200-साल पुरानी टोंक की सुनहरी-कोठी में अब टिकट से एंट्री:छत-दीवारों पर सोने की नक्काशी और बारीक मीनाकारी; अधिकारी बोले- मरम्मत भी करवाएंगे
राजस्थान के टोंक में 200 साल पुरानी 'सुनहरी कोठी' को देखने के लिए अब टैक्स देना होगा। जर्जर हो चुकी कोठी की मरम्मत के लिए राज्य सरकार ने टैक्स लगाया है, जिसके तहत अब पर्यटक 20 रुपए का टिकट लेकर ही इसे देख सकेंगे। दरअसल, टोंक शहर स्थित सोने की कोठी को इसकी दमकती आभा और गोल्डन वर्क के लिए सोने की कोठी कहा जाता है। इसमें सोने की नक्काशी(परत), चमकदार शीशों की कारीगरी और फूलों की बारीक मीनाकारी की गई है, इसके कारण इसे 'शीश महल' और 'सोने की कोठी' के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि कोठी को मरम्मत की जरूरत है। टिकट खरीदकर आने वाले पर्यटकों को यहां निराशा हाथ लगेगी, क्योंकि कोठी की दूसरी मंजिल जर्जर हो चुकी है और उसी में सोने की नक्काशी (परत) है। ऐसे में हादसे की आशंका को देखते हुए पुरातत्व विभाग ने करीब डेढ़ दशक से दूसरी मंजिल पर ताला लगा रखा है। वहीं ग्राउंड फ्लोर में दरारें आ गई है। प्लास्टर उखड़ा हुआ है। फिलहाल इसकी देखरेख का जिम्मा पुरातत्व विभाग के पास है, लेकिन सही देखरेख नहीं होने से इसकी सोने की परत, शीशे और फूलों की बारीकी से की गई चित्रकारी उखड़ने लगी है। इतिहास के जानकार विनोद शर्मा ने बताया कि यह पर्यटन स्थल ऐतिहासिक धरोहर है सरकार को इसके मूल स्वरूप बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए। देखिए- सोने की कोठी की तस्वीरें नवाबी शासक ने करवाया था निर्माण जानकारी के अनुसार- सुनहरी कोठी का निर्माण तत्कालीन नवाबी शासक मोहम्मद इब्राहिम अली खान के शासन काल में हुआ था। शासक मोहम्मद इब्राहिम खान अली सुनहरी कोठी का निर्माण संगीत, नृत्य और कविता पाठ के लिए करवाया था। अभी यह पुरातत्व विभाग के अधीन है। विभाग की ओर से इसकी देखरेख और सुरक्षा के नाम पर एक गार्ड और चतुर्थ श्रेणी की एक महिला कर्मचारी को तैनात किया गया है। नए साल से लगेगा शुल्क पुरातत्व विभाग अजमेर के अधीक्षक नीरज त्रिपाठी ने बताया- सरकार ने प्रदेश के कई पर्यटन स्थलों को देखने के लिए नए साल से शुल्क लगाया है। इसमें टोंक की एक मात्र सुनहरी कोठी पर भी शुल्क लगाया है। प्रति व्यक्ति करीब 20 रुपए का शुल्क नए साल से लगेगा। इसकी मरम्मत करवाने का प्रयास भी किया जा रहा है।