श्रीगंगानगर में 'दस्तारां दा लंगर':छोटे साहिबजादों की शहादत को याद कर सिखों के सिरों पर सजाई दस्तार, लोग धर्म न छोड़ें यही संदेश
दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के छोटे साहिबजादों और माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित 'सफर-ए-शहादत' के दिनों में तेरा खालसा फाउंडेशन की ओर से रिद्धि-सिद्धि मॉल के बाहर 'दस्तारां दा लंगर' लगाया गया। सेवादारों ने आने-जाने वाले सिख लोगों के सिरों पर दस्तार सजाई। फाउंडेशन के संस्थापक चरणजीत सिंह ने बताया- चार साहिबजादों की शहादत के इस पवित्र सफर को समर्पित इन दिनों में हर साल फाउंडेशन की ओर से दस्तारों का लंगर और जिला हॉस्पिटल में चाय-दूध का लंगर लगाया जाता है। पिछले चार सालों से यह लंगर सेवा निरंतर जारी है। 20 दिसंबर से लगातार जिला हॉस्पिटल में सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक चाय-दूध का लंगर बांटा जा रहा है। वहीं, रिद्धि-सिद्धि मॉल के बाहर सुबह 11:30 बजे से रात 8 बजे तक दस्तारों का लंगर लगाया गया। इस सेवा का मुख्य उद्देश्य लोगों को प्रेरित करना है कि वे अपना सिख धर्म कभी न छोड़ें और गुरु गोबिंद सिंह जी के पूरे परिवार द्वारा सिख धर्म की रक्षा के लिए दी गई कुर्बानी को हमेशा याद रखें। सिखों की शान दस्तार को सिर पर सजाने की प्रेरणा दी जा रही है। संगत इस पुनीत कार्य में लगातार सेवा कर रही है। इस अवसर पर गुरलाल सिंह बराड़, नवजोत सिंह सहित कई सेवादार मौजूद रहे।
दशमेश पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के छोटे साहिबजादों और माता गुजरी जी की शहादत को समर्पित 'सफर-ए-शहादत' के दिनों में तेरा खालसा फाउंडेशन की ओर से रिद्धि-सिद्धि मॉल के बाहर 'दस्तारां दा लंगर' लगाया गया। सेवादारों ने आने-जाने वाले सिख लोगों के
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तेरा खालसा फाउंडेशन के सेवादार।
फाउंडेशन के संस्थापक चरणजीत सिंह ने बताया- चार साहिबजादों की शहादत के इस पवित्र सफर को समर्पित इन दिनों में हर साल फाउंडेशन की ओर से दस्तारों का लंगर और जिला हॉस्पिटल में चाय-दूध का लंगर लगाया जाता है। पिछले चार सालों से यह लंगर सेवा निरंतर जारी है। 20 दिसंबर से लगातार जिला हॉस्पिटल में सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक चाय-दूध का लंगर बांटा जा रहा है। वहीं, रिद्धि-सिद्धि मॉल के बाहर सुबह 11:30 बजे से रात 8 बजे तक दस्तारों का लंगर लगाया गया।
इस सेवा का मुख्य उद्देश्य लोगों को प्रेरित करना है कि वे अपना सिख धर्म कभी न छोड़ें और गुरु गोबिंद सिंह जी के पूरे परिवार द्वारा सिख धर्म की रक्षा के लिए दी गई कुर्बानी को हमेशा याद रखें। सिखों की शान दस्तार को सिर पर सजाने की प्रेरणा दी जा रही है। संगत इस पुनीत कार्य में लगातार सेवा कर रही है। इस अवसर पर गुरलाल सिंह बराड़, नवजोत सिंह सहित कई सेवादार मौजूद रहे।