कल मनाया जाएगा पुत्रदा एकादशी का पर्व:संतान सुख और पाप नाश के लिए किया जाएगा पवित्र व्रत
सनातन हिंदू धर्म में एकादशी व्रतों का विशेष महत्व है, जिनमें पुत्रदा एकादशी का स्थान अत्यंत विशिष्ट है। यह एकादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष में 30 दिसंबर को मनाई जाएगी। इसे संतान सुख की प्राप्ति के लिए समर्पित माना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय वैदिक ज्योतिषी हेमंत कासट के अनुसार, पद्म पुराण और विष्णु पुराण में वर्णित कथाओं के मुताबिक, विधि-विधान से इस व्रत का पालन करने से संतान प्राप्ति के साथ-साथ पापों का भी नाश होता है। आध्यात्मिक रूप से यह व्रत आत्मिक शुद्धि, मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। इस दिन प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा, फलाहार और उपवास का विधान है। सायंकाल में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत चंद्र, मंगल और गुरु ग्रहों को बल प्रदान करता है, जिससे वैवाहिक और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है। पुत्रदा एकादशी के अवसर पर नवजात शिशु से संबंधित सामग्री का दान करना भी अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है।
सनातन हिंदू धर्म में एकादशी व्रतों का विशेष महत्व है, जिनमें पुत्रदा एकादशी का स्थान अत्यंत विशिष्ट है। यह एकादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष में 30 दिसंबर को मनाई जाएगी। इसे संतान सुख की प्राप्ति के लिए समर्पित माना जाता है।
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अंतर्राष्ट्रीय वैदिक ज्योतिषी हेमंत कासट के अनुसार, पद्म पुराण और विष्णु पुराण में वर्णित कथाओं के मुताबिक, विधि-विधान से इस व्रत का पालन करने से संतान प्राप्ति के साथ-साथ पापों का भी नाश होता है। आध्यात्मिक रूप से यह व्रत आत्मिक शुद्धि, मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।
इस दिन प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा, फलाहार और उपवास का विधान है। सायंकाल में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत चंद्र, मंगल और गुरु ग्रहों को बल प्रदान करता है, जिससे वैवाहिक और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है। पुत्रदा एकादशी के अवसर पर नवजात शिशु से संबंधित सामग्री का दान करना भी अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है।