फोर लेन ग्रीन एक्सप्रेस-वे:नए साल में शुरू होगा काम; कोटपूतली से किशनगढ़ 2 घंटे में पहुुंचेंगे, 90 मिनट बचेंगे
कोटपूतली से किशनगढ़ तक प्रस्तावित फोर लेन ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का काम नए साल में शुरू हो जाएगा। यह कोटपूतली-बहरोड़, सीकर, जयपुर, अजमेर जिले से होकर गुजरेगा। 6000 करोड़ से बनने वाले 208 किमी लंबे एक्सप्रेस-वे का रोड मैप पहली बार दैनिक भास्कर बता रहा है। इस पर 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन चल सकेंगे। यहां स्पीड वॉइलेंस मॉनिटरिंग और इंटेलीजेंस ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी होगा। कोटपूतली से किशनगढ़ पहुंचने में 6 घंटे की बजाय दो घंटे लगेंगे। एक्सप्रेस-वे पर 9 एंट्री-एग्जिट पाॅइंट होंगे। एंट्री-एग्जिट पाॅइंट की आपस में दूरी 25 से 30 किमी होगी। लैंड मार्किंग का काम शुरू हो चुका है। प्रोजेक्ट में 2200 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी। 100 से ज्यादा अंडरपास और फ्लाईओवर बनाए जाएंगे किसानों के आवागमन की सुविधा के लिए एक से दो किमी के बीच एक अंडरपास बनाया जाएगा। नेशनल और स्टेट हाइवे पर फ्लाईओवर बनेंगे। 208 किमी लंबे रूट पर 100 से ज्यादा अंडरपास और फ्लाईओवर बनेंगे। एक्सीडेंट कंट्रोलिंग और सफर का समय कम करने के लिए एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर, थ्री व्हीलर और टू-व्हीलर की एंट्री नहीं होगी। एंट्री पॉइंट पर गाड़ी नंबर स्कैंन होगा। जिस प्वाइंट से एग्जिट होगी, उतनी दूरी का ही टोल कटेगा। किसानों के आवागमन की सुविधा के लिए एक से दो किमी के बीच एक अंडरपास बनाया जाएगा। नेशनल और स्टेट हाइवे पर फ्लाईओवर बनेंगे। 208 किमी लंबे रूट पर 100 से ज्यादा अंडरपास और फ्लाईओवर बनेंगे। एक्सीडेंट कंट्रोलिंग और सफर का समय कम करने के लिए एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर, थ्री व्हीलर और टू-व्हीलर की एंट्री नहीं होगी। एंट्री पॉइंट पर गाड़ी नंबर स्कैंन होगा। जिस प्वाइंट से एग्जिट होगी, उतनी दूरी का ही टोल कटेगा।
कोटपूतली से किशनगढ़ तक प्रस्तावित फोर लेन ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे का काम नए साल में शुरू हो जाएगा। यह कोटपूतली-बहरोड़, सीकर, जयपुर, अजमेर जिले से होकर गुजरेगा। 6000 करोड़ से बनने वाले 208 किमी लंबे एक्सप्रेस-वे का रोड मैप पहली बार दैनिक भास्कर बता र
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कोटपूतली से किशनगढ़ पहुंचने में 6 घंटे की बजाय दो घंटे लगेंगे। एक्सप्रेस-वे पर 9 एंट्री-एग्जिट पाॅइंट होंगे। एंट्री-एग्जिट पाॅइंट की आपस में दूरी 25 से 30 किमी होगी। लैंड मार्किंग का काम शुरू हो चुका है। प्रोजेक्ट में 2200 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी।
100 से ज्यादा अंडरपास और फ्लाईओवर बनाए जाएंगे
किसानों के आवागमन की सुविधा के लिए एक से दो किमी के बीच एक अंडरपास बनाया जाएगा। नेशनल और स्टेट हाइवे पर फ्लाईओवर बनेंगे। 208 किमी लंबे रूट पर 100 से ज्यादा अंडरपास और फ्लाईओवर बनेंगे। एक्सीडेंट कंट्रोलिंग और सफर का समय कम करने के लिए एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर, थ्री व्हीलर और टू-व्हीलर की एंट्री नहीं होगी। एंट्री पॉइंट पर गाड़ी नंबर स्कैंन होगा। जिस प्वाइंट से एग्जिट होगी, उतनी दूरी का ही टोल कटेगा।