15वीं राज्य स्तरीय पैरा एथलेटिक्स प्रति. संपन्न, खिलाड़ियों को दिए मेडल अतिथि बोले-दिव्यांगता को आड़े नहीं आने दिया इसलिए असली हीरो आप
श्रीगंगानगर| स्थानीय महाराजा गंगासिंह स्टेडियम में 15वीं राज्य स्तरीय पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता का मंगलवार को समापन हुआ। मुख्य अतिथि रंजना बिहाणी, विशिष्ट अतिथि जिला कलेक्टर डॉ. मंजू, पुलिस अधीक्षक डॉ. अमृता दुहान, अति विशिष्ट अतिथि टाटिया यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर मोहित टाटिया, बार संघ श्रीगंगानगर के पूर्व अध्यक्ष सीताराम बिश्नोई तथा द्रोणाचार्य अवॉर्डी महावीर प्रसाद सैनी ने विजेता खिलाड़ियों को मेडल पहनाकर सम्मानित किया। आयोजन सचिव आशुतोष गुप्ता ने बताया कि इस प्रतियोगिता के दौरान विभिन्न वर्गों में खिलाड़ियों के बीच अत्यंत उत्साहपूर्ण, अनुशासित एवं प्रतिस्पर्धात्मक मुकाबले आयोजित किए गए। प्रतियोगिता के समापन समारोह में अतिथियों द्वारा खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की गई। कार्यक्रम में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राकेश भेड़ा, शताब्दी अवस्थी, सुमन ढाका, शालिनी चैधरी, हेमंत मीणा, मनीष, समरजीत सिंह, जिला खेल अधिकारी डॉ. सुरेंद्र कुमार बिश्नोई, दिव्यांग पैरा स्पोर्ट्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल, हिम्मत सिंह गुर्जर व रमेश चौधरी सहित गणमान्य व्यक्ति व खेलप्रेमी उपस्थित थे। आर्मी में भर्ती होकर देश सेवा का जज्बा रखने वाली जयपुर की शताब्दी अवस्थी वर्तमान में शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए प्रेरणासर्ोत है। 18 साल पहले छत से गिरने से रीढ़ की हड्डी में चोट से कमर से नीचे शरीर ने काम करना बंद कर दिया था। डॉक्टरों ने भी रिकवरी होने में असमर्थता जता दी, लेकिन अवस्थी ने हार नहीं मानी, व्हील चेयर पर बैठकर मैदान में उतरी। कड़ा खेल अभ्यास कर एथलीट बनी तथा 2017 में दुबई खेली गई वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता में देश के लिए सिल्वर मेडल जीता। वर्तमान में अवस्थी बैंक में नौकरी व खेल के साथ ही शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को खेलों के माध्यम से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही हैं। श्रीगंगानगर के महाराजा गंगासिंह स्टेडियम में 28 से 30 दिसंबर तक आयोजित राज्य स्तरीय पैरा एथलेटिक्स प्रतियोगिता में भाग लेकर अवस्थी ने जैवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीता। पैरा एथलीट भैड़ा व जांगिड़ भी शारीरिक रूप से अक्षम युवाओं के लिए बने प्रेरणासर्ोत: चूरू जिले के गांव दैपालदेसर के राकेश भैड़ा गलत इंजेक्शन से दायां हाथ कंधे से नीचे पोलियोग्रस्त हो गए थे। चूरू जिले के ही थिरपाली गांव के अर्जुन जांगिड़ का दायां हाथ बचपन में एक दुर्घटना में कंधे से कट गया था। इन दोनों ने भी हौसला नहीं हारा तथा 2016 में ओलिंपिक मेडल जीतने वाले देवेंद्र झाझड़िया से प्रेरित होकर एथलीट बनने की ठानी। दौड़ लगाने का अभ्यास शुरू कर एथलीट बने तथा भैड़ा 2023 में चाइना में हुए पैरा एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज व जांगिड़ सिल्वर मेडल जीत चुके हैं और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए प्रेरणासर्ोत बने हैं।