मजदूरों के काम के अधिकार पर हमला, संगठनों का विरोध:किसान-मजदूर संगठन 19 जनवरी को कलक्ट्रेट पर करेंगे प्रदर्शन
हनुमानगढ़ में मजदूरों के काम मांगने के अधिकार को समाप्त करने के विरोध में किसान और मजदूर संगठनों ने आंदोलन की घोषणा की है। इस संबंध में बुधवार को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़े मजदूर संगठनों के पदाधिकारियों की बैठक जंक्शन स्थित शहीद भगतसिंह यादगार केंद्र में हुई। बैठक की अध्यक्षता पूर्व विधायक बलवान पूनिया ने की। बैठक में माकपा नेता रामेश्वर वर्मा और अखिल भारतीय खेत मजदूर एवं ग्रामीण मजदूर यूनियन के जिला उपाध्यक्ष मनीराम मेघवाल सहित कई पदाधिकारी उपस्थित रहे। इसमें केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए चार लेबर कोड को निरस्त करने की मांग को लेकर 19 जनवरी को जिला कलेक्ट्रेट पर होने वाले प्रदर्शन की तैयारियों पर चर्चा की गई। यह प्रदर्शन अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय खेत मजदूर एवं ग्रामीण मजदूर यूनियन और सीटू के संयुक्त देखरेख में आयोजित होगा। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने मनरेगा का नाम बदलकर ‘जी राम जी’ कर दिया है और इसके माध्यम से मजदूरों के काम मांगने के अधिकार को समाप्त कर दिया है। उन्होंने बताया कि मनरेगा कानून की धारा 37, जो मजदूरों को काम मांगने का अधिकार देती थी, उसे खत्म कर दिया गया है, जिससे यह योजना लगभग निष्क्रिय हो गई है। इसे मजदूरों के संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया गया है और यह 19 जनवरी के प्रदर्शन का प्रमुख मुद्दा रहेगा। पूर्व विधायक बलवान पूनिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने मनरेगा को कानून से हटाकर केवल एक योजना में बदल दिया है। इसके अतिरिक्त, चार लेबर कोड बनाकर मजदूर विरोधी नीतियां लागू की गई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदर्शन में मजदूरों के मुद्दों के साथ-साथ किसानों से संबंधित मुद्दे भी प्रमुखता से उठाए जाएंगे, जिनमें सिंचाई का पानी, बिजली, फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और फसलों की तुलाई शामिल हैं। बैठक में 15 जनवरी को होने वाले सीटू के प्रशिक्षण शिविर की तैयारियों पर भी चर्चा हुई। सीटू ने 7 जनवरी को संगरिया में आयोजित होने वाली किसान महापंचायत और टिब्बी में प्रस्तावित एथेनॉल फैक्ट्री के विरोध को अपना समर्थन देने की घोषणा की। संगठनों ने आगामी प्रदर्शनों में अधिक से अधिक मजदूरों, किसानों और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।