुरुद्वारे सहित शहर के अन्य गुरुद्वारों में शबद कीर्तन करने आते हैं। ये बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ धार्मिक आस्था से जुड़कर गुरुवाणी सीख रहे हैं। प्रमुख पर्वों पर सजने वाले दीवानों में इस बाल रागी जत्थे को भी शबद कीर्तन का मौका मुहैया होता है। इन बच्चों ने काफी मेहनत से रागों को पकड़ा है और शब्दों की शुद्धता बताती है कि बच्चे मेहनत और आस्था से गुरुवाणी सीख रहे हैं।
धार्मिक कट्टरता के माहौल के बीच सलमान अली जैसे अभी भी कुछ लोग हैं, जो दीपक बनकर सद्भाव की लौ को जलाए हैं। सलमान अली संगीत से जुड़े हैं और बच्चों को गुरुवाणी सिखा रहे हैं। अब तक करीब 28 से ज्यादा बच्चों को उन्होंने गुरुवाणी सिखाई है। इनमें से 8 से ज्य
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सत्ताईस वर्षीय सलमान अली खानदानी गवैये हैं। उनके बाप-दादा भी शास्त्रीय संगीत गायन और वादन से जुड़े रहे हैं। मूलत: राया, जिला मथुरा के निवासी सलमान काफी समय से भरतपुर में रह रहे हैं और बच्चों को गुरुवाणी सहित शास्त्रीय संगीत सिखा रहे हैं। नतीजा सकारात्मक है।
श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष एवं पूर्व डिप्टी मेयर इंद्रपाल सिंह कहते हैं कि इन बच्चों का अपना अलग रागी जत्था है, जो पाई बाग स्थित मुख्य गुरुद्वारे सहित शहर के अन्य गुरुद्वारों में शबद कीर्तन करने आते हैं। ये बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ धार्मिक आस्था से जुड़कर गुरुवाणी सीख रहे हैं। प्रमुख पर्वों पर सजने वाले दीवानों में इस बाल रागी जत्थे को भी शबद कीर्तन का मौका मुहैया होता है। इन बच्चों ने काफी मेहनत से रागों को पकड़ा है और शब्दों की शुद्धता बताती है कि बच्चे मेहनत और आस्था से गुरुवाणी सीख रहे हैं।