पहले घटिया खेल सामग्री की सप्लाई, अब स्कूलों से मांगा जा रहा क्वालिटी सही होने का प्रमाण पत्र
प्रदेश में 20 हजार स्कूलों में भेजी गई थी खेल किट शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूलों के लिए खरीदी गई स्पोर्ट्स किट का विवाद अभी थमा नहीं है। सरकारी स्कूलों ने इस किट की क्वालिटी पर सवाल उठाया था। उनका आरोप था कि घटिया क्वालिटी की यह किट बाजार भाव से दुगुने रेट पर खरीदी गई थी। अब उन्हीं स्कूलों से लिखित में मांगा जा रहा है कि इसकी क्वालिटी संतोषजनक है। दरअसल स्कूलों ने जब किट की क्वालिटी पर सवाल उठाया तो शिक्षामंत्री ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद से ही किट खरीद का कुछ भुगतान अटका हुआ था। प्रदेश के करीब 20 हजार स्कूलों में किट पहुंच गया तो अब फर्म भुगतान मांग रही है। मामला 78 करोड़ का था। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी खेल किट की जांच की मांग उठा चुके हैं। उनका कहना था कि स्कूलों में बिना खेल मैदान व बिना जरूरत की सामग्री भेज दी गई। इसकी क्वालिटी भी घटिया थी। एक ही सामग्री की दो-दो रेट थी। उधर, विभाग के अधिकारियों ने भुगतान के लिए रास्ता निकाला है। स्कूलों को एक फार्मेट भेजा गया है, जिसमें स्कूलों को लिखना है कि किट संतोषजनक है या अंसतोषजनक। अधिकांश स्कूल किसी विवाद में पड़ना नहीं चाहते। इस कारण वे संतोषजनक लिखकर ही दे रहे हैं। स्कूलों से प्राप्त किट के संतोषजनक होने के इस फार्मेट के आधार पर विभाग भुगतान की तैयारी में है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का कहना है कि खेल किट की जांच कराई तो कई स्कूलों में उसकी क्वालिटी सही नहीं थी। इसके बाद उसका भुगतान रोका गया था और 4.50 करोड रुपए की गारंटी राशि भी जब्त की गई थी। अब स्कूलों से क्या लिखवाया जा रहा है, इसकी जानकारी की जाएगी। आधी रेट में किट देने को तैयार थे दुकानदार, भुगतान के लिए निकाला रास्ता कई जगह तो स्कूलों में पहुंची इस किट को आधी रेट पर भी उपलब्ध कराने को तैयार हो गए थे। कई शारीरिक शिक्षकों ने बताया कि किट 24 हजार रुपए की बताई गई थी, जिसको दुकानदार 12 से 14 हजार रुपए तक में देने को तैयार थे। इसमें बेट, बॉलीबाल, फुटबॉल, स्टंप, टेनिस बॉल सहित कई सामग्री थी जिसकी रेट बाजार भाव से अधिक थी। साथ ही कुछ सामग्री तो इसमें घटिया क्वालिटी की थी। सामग्री पर मूल्य भी लिखा हुआ नहीं था। पहले स्कूल खरीदते थे, इस बार एक साथ खरीद हुई: पहले यह खेल किट स्कूल अपनी जरूरत के अनुसार खरीदते थे। यह खरीद एसडीएमसी के अधिकार क्षेत्र में आती थी। इस बार प्रदेश स्तर पर एक साथ खरीद हुई। खेल किट जब स्कूलों में पहुंची थी तो कई स्कूलों ने क्वालिटी पर सवाल उठाया था। इसे बाजार भाव से अधिक बताया था। स्कूलों के विरोध को रोकने लिए स्कूल शिक्षा परिषद ने स्कूलों द्वारा तीन साल में खरीदी गई सामग्री की जांच के आदेश निकाल दिए। अब कोई भी स्कूल विवाद में पड़ना नहीं चाहता।