उन्नाव रेप सर्वाइवर ने कहा- 'वो मुझे फूलन देवी बनने को मजबूर कर रहे हैं'
उन्नाव रेप सर्वाइवर ने इंसाफ़ की लड़ाई में अपने पिता समेत कई रिश्तेदारों को खोया है. इसके बावजूद इंसाफ़ की उनकी लड़ाई मुकाम तक नहीं पहुँच पाई है. इस बीच सीबीआई ने कहा है कि वह हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी.
उन्नाव रेप सर्वाइवर ने कहा- 'वो मुझे फूलन देवी बनने को मजबूर कर रहे हैं'

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इमेज कैप्शन, बीते आठ सालों में उन्नाव की रेप सर्वाइवर की ज़िंदगी कई कठिनाइयों से होकर गुज़री है
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- Author, प्रेरणा
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
- 27 दिसंबर 2025
'छूट जाएंगे मैम...?'
'छूट जाएंगे क्या? '
यह सवाल 24 साल की उन्नाव रेप सर्वाइवर...अपने ठीक बगल में बैठी महिला अधिकार एक्टिविस्ट योगिता भयाना से पूछती हैं. जवाब मिलता है - 'नहीं, अभी तुम इंटरव्यू पर फ़ोकस करो. ज़्यादा मत सोचो.'
सर्वाइवर हमारी ओर मुड़ती हैं...दोबारा बात करने की कोशिश करती हैं लेकिन आंखों में डर और घबराहट के भाव के साथ.
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सर्वाइवर से बातचीत करने के लिए हम उनके ही वकील महमूद प्राचा के दफ़्तर में बैठे थे.
दफ़्तर के अंदर घुसते ही एक बड़ा हॉल है और हॉल के बीचोबीच लंबी-चौड़ी एक टेबल, जिसके चारों तरफ़ वकीलों की टीम बैठी है.
चर्चा हो रही है कि दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद अब उनकी आगे की रणनीति क्या होनी चाहिए.
इसी हॉल के ठीक सामने के कमरे में सर्वाइवर, उनकी मां, दूसरे मीडियाकर्मी और योगिता भयाना की टीम बैठी है.
हमने यहीं बैठकर सर्वाइवर से बातचीत शुरू की.
हमने पूछा, ''आपको पता चला कि सीबीआई दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने जा रही है?''

वीडियो कैप्शन, उन्नाव रेप सर्वाइवर ने अपने आठ साल के संघर्ष को बयां किया, देखिए इंटरव्यू
जवाब में सर्वाइवर ने कहा , ''सीबीआई उस टाइम क्या कर रही थी...जिस टाइम बहस चल रही थी. अब तो हर बेटी की हिम्मत टूट चुकी है. रेप होगा तो या तो मार दी जाएंगी या फिर दोषी को सज़ा होगी और वो पांच साल बाद बाहर आ जाएगा. इस ऑर्डर को देखते हुए तो हर बेटी की हिम्मत टूट चुकी है.''
बीते आठ सालों में उन्नाव की इस रेप सर्वाइवर की ज़िंदगी कई कठिनाइयों से होकर गुज़री है.
रेप, गैंगरेप, पुलिस कस्टडी में पिता की मौत, सड़क हादसे में दो रिश्तेदारों और वकील की मौत और फिर अस्पताल में छह महीने लंबी चली अपनी ज़िंदगी बचाने की जंग.
इन्हीं आठ सालों में अभियुक्तों की गिरफ़्तारी भी हुई, मुक़दमे चले, फ़ैसले आए और सज़ा भी सुनाई गई. लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले से सर्वाइवर की नाराज़गी साफ़ झलक रही है.
बहस हिन्दी में होती तो ये नौबत नहीं आती

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इमेज कैप्शन, रेप सर्वाइवर का कहना है कि अगर कोर्ट में बहस हिन्दी में होती तो शायद यह नौबत ही नहीं आती क्योंकि वह अपना पक्ष ख़ुद ही मज़बूती से रख पातीं



