कॉटेज रिनोवेशन:जिला अस्पताल में 20 माह पहले कॉटेज कॉम्प्लेक्स का 25 लाख से कराया था रिनोवेशन, अब 8 में से 3 बंद,सीवरेज सिस्टम जाम
जिला अस्पताल में बर्न यूनिट की ओर से संचालित 8 कॉटेज में से 3 बंद हैं। पीडब्ल्यूडी के मार्फत 24.60 लाख रुपए की लागत से मार्च 2024 में कॉटेज रिनोवेशन का कार्य करवाया गया था। अप्रैल 2024 से कॉटेज सुविधा मरीजों के लिए शुरू हुई, लेकिन दो माह बाद जून में ही कॉटेज नंबर 1 व 8 के शौचालय खराब हो गए और इन्हें बंद कर दिया गया। डेढ़ माह पहले कॉटेज नंबर 4 का शौचालय खराब होने के साथ सीवरेज सिस्टम चोक होने से बंद कर दिया गया। अस्पताल प्रशासन को इस दरम्यान करीब साढ़े सात लाख रुपए के राजस्व की हानि हुई। अब 5 कॉटेज होने से मरीज व परिजन परेशान हो रहे हैं। प्रत्येक कॉटेज का एसी लीक, बाथरूम में गीजर भी नहीं मॉडर्न कॉटेज कॉम्प्लेक्स के निर्माण के बाद मरीजों को होटल रूम जैसी सुविधा मिलने के दावे किए गए थे। प्रत्येक कॉटेज में पुरानी दीवारों को छोड़कर सभी को तोड़ा और नया बनाया गया। एसी, दीवान, दो बेड, फॉल सीलिंग, विनाइल फ्लोरिंग, शौचालय, दरवाजे-खिड़कियां बदलने और नए फर्श के कार्य करवाने के साथ मरीजों को आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाने की बात कही गई थी। इसके लिए पीडब्ल्यूडी के मार्फत टेंडर कर कार्य करवाया गया था। संबंधित फर्म ने कार्य में बार-बार देरी की, लेकिन कोई पेनल्टी नहीं लगाई गई। अब हालात यह हैं कि रिनोवेशन के दौरान फर्श बनाया ही नहीं गया। नए फर्श के स्थान पर कारपेट बिछाई गई, जो फट चुकी है। शौचालय में लगे कमोड टूटे हुए हैं और चोक हैं। कॉटेज में दुर्गंध का माहौल बना हुआ है। बाथरूम में गीजर प्वाइंट लगे हैं, लेकिन एक भी कॉटेज में पानी गर्म करने के लिए गीजर नहीं है। 20 महीने पहले हुई नल फिटिंग और टोटियां लीक हैं। सभी कॉटेज के एसी की लगी इंडोर यूनिट से पानी टपक रहा है। दानदाताओं के दिए 4 दीवान में से 3 ही लगे हैं। अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग में बने आठों कॉटेज रोजाना मरीजों से फुल रहते थे और 20 से 25 की वेटिंग चलती थी। प्रत्येक कॉटेज का शुल्क 800 रुपए है। तीन कॉटेज बंद होने से मरीज परेशान हैं। अस्पताल प्रशासन को विकास के लिए मिल रहे फंड का भी नुकसान हो रहा है। जल्दी ही सभी कॉटेज खोले जाएंगे "8 कॉटेज में से 3 बंद हैं। सीवरेज सिस्टम ब्लॉक है। पीडब्ल्यूडी ने ठीक करवाया था, लेकिन दोबारा जाम हो गए। रिनोवेशन के दौरान दोबारा तोड़कर इन्हें ठीक करवाया जाएगा। ठेकेदार को पाबंद कर कॉटेज के कार्य को प्राथमिकता देते हुए जल्द करवाया जाएगा। तीन-चार दिन में मरीजों की सुविधा के लिए सभी कॉटेज खोल दिए जाएंगे।" -डॉ. हनुमानराम चौधरी, अधीक्षक, जिला अस्पताल