फार्मासिस्टों ने खून से लिखे 10,000 पोस्टकार्ड:सरकार को भेजे, भर्ती में अनुभव को वरीयता देने की मांग
फार्मासिस्ट भर्ती संघर्ष समिति के नेतृत्व में राजस्थान के सिरोही जिले सहित पूरे राज्य से 10,000 से अधिक पोस्टकार्ड मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को भेजे गए। इन पोस्टकार्ड्स को फार्मासिस्टों ने अपने खून से लिखा है, जो सरकार की उदासीनता के प्रति उनके विरोध को दर्शाता है। समिति ने बताया कि हजारों अनुभवी फार्मासिस्टों के लिए नया साल भी निराशाजनक रहा है। उनका आरोप है कि वर्षों से सरकारी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे फार्मासिस्टों के अनुभव को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है। भर्ती प्रक्रिया को मेरिट और बोनस के आधार पर न करना सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है। फार्मासिस्ट भर्ती संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा नहीं है। यह अपने अधिकार, सम्मान और भविष्य की रक्षा के लिए उनकी अंतिम कोशिश है। समिति के अनुसार, बार-बार ज्ञापन, पत्राचार और शांतिपूर्ण तरीकों के बावजूद सरकार ने ध्यान नहीं दिया, जिसके बाद उन्हें खून से पत्र लिखने जैसा कठोर कदम उठाना पड़ा। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि फार्मासिस्ट भर्ती शीघ्र ही मेरिट और बोनस के आधार पर नहीं की गई और अनुभव-धारी फार्मासिस्टों को न्याय नहीं मिला, तो आंदोलन और अधिक उग्र और व्यापक रूप लेगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की होगी। प्रदेश के फार्मासिस्टों की मुख्य मांग है: 'अनुभव का सम्मान करो, भर्ती मेरिट + बोनस से करो'।
सिरोही फार्मासिस्टों ने फार्मासिस्टों ने खून से लिखे 10,000 पोस्टकार्ड मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को भेजे।
फार्मासिस्ट भर्ती संघर्ष समिति के नेतृत्व में राजस्थान के सिरोही जिले सहित पूरे राज्य से 10,000 से अधिक पोस्टकार्ड मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को भेजे गए। इन पोस्टकार्ड्स को फार्मासिस्टों ने अपने खून से लिखा है, जो सरकार की उदासीनता के प्रति उनके
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समिति ने बताया कि हजारों अनुभवी फार्मासिस्टों के लिए नया साल भी निराशाजनक रहा है। उनका आरोप है कि वर्षों से सरकारी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे फार्मासिस्टों के अनुभव को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है। भर्ती प्रक्रिया को मेरिट और बोनस के आधार पर न करना सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है।
