नए खरीद केंद्र खोलने का मामला:डीआर ने खरीद केंद्रों की पात्रता नहीं जांची मंत्री, विधायक और कलेक्टर पर मढ़ा दोष
एमएसपी पर मूंगफली की खरीद के लिए केंद्र पात्रता को देखकर नहीं बल्कि मंत्री, विधायक और कलेक्टर की सिफारिश पर खोले जा रहे हैं। इस बात का खुलासा सहकारिता विभाग की एक फैक्चुअल रिपोर्ट से हुआ है।जिले में एमएसपी पर मूंगफली की खरीद के लिए आधा दर्जन से अधिक नए खरीद केंद्र खोले गए थे। ये खरीद केंद्र किसानों की सुविधा के लिए खोले गए ताकि उन्हें मूंगफली बेचने दूर न जाना पड़े, लेकिन इसके लिए पात्रता का ध्यान ही नहीं रखा गया। मामला नापासर, पलाना, रुणिया बड़ा बास, रामसर, मेघासर और स्वरूपदेसर खरीद केंद्र से संबंधित है, जिसकी शिकायत सीएम तक पहुंची। सहकारिता विभाग के डिप्टी रजिस्ट्रार कैलाश चंद सैनी ने जांच कर फैक्चुअल रिपोर्ट जिला कलेक्टर को सौंपी। यह फैक्चुअल रिपोर्ट भास्कर को मिली है, जिसमें मूल शिकायत की बात को नजरअंदाज करते हुए साफ शब्दों में लिखा गया है कि नापासर ग्राम सेवा सहकारी समिति के खरीद केंद्र में भ्रष्टाचार की शिकायतें आने के कारण उसे बंद करके रामसर जीएसएस को खरीद केंद्र के रूप में जोड़ने के निर्देश कैबिनेट मंत्री सुमित गोदारा ने दिए थे। इसी प्रकार मेघासर को खरीद केंद्र के रूप में जोड़ने की सिफारिश कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने की थी। जिला कलेक्टर ने इन गोदारा और भाटी के पत्रों के आधार पर राजफैड से अनुशंसा की। वर्तमान में नापासर और स्वरूपदेसर दोनों ही कोर्ट स्टे के आधार पर चल रहे हैं। कागजों में खरीद केंद्र, दूसरी जगह तौल रहे मूंगफली एमएसपी पर मूंगफली की खरीद जिले में करीब 45 केंद्रों पर चल रही है। इनमें से कई केंद्र ऐसे हैं, जो केवल कागजों में खोले गए हैं, क्योंकि केंद्र के लिए भवन ही नहीं है। खेत या गांव में ही खुले स्थान पर तुलाई की जा रही है। स्वरूपदेसर और रामसर बड़ा उदाहरण हैं। रामसर खरीद केंद्र की मूंगफली नापासर में तौली जा रही है। नापासर केंद्र की तुलाई किसी दूसरे स्थान पर हो रही है। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जीएसएस का संचालक मंडल अपने स्तर पर ही तुलाई के लिए स्थान की व्यवस्था करता है। क्या था मामला : बीकानेर क्रय-विक्रय सहकारी समिति के अधीन पलाना, रुणिया बड़ा बास, रामसर, मेघासर और स्वरूपदेसर में नए खरीद केंद्र खोलने की पात्रता पर सवाल खड़े हो गए हैं। नए खरीद केंद्र खोलते समय राजकीय हिस्सा राशि, पूर्णकालिक व्यवस्थापक और आर्थिक स्थिति को नजरअंदाज कर दिया गया। न केवीएसएस की सदस्यता है, न ही ऑडिट हुई। आवश्यक भवन, चारदीवारी और जिंसों के भंडारण की भी व्यवस्था नहीं है। भाजपा के देहात अध्यक्ष श्याम सुंदर पंचारिया और पलाना मंडल अध्यक्ष रामरतन सियाग ने सीएम और सहकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव से शिकायत की। सहकारिता विभाग के डिप्टी रजिस्ट्रार की जांच रिपोर्ट में इन बिंदुओं को नजरअंदाज कर मंत्री, विधायक, कलेक्टर की अनुशंसा का हवाला दिया गया है और खरीद केंद्र खोलने की प्रक्रिया बताई गई है। हालांकि सहकारिता विभाग के अधिकारी दबी जुबान से मानते हैं कि पूरे नियमों का पालन करें तो एक भी खरीद केंद्र नहीं खुले। खरीद केंद्र खोलने के नियम "नापासर जीएसएस पर भ्रष्टाचार की शिकायतें लगातार मिल रही थीं, इसलिए उसे बंद करके रामसर नया केंद्र खुलवाया है। किसानों की सुविधा के लिए ज्यादा से ज्यादा खरीद केंद्र खोले गए हैं।" — सुमित गोदारा, कैबिनेट मंत्री "कोऑपरेटिव सिस्टम पर लोगों का भरोसा नहीं होने के कारण पहले काफी गड़बड़ियां हुई हैं। अब सुधार की प्रक्रिया चल रही है। राजफैड के पास भी स्टाफ कम है, इसलिए कुछ चीजें रह जाती हैं।" — अंशुमान सिंह, विधायक, कोलायत "किसानों की मांग के अनुसार केवीएसएस का मैनेजर अपने कार्यक्षेत्र में खरीद केंद्र खोलने की अनुशंसा करता है। पात्रता भी वही चेक करता है।" — कैलाश चंद सैनी, डिप्टी रजिस्ट्रार, सहकारिता विभाग