मुनि प्रज्ञान सागर बोले-भगवान और गुरु चरणों में मनाए नववर्ष:युवा शक्ति धर्म से जुड़ जाएगी तो समाज सशक्त, संस्कारित और अनुशासित बनेगा
परम पूज्य गणाचार्य विराग सागर जी एवं पूज्य गुरुदेव आचार्य विनिश्चय सागर जी महाराज के शिष्य हुई ने कहा कि युवा पीढ़ी नववर्ष भगवान और गुरु के चरणों में मनाए। भगवान और गुरु के चरणों में मनाया गया नववर्ष ही सच्चे अर्थों में मंगलकारी होता है, क्योंकि वहीं से आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि युवा शक्ति धर्म से जुड़ जाएगी तो समाज स्वतः ही सशक्त, संस्कारित और अनुशासित बनेगा। मुनि श्री ने यह बात श्री आदिनाथ दिगंबर जैन नसिया में चल रहे शीतकालीन प्रवास के दौरान धर्मसभा को संबोधित करते कही। मुनि श्री ने अपने प्रेरणादायी प्रवचन में कहा कि नववर्ष केवल कैलेंडर बदलने का नहीं, बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण और जीवन में नवीन संकल्प लेने का अवसर है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे संयम, संस्कार और स्वाध्याय को अपने जीवन का आधार बनाएं तथा मोबाइल और भौतिक आकर्षणों से ऊपर उठकर धर्म से जुड़ें। बच्चों को प्रतिदिन मंदिर भेजना चाहिए, क्योंकि यही बच्चे आगे चलकर जैन धर्म की ध्वजा को ऊंचा फहराएंगे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जैन परिवार के घर-घर में णमोकार महामंत्र की निरंतर गुंजायमान ध्वनि होती रहनी चाहिए, तभी संस्कार सुदृढ़ होंगे और धर्म की जड़ें मजबूत बनेंगी। गुरुभक्त पवन कंटान और कमल सर्राफ ने बताया कि 31 दिसंबर को शाम को णमोकार महामंत्र का सामूहिक पठन, भक्तामर स्तोत्र का वाचन एवं भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। वहीं नववर्ष के पावन अवसर पर श्री आदिनाथ दिगंबर जैन नसिया में णमोकार मंडल विधान का भव्य आयोजन संपन्न होगा, जिसमें बड़ी संख्या में धर्मावलंबी शामिल होंगे। इस अवसर पर मुनि श्री की निअंतराय आहार चर्या नेमीचंद बनेठा एवं प्रदीप जी नगर के यहां श्रद्धा एवं भक्ति भाव से संपन्न हुई। धर्मसभा में अनिल सर्राफ, विकास अग्रवाल, मुकेश बरवास, ओम ककोड़, मनीष फागी, धर्मचंद दाखिया, अंकुर पाटनी, महावीर प्रसाद देवली, सुरेंद्र अजमेरा, ज्ञानचंद दाखिया सहित अनेक श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।
परम पूज्य गणाचार्य विराग सागर जी एवं पूज्य गुरुदेव आचार्य विनिश्चय सागर जी महाराज के शिष्य हुई ने कहा कि युवा पीढ़ी नववर्ष भगवान और गुरु के चरणों में मनाए। भगवान और गुरु के चरणों में मनाया गया नववर्ष ही सच्चे अर्थों में मंगलकारी होता है, क्योंकि वहीं