धाणका समाज का धरना 142वें दिन, एसटी सर्टिफिकेट की मांग:कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर बच्चों के भविष्य पर चिंता जताई
SOURCE:Dainik Bhaskar Tech
हनुमानगढ़ में धाणका समाज के अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र जारी करने पर लगी रोक हटाने की मांग को लेकर धाणका/धानका जनजाति संघर्ष समिति का धरना मंगलवार को 142वें दिन में प्रवेश कर गया। इस दौरान धरनास्थल पर एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय वंचित वर्ग न्याय अधिकार परिषद के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास नरवाल शामिल हुए। उनके नेतृत्व में समाज के प्रतिनिधियों ने जिला कलेक्टर से बातचीत की और ज्ञापन सौंपा। सभा में वक्ताओं ने बताया कि सरकार ने 2019 में एक चिट्ठी जारी की थी, जिसमें मीणा और मीना तथा धाणका और धानका जातियों की जांच का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन सरकारों ने मीणा और मीना को एक मानते हुए आदेश जारी कर दिए, लेकिन धाणका और धानका से संबंधित चिट्ठी अधर में रह गई। इसका मुख्य कारण उस समय समाज का सरकार में कोई प्रतिनिधित्व न होना बताया गया। समाज के प्रतिनिधियों ने चिंता व्यक्त की कि जाति प्रमाण पत्र न बनने के कारण लाखों बच्चों का भविष्य प्रभावित हो रहा है। उन्होंने बताया कि 1 जनवरी से आरपीएससी और अधीनस्थ बोर्ड ओटीआर (वन टाइम रजिस्ट्रेशन) आरंभ कर रहे हैं, जिसमें जाति प्रमाण पत्र, मूल निवास, आधार कार्ड, जन-आधार कार्ड सहित डिग्रियां अपलोड करनी होंगी। समिति ने बताया कि जिन बच्चों के पुराने प्रमाण पत्र बने हुए हैं, उनमें टोकन नंबर नहीं हैं। अन्य जातियों के लिए टोकन नंबर जोड़ने हेतु दोबारा आवेदन किया जा सकता है, लेकिन धाणका समाज के जाति प्रमाण पत्र बनाने पर सरकार ने 2020 से रोक लगा रखी है। प्रशासन द्वारा नए प्रमाण पत्र जारी न किए जाने के कारण बच्चों का ओटीआर नहीं हो पाएगा। ओटीआर न होने से समाज के बच्चे आरपीएससी और अधीनस्थ बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाएंगे और न ही आवेदन कर पाएंगे। इससे उनकी पढ़ाई पर किया गया खर्च व्यर्थ हो जाएगा। समाज ने चेतावनी दी कि यदि इस स्थिति के कारण कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसके लिए हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा। उन्होंने तत्काल धाणका-धानका जाति के प्रमाण पत्र जारी करने की मांग दोहराई।
हनुमानगढ़ में धाणका समाज के अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र जारी करने पर लगी रोक हटाने की मांग को लेकर धाणका/धानका जनजाति संघर्ष समिति का धरना मंगलवार को 142वें दिन में प्रवेश कर गया। इस दौरान धरनास्थल पर एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय वंचित व
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सभा में वक्ताओं ने बताया कि सरकार ने 2019 में एक चिट्ठी जारी की थी, जिसमें मीणा और मीना तथा धाणका और धानका जातियों की जांच का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन सरकारों ने मीणा और मीना को एक मानते हुए आदेश जारी कर दिए, लेकिन धाणका और धानका से संबंधित चिट्ठी अधर में रह गई। इसका मुख्य कारण उस समय समाज का सरकार में कोई प्रतिनिधित्व न होना बताया गया।
अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र जारी करने पर लगी रोक हटाने के लिए धरने पर धानका समाज के लोग।
समाज के प्रतिनिधियों ने चिंता व्यक्त की कि जाति प्रमाण पत्र न बनने के कारण लाखों बच्चों का भविष्य प्रभावित हो रहा है। उन्होंने बताया कि 1 जनवरी से आरपीएससी और अधीनस्थ बोर्ड ओटीआर (वन टाइम रजिस्ट्रेशन) आरंभ कर रहे हैं, जिसमें जाति प्रमाण पत्र, मूल निवास, आधार कार्ड, जन-आधार कार्ड सहित डिग्रियां अपलोड करनी होंगी।
समिति ने बताया कि जिन बच्चों के पुराने प्रमाण पत्र बने हुए हैं, उनमें टोकन नंबर नहीं हैं। अन्य जातियों के लिए टोकन नंबर जोड़ने हेतु दोबारा आवेदन किया जा सकता है, लेकिन धाणका समाज के जाति प्रमाण पत्र बनाने पर सरकार ने 2020 से रोक लगा रखी है। प्रशासन द्वारा नए प्रमाण पत्र जारी न किए जाने के कारण बच्चों का ओटीआर नहीं हो पाएगा।
ओटीआर न होने से समाज के बच्चे आरपीएससी और अधीनस्थ बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाएंगे और न ही आवेदन कर पाएंगे। इससे उनकी पढ़ाई पर किया गया खर्च व्यर्थ हो जाएगा। समाज ने चेतावनी दी कि यदि इस स्थिति के कारण कोई अप्रिय घटना होती है, तो इसके लिए हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिला प्रशासन जिम्मेदार होगा। उन्होंने तत्काल धाणका-धानका जाति के प्रमाण पत्र जारी करने की मांग दोहराई।