दिग्विजय सिंह के आरएसएस वाले बयान पर बहस जारी, कांग्रेस नेताओं ने गोडसे और अल-क़ायदा का किया ज़िक्र
SOURCE:BBC Hindi
दिग्विजय सिंह के आरएसएस से जुड़े बयान पर छिड़ी बहस के बाद कांग्रेस-बीजेपी नेताओं के बयान थम नहीं रहे हैं. कांग्रेस ने कहा कि उसे संघ से सीखने की ज़रूरत नहीं है. वहीं बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस वोट की राजनीति में बेकाबू हो रही है.
दिग्विजय सिंह के आरएसएस वाले बयान पर बहस जारी, कांग्रेस नेताओं ने गोडसे और अल-क़ायदा का किया ज़िक्र
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इमेज कैप्शन, आरएसएस पर दिग्विजय सिंह की सोशल पोस्ट पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने प्रतिक्रिया दी है
2 घंटे पहले
वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की सोशल मीडिया पर आरएसएस से जुड़ी एक पोस्ट से पैदा हुई बहस थमने का नाम ही नहीं ले रही है.
उनकी इस पोस्ट पर बीजेपी से ज़्यादा उनकी ही पार्टी के नेताओं के बयान आ रहे हैं.
दिग्विजय सिंह ने शनिवार को कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक से पहले अपनी इस पोस्ट पर सफ़ाई देते हुए कहा था कि वो आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घोर विरोधी हैं लेकिन संघ के संगठनात्मक ढांचे के कायल हैं.
उन्होंने इस पोस्ट में एक पुरानी तस्वीर डाली थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पास बैठे दिख रहे थे.
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इस तस्वीर का हवाला देते हुए उन्होंने लिखा था कि "आरएसएस का ज़मीनी स्वयंसेवक और जनसंघ-बीजेपी का कार्यकर्ता नेताओं के चरण में बैठकर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बना. ये संगठन की शक्ति है."
इस पोस्ट के बाद ये कयास लगाया जाने लगा कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस संगठन में बदलाव चाह रहे हैं और इसके लिए उन्होंने पोस्ट डालकर इशारों-इशारों में ये बात कही है.
लेकिन दिग्विजय सिंह की सफ़ाई के बावजूद ये बहस छिड़ी हुई है कि क्या कांग्रेस को बीजेपी के अनुशासन से सीखने की ज़रूरत है.
कांग्रेस चीफ़ मल्लिकार्जुन खड़गे ने क्या कहा?
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इमेज कैप्शन, कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी और पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे (दाएं)
हालांकि शीर्ष स्तर पर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह का नाम लिए बग़ैर कहा कि उनकी पार्टी और बीजेपी के बीच फ़र्क़ है.
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि कांग्रेस कभी धर्म की राजनीति नहीं करती.
लेकिन आरएसएस को लेकर छिड़ी बहस पर पार्टी के दूसरे नेताओं के बयानों का सिलसिला जारी है.
दिग्विजय सिंह ने ख़ुद ये कहा कि 'गांधी के हत्यारों' से सीखने की कोई बात नहीं हो सकती.
उन्होंने कहा, "मैं कांग्रेस में रहा हूं और विधानसभा और संसद में सांप्रदायिक ताक़तों से लड़ा हूं. मैं आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा का विरोध करता हूं. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि हर संगठन को मज़बूत करने की ज़रूरत होती है.''
रविवार को भी उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि "बीजेपी कांग्रेस में फूट डालने का काम कर रही है. उनके और शीर्ष नेतृत्व की विचारधारा में कोई मतभेद नहीं है. पार्टी में कोई रिमोट कंट्रोल नहीं है."
तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर एक कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह के पास बैठे दिखे.
उन्होंने कहा कि किसी भी संगठन में अनुशासन और मज़बूती ज़रूरी होती है.
हालांकि उन्होंने आरएसएस या भाजपा पर सीधे टिप्पणी नहीं की.
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिग्विजय सिंह के बयान का हवाला तो नहीं दिया लेकिन कहा कि कांग्रेस कभी धर्म की राजनीति नहीं करती.
रविवार को कांग्रेस के स्थापना दिवस पर खड़गे ने कहा, "हमारे पास भले सत्ता कम हो, लेकिन हमारी रीढ़ कमज़ोर नहीं है. हम सत्ता में हों या न हों, धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगते. हम धर्म में विश्वास करते हैं, लेकिन कुछ लोग धर्म को राजनीति बना चुके हैं. बीजेपी के पास सत्ता है, लेकिन सच्चाई नहीं. आरएसएस नेताओं ने कभी तिरंगे और वंदे मातरम को स्वीकार नहीं किया था और आज वे जनता के अधिकारों को कुचल रहे हैं. हमें मज़बूती से इसका विरोध करना होगा."
वहीं कांग्रेस के मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा ने दिग्विजय सिंह के बयान पर आरएसएस को नाथूराम गोडसे से जोड़ा.
उन्होंने कहा, ''आरएसएस से कुछ भी सीखने की ज़रूरत नहीं है. जो संगठन गोडसे के नाम से जाना जाता हो वो गांधी की ओर से बनाए गए संगठन को क्या सिखा सकता है.''
कांग्रेस नेता ने आरएसएस और अल-क़ायदा को लेकर क्या कहा
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इमेज कैप्शन, कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने आरएसएस को अलक़ायदा से जोड़ा है
वहीं कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने दिग्विजय सिंह की पोस्ट को पहले तो सेल्फ़ गोल बताया और फिर कहा कि आरएसएस से सीखने की कोई ज़रूरत नहीं है.
"आरएसएस एक ऐसा संगठन है जो नफ़रत पर बना है. ये नफ़रत फैलाता है. नफ़रत से सीखने की कोई ज़रूरत नहीं है."
उन्होंने कहा, ''क्या आप अल-क़ायदा से कुछ सीख सकते हैं. अल-क़ायदा नफ़रत का संगठन है. ये दूसरों से नफ़रत करता है. उस संगठन से क्या सीख सकते हैं. अगर हम सीखना चाहते हैं तो अच्छे लोगों से सीखें. कांग्रेस पार्टी 140 साल पुरानी है. कांग्रेस ने लोगों को जोड़ा है. महात्मा गांधी ने कांग्रेस को जनांदोलन में बदला."
राजस्थान के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने भी कहा कि कांग्रेस में कोई मतभेद नहीं है.
उन्होंने कहा, "कांग्रेस एकजुट है. देश को मज़बूत विपक्ष की ज़रूरत है. कांग्रेस ही यह भूमिका निभा रही है. विचार व्यक्त करने की आज़ादी है. हमारा एक ही लक्ष्य है, खड़गे और राहुल को मज़बूत करना."
वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि दिग्विजय सिंह पूरी तरह पार्टी नेतृत्व के साथ हैं.
उन्होंने कहा, "तथ्यों को समझना और किसी की तारीफ़ करना अलग बातें हैं. आरएसएस की मूल विचारधारा भारत की आत्मा के ख़िलाफ़ है. दिग्विजय सिंह और हम सभी आरएसएस की विचारधारा को ख़ारिज करते हैं."
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि कांग्रेस को आरएसएस से कुछ सीखने की ज़रूरत नहीं है.
श्रीनेत ने कहा, "उन्हें हमसे सीखना चाहिए. हमें गोडसे के संगठन से कुछ नहीं सीखना."
'कांग्रेस वोट-बैंक की राजनीति में पूरी तरह बेकाबू'
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इमेज कैप्शन, बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने दिग्विजय के आरएसएस वाले बयान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर निशाना साधा है
मणिकम टैगोर के अल-क़ायदा वाले बयान का बीजेपी ने विरोध किया है.
बीजेपी प्रवक्ता तहसीन पूनावाला ने कहा, ''कांग्रेस अब वोट-बैंक की राजनीति की भूख में पूरी तरह बेकाबू हो गई है. हिंदू, सनातन, सेना और भारत का अपमान करने के बाद अब वे एक राष्ट्रवादी संगठन को भी निशाना बना रहे हैं.''
उन्होंने कहा, ''जो संगठन पिछले 100 वर्षों से राष्ट्र के प्रति समर्पण और राष्ट्रीय सेवा के लिए काम कर रहा है, उसे ये आतंकी बता रहे हैं. लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर इनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है."
''कांग्रेस ने वोट-बैंक की राजनीति को हर चीज़ से ऊपर रख दिया है. यह सभी राष्ट्रवादियों का अपमान है. ये वही लोग हैं जो कहते हैं कि अफ़ज़ल, याक़ूब और बाटला हाउस के हत्यारे मासूम हैं. ये वही लोग हैं जो सेना का अपमान करते हैं.''
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, "कांग्रेस के स्थापना दिवस पर कांग्रेस के रिमोट कंट्रोल से चलने वाले अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस की उपलब्धियों को गिनाने की कोशिश कर रहे थे.''
''मैं कहना चाहता हूं कि पीओके कांग्रेस पार्टी की विरासत है, देश का बंटवारा कांग्रेस पार्टी की विरासत है और 1984 के दंगे भी कांग्रेस पार्टी की विरासत हैं. चीन को हमारी ज़मीन सौंपना भी कांग्रेस की ही विरासत है.''
उन्होंने कहा, ''मल्लिकार्जुन खड़गे इतने बेबस हैं कि उन्हें देश की परवाह किए बिना सिर्फ़ नक़ली गांधी परिवार की सेवा करनी पड़ती है.''
"कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और शशि थरूर खुद यह स्वीकार कर चुके हैं कि कांग्रेस पार्टी में अब लोकतंत्र नहीं बचा है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.