जोनल रेलवे मनमर्जी से चला रहे थे ट्रेन ऑन डिमांड, अब तय अवधि के हिसाब से चलेंगी, पहले अनुमति लेना जरूरी
उत्तर पश्चिम सहित विभिन्न जोनल रेलवे रेगुलर ट्रेनों में लंबी वेटिंग लिस्ट और अतिरिक्त यात्रीभार को देखते हुए चलाई जाने वाली ‘ट्रेन ऑन डिमांड’ स्पेशल ट्रेनों को लेकर रेलवे बोर्ड ने सख्ती बरते हुए नए निर्देश जारी किए हैं। बोर्ड का कहना है कि कई जोनल रेलवे मनमाने तरीके से इन स्पेशल ट्रेनों को नोटिफाई और संचालित कर रहे थे, बिना रास्ते में पड़ने वाली (एनरूट) और अंतिम (टर्मिनेटिंग) रेलवे जोन की सहमति लिए। इससे ट्रेनों में असामान्य देरी हो रही थी, जिसके कारण यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही शिकायतें बढ़ रही थीं। हाल ही में इंडिगो एयरलाइंस की बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिलेशन के दौरान रेलवे ने इस तरह की ट्रेनें चलाकर यात्रियों की मदद की थी, लेकिन उसमें भी बोर्ड ने विशेष छूट दी थी। अब बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि सामान्य परिस्थितियों में ऐसी कोई छूट नहीं दी जाएगी। त्योहार, परीक्षा या अन्य मौसमों में भीड़ पहले से अनुमानित होती है, इसलिए संबंधित जोन को पहले से प्लानिंग करनी होगी। अब प्लानिंग कर पहले बताना होगा दूसरे जोन को रेलवे बोर्ड के नए निर्देशों के अनुसार, कोई भी ट्रेन ऑन डिमांड स्पेशल ट्रेन नोटिफाई करने से पहले एनरूट और टर्मिनेटिंग रेलवे की अनिवार्य सहमति लेनी होगी। यह सहमति कोचिंग ऑपरेशंस इंफॉर्मेशन सिस्टम (सीओआईएस) के जरिए ली जाएगी और प्रस्तावों का जवाब जल्द से जल्द दिया जाना अनिवार्य है। बोर्ड ने निर्देश दिया है कि ट्रेन ऑन डिमांड की प्लानिंग के दौरान रास्ते में चल रहे नॉन-इंटरलॉकिंग कार्यों को ध्यान में रखा जाए। ऐसे रूटों पर जहां बड़े इंजीनियरिंग कार्य चल रहे हों, सामान्यतः इस तरह की ट्रेन नहीं चलाई जाएगी, क्योंकि इससे नियमित ट्रेनों की पंक्चुअलिटी प्रभावित होती है। अन्य जोन भी प्रभावित सबसे बड़ी समस्या यही थी कि ट्रेन चलाने वाला रेलवे जोन बिना सूचना के स्पेशल ट्रेन चला देता था, जिससे अन्य जोन को अचानक तैयारी करनी पड़ती थी। इससे ट्रेनों को मूल स्टेशन पर ही लंबी देरी हो जाती थी और यात्री प्लेटफॉर्म पर घंटों इंतजार करते रहते थे। एक मामले में तो एक स्पेशल ट्रेन को इतनी देरी हुई कि यात्रियों ने बड़े पैमाने पर शिकायतें दर्ज कराईं। अब बोर्ड ने साफ कहा है कि रिजर्व्ड स्पेशल ट्रेनों के लिए किसी भी हाल में एनओसी के बिना नोटिफिकेशन नहीं होगा। अनरिजर्व्ड सेवाओं के लिए अचानक अप्रत्याशित भीड़ बन जाए और सीओआईएस से एनओसी लेने का समय न हो, तो फोन पर सभी संबंधित जोन से अनुमति ली जा सकती है। पुरानी मंजूरी खत्म होंगी, नए क्लासिफिकेशन से चलेंगी एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह देखा गया है कि अभी ट्रेन ऑन डिमांड अलग-अलग कैटेगरी में चल रही हैं, जैसे क्लोन, एक्स्ट्रा रश, त्योहारों के लिए खास (होली, दिवाली, पूजा आदि)। इतने सारे क्लासिफिकेशन से एमआईएस में दिक्कतें आ रही हैं। रेलवे बोर्ड ने तय किया है कि 28 फरवरी, 2026 के बाद सभी ट्रेन ऑन डिमांड के लिए रेलवे बोर्ड की मंजूरी स्वत: खत्म हो जाएगी। फिर 1 मार्च, 2026 के बाद की अवधि के लिए जोनल रेलवे को नई मंजूरी लेनी होगी। अब इन ट्रेनों को अवधि के आधार पर क्लासिफाई किया जाएगा। होली के लिए मार्च, गर्मी के लिए 15 अप्रैल से 15 जुलाई, पूजा स्पेशल अक्टूबर व नवंबर, सर्दी में 15 दिसंबर से 10 जनवरी और अतिरिक्त यात्रीभार के लिए किसी दूसरी अवधि में इन्हें चलाया जा सकेगा। यात्री हो रहे थे परेशान यात्रियों की परेशानी का मुख्य कारण ट्रेनों की देरी और अनियोजित संचालन था। बोर्ड का मानना है कि बेहतर को-ऑर्डिनेशन से न केवल ट्रेन ऑन डिमांड सुचारू चलेंगी, बल्कि नियमित ट्रेनों की समयबद्धता भी बनी रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि ये निर्देश रेलवे की कार्यप्रणाली में अनुशासन लाएंगे और यात्रियों को राहत देंगे। रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेशंस मैनेजर को इन निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा है।