बर्ड रिंगिंग रिसर्च:प्रवासी पक्षियों का घना से अब मीलों दूर तक का सफर होगा ट्रैक
विश्वप्रसिद्ध केवलादेव पक्षी विहार में पिछले 2 महीने से बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी ( बीएनएचएस) की ओर से बर्ड रिंगिंग रिसर्च की जा रही है। इस रिसर्च के माध्यम से देश-विदेश से आने वाली प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के बारे में पता चलेगा। उनकी उड़ान क्षमता, प्रवास मार्ग, ठहराव अवधि और जीवन चक्र के साथ अच्छे वेटलैंड के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी। इंचार्ज ओमकार दीपक जोशी (सीनियर प्रोजेक्ट फेलो) बताते हैं िक रिसर्च के तहत चयनित पक्षियों के पैरों में विशेष पहचान रिंग लगाई जाती है, जिससे पता लगाया जा सके कि वे कहां से आते हैं, कितनी दूरी तय करते हैं और कब वापस लौटते हैं। साथ ही उनके प्रजनन काल, उम्र, जीवित रहने और मौसम परिवर्तन का प्रभाव भी रिकॉर्ड किया जा सकता है। हमारी 7 सदस्यीय टीम लगातार काम रही है। कभी-कभी एक भी पक्षियों को रिंग नहीं पहना पाते तो कभी 8 से 9 पक्षियों को रिंग पहनाने का काम कर देते हैं। पक्षियों को पकड़ने के लिए स्पेशल व्यक्ति के द्वारा काम किया जाता है, जिससे पक्षियों को परेशानी न हो। यह रिंग एल्युमिनियम की बनी हुई है। रिंग पहनाकर उन्हें दोबारा खुले आसमान में छोड़ा जाएगा। जब वही पक्षी किसी अन्य स्थान पर दोबारा पकड़े जाते हैं या देखे जाते हैं तो उनकी यात्रा और व्यवहार से जुड़े तथ्य सामने आते हैं। वहीं डेजर्ट नेशनल पार्क, कांवर लेक बर्ड सेंचुरी, चंबल सेंचुरी, केवलादेव और मीनार लेक में तीन साल तक रिंगिंग रिसर्च होगी।
विश्वप्रसिद्ध केवलादेव पक्षी विहार में पिछले 2 महीने से बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी ( बीएनएचएस) की ओर से बर्ड रिंगिंग रिसर्च की जा रही है। इस रिसर्च के माध्यम से देश-विदेश से आने वाली प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के बारे में पता चलेगा। उनकी उड़ान
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इंचार्ज ओमकार दीपक जोशी (सीनियर प्रोजेक्ट फेलो) बताते हैं िक रिसर्च के तहत चयनित पक्षियों के पैरों में विशेष पहचान रिंग लगाई जाती है, जिससे पता लगाया जा सके कि वे कहां से आते हैं, कितनी दूरी तय करते हैं और कब वापस लौटते हैं। साथ ही उनके प्रजनन काल, उम्र, जीवित रहने और मौसम परिवर्तन का प्रभाव भी रिकॉर्ड किया जा सकता है। हमारी 7 सदस्यीय टीम लगातार काम रही है।
कभी-कभी एक भी पक्षियों को रिंग नहीं पहना पाते तो कभी 8 से 9 पक्षियों को रिंग पहनाने का काम कर देते हैं। पक्षियों को पकड़ने के लिए स्पेशल व्यक्ति के द्वारा काम किया जाता है, जिससे पक्षियों को परेशानी न हो। यह रिंग एल्युमिनियम की बनी हुई है। रिंग पहनाकर उन्हें दोबारा खुले आसमान में छोड़ा जाएगा। जब वही पक्षी किसी अन्य स्थान पर दोबारा पकड़े जाते हैं या देखे जाते हैं तो उनकी यात्रा और व्यवहार से जुड़े तथ्य सामने आते हैं। वहीं डेजर्ट नेशनल पार्क, कांवर लेक बर्ड सेंचुरी, चंबल सेंचुरी, केवलादेव और मीनार लेक में तीन साल तक रिंगिंग रिसर्च होगी।