वार्षिकोत्सव में विद्यार्थियों ने दी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां:स्टूडेंट को स्मार्टफोन का कम से कम और सार्थक उपयोग करने की सलाह
चूरू के घांघू गांव स्थित न्यू इंडियन पब्लिक उच्च माध्यमिक स्कूल में शनिवार को वार्षिकोत्सव का आयोजन किया गया। इस दौरान विद्यार्थियों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं, जिनमें लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। स्कूल की छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत कर अतिथियों का अभिनंदन किया। वार्षिकोत्सव के मुख्य अतिथि समाजसेवी महावीर नेहरा ने अपने संबोधन में कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ सहशैक्षिक गतिविधियां भी विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को स्मार्टफोन का कम से कम और सार्थक उपयोग करने की सलाह दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे समाजसेवी परमेश्वरलाल दर्जी ने शिक्षकों की जिम्मेदारी पर जोर देते हुए कहा कि आज के भौतिकतावादी युग में विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ संयमित जीवन जीने की प्रेरणा दी। संस्था के निदेशक करणीराम नैण ने स्कूल की शैक्षिक, भौतिक और सहशैक्षिक गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। छात्र-छात्राओं ने लोक संस्कृति से ओतप्रोत नृत्य, गीत और कविताओं की मनमोहक प्रस्तुतियां दीं। इस अवसर पर स्कूल के उत्कृष्ट अंक प्राप्त करने वाले और अन्य प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। इस मौके पर सेवानिवृत्त वरिष्ठ शारीरिक शिक्षक मैनुद्दीन, लालचंद प्रजापत, मुस्ताक खां, ओमप्रकाश नैण, उदाराम प्रजापत, सामाजिक कार्यकर्ता बीरबल नोखवाल, वरिष्ठ लिपिक राजेंद्र फगेड़िया, शरीफ खान, सोहनलाल लोहसना, जगदीश दर्जी और मेघाराम फगेड़िया विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के आयोजकीय सहयोग में विजय कुमार प्रजापत, ताराचंद प्रजापत, सूर्यप्रकाश धानुका, सरफराज, नरेश, विकास नैण, राजबाला, प्रताप बुढानिया, राजेंद्र कुमार, सत्यवीर, दलीप, विजेंद्र, सरिता, सोनम और पूनम शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन ताराचंद नोखवाल और सूर्यप्रकाश धानुका ने संयुक्त रूप से किया।
चूरू के घांघू गांव स्थित न्यू इंडियन पब्लिक उच्च माध्यमिक स्कूल में शनिवार को वार्षिकोत्सव का आयोजन किया गया। इस दौरान विद्यार्थियों ने रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं, जिनमें लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली।
