वर्ष 2018 में सरकारी हॉस्पिटल के नर्सरी वार्ड में आग लगी, तब हरप्रीत कौर ने 12 बच्चों की बचाई थी जान
इंदिरा वाटिका के आगे चार साहिबजादों की याद में प्रदर्शनी लगाई, राहगीरों को 2 क्विंटल दूध पिलाने की सेवा दी : इस सम्मान समारोह के बाद इंदिरा वाटिका के आगे चार साहिबजादों की याद में प्रदर्शनी लगाई गई। इस दौरान रंगकर्मी अमरेंद्र सिंह शिल्पी व गुरुद्वारा श्रीगुरु सिंहसभा के सेवादार गुरविंद्र सिंह ने साहिबजादों के बलिदान को नमन करते हुए कहा कि उनका त्याग आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने अल्पायु में दिए गए साहिबजादों के सर्वोच्च बलिदान को भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय बताया, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दौरान राहगीरों को 2 क्विंटल दूध पिलाने की सेवा दी गई। इस अवसर पर महेश पेड़ीवाल, उदयपाल झाझड़िया, श्रवण पारीक, मदनलाल जोशी, मनीराम सेतिया, शंकर दुग्गल, सुरेन्द्र कुमार शर्मा, विजय जोग, दर्शन जलन्धरा, ओम सग्गड़, वेदप्रकाश पाहवा, एमपी सिंह, बबिता कासनिया, अरूण शर्मा, वर्षा, सतपाल चराया आदि शामिल हुए। भास्कर संवाददाता| श्रीगंगानगर साहस, सेवा और समर्पण की जब भी बात होगी, श्रीगंगानगर के इन वीरों का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। अब इन जांबाजों को "वीर बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों का जीवन बचाया। इसलिए आज हमने इस खबर की शुरुआत इन जांबाजों के दो केस से की है, जिसमें बताया कि इन्होंने किस तरह से अपनी जान पर खेलकर मानव जीवन के अलावा वन्य जीवों को बचाया। मौका था तपोवन वरिष्ठजन सेवा समिति की ओर से मंगलवार शाम को श्री गुरु गोबिन्द सिंह के चारों साहिबजादों की याद में तपोवन ब्लड सेंटर के हाल में आयोजित वीर बाल पुरस्कार समारोह का। इस समारोह में ऐसे 25 बहादुरों को दुपट्टा व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस कड़ी में तपोवन ट्रस्ट अध्यक्ष महेश पेड़ीवाल ने इन सभी वीरों को उनकी अदम्य बहादुरी के लिए सम्मानित करते हुए कहा कि यह पुरस्कार न केवल उनकी वीरता का प्रमाण है, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा भी है। इस दौरान सभी ने इन नायकों के जज्बे को सलाम किया, जिन्होंने समाज को सिखाया कि निस्वार्थ सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। बतौर अतिथि नामदेव गुरुद्वारा के प्रधान हरदर्शन सिंह, अमर शहीद बाबा मोतीराम मेहरा कश्यप समाज के प्रधान कालूराम मेहरा व सचिव तारासिंह मेहरा, राजपत्रित कल्याण समिति से हरपाल सिंह मौजूद रहे। साल 2018 में सरकारी अस्पताल के नर्सरी वार्ड में अचानक लगी भीषण आग ने हर तरफ अफरा-तफरी मचा दी थी। उस वक्त वार्ड में धुआं और लपटें इतनी तेज थीं कि सांस लेना भी दूभर था। ऐसे में ड्यूटी पर तैनात नर्सिंग ऑफिसर हरप्रीत कौर ने अपनी जान की परवाह किए बिना अदम्य साहस का परिचय दिया। हरप्रीत ने सूझबूझ दिखाते हुए एक-एक कर 12 नवजात बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। उस वक्त आग की तपिश और जहरीले धुएं के बीच मासूमों को बचाना किसी चमत्कार से कम नहीं था। जीव-जंतुओं के प्रति करुणा और पर्यावरण संरक्षण के 2018 से बसंती चौक निवासी मनजीत सिंह काम कर रहे हैं। वे अब तक 500 से अधिक सांपों के अलावा गो सहित अन्य वन्य जीवों का रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित जंगल में छोड़ चुके हैं। मनजीत का कहना है कि अकसर लोग सांप या जंगली जानवरों को देखकर डर के मारे उन्हें मार देते हैं, लेकिन मनजीत सिंह सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचते हैं और बिना उन्हें नुकसान पहुंचाए कुशलता से पकड़कर नाम मात्र के खर्च पर जंगल में छोड़ देते हैं।