झुंझुनूं में 'अरावली बचाओ' प्रदर्शन 2 जनवरी को:प्रदर्शनकारी बोले- अस्थायी रोक से खतरा खत्म नहीं, आंदोलन जारी रहेगा
अरावली पर्वतमाला के अस्तित्व और पर्यावरण संरक्षण की मांग को लेकर झुंझुनूं में जन संघर्ष समिति का गठन किया गया है। इंजीनियर मालीराम वर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में पर्यावरण को लेकर मौजूदा हालात पर विस्तार से चर्चा की गई। समिति ने निर्णय लिया है कि 2 जनवरी 2026 को जिला कलेक्टर के समक्ष धरना देकर अरावली को स्थायी कानूनी सुरक्षा देने की मांग उठाई जाएगी। बैठक में प्रदर्शन के लिए प्रदर्शनकारियों बोले कि अस्थायी रोक से खतरा खत्म नहीं, आंदोलन जारी रहेगा। अरावली बचाओ–जीवन बचाओ जन संघर्ष समिति का गठन बैठक में सर्वसम्मति से ‘अरावली बचाओ–जीवन बचाओ, जन संघर्ष समिति, झुंझुनूं’ का गठन किया गया। समिति ने निर्णय लिया कि अरावली पर्वतमाला को हो रहे नुकसान के खिलाफ सरकार पर दबाव बनाया जाएगा और इसके लिए चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। 2 जनवरी को कलेक्टर के समक्ष धरने का निर्णय समिति ने तय किया कि आगामी 2 जनवरी 2026 को दोपहर 12 बजे जिला कलेक्टर के समक्ष धरना, विरोध सभा और प्रदर्शन किया जाएगा। इसके माध्यम से सरकार से अरावली को स्थायी कानूनी संरक्षण देने की मांग की जाएगी। अस्थायी रोक से खतरा खत्म नहीं, आंदोलन जारी रहेगा बैठक को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि अरावली बचाओ आंदोलन के दबाव में सरकार को एक कदम पीछे हटना पड़ा है, लेकिन खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। पर्यावरण मंत्रालय ने केवल अस्थायी रूप से नए खनन पट्टों पर रोक लगाई है। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि जब तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा मानी गई 100 मीटर वाली नई परिभाषा को वापस नहीं लिया जाता और अरावली को स्थायी कानूनी सुरक्षा नहीं मिलती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। किसान, मजदूर और सामाजिक संगठनों को जोड़ा गया आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए इसमें पर्यावरण संगठनों के साथ किसान, मजदूर और जनवादी संगठनों को भी शामिल किया गया है। बैठक को फूलचंद ढेवा (भाकपा माले), महेश चौमाल (क्रान्तिकारी मजदूर मोर्चा), बजरंग लाल एडवोकेट (भगतसिंह विचार मंच), पोकर सिंह झाझडिया (संयोजक, क्रान्तिकारी किसान यूनियन), मदन यादव और बजरंग लाल बराला (किसान सभा), ओमप्रकाश सेवदा (भारत मुक्ति मोर्चा), इमरान बडगुजर और लियाकत अली (मुस्लिम न्याय मंच) ने संबोधित किया। बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक रहे मौजूद बैठक में भंवरलाल महरिया, सहदेव कसवां, फूलचंद बुडानिया, भगतसिंह कालेर, दयाचंद चाहर, बालाराम मेघवाल, लीलाधर डिगरवाल, पितराम कालेर, किशनलाल नायक, रामनारायण झाझडिया, त्रिलोक सिंह, बाबूलालजी थालौर, विजय सिंह मेघवाल और अशोक मांजू सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहे।