एनसीआरबी की 2023 की रिपोर्ट:राजस्थान में हिरासत से 90 अपराधी फरार, देश में सबसे ज्यादा, इनमें 87 पेशी और जेल से बाहर जाते समय भागे
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों में राजस्थान पुलिस से जुड़ा एक चिंताजनक रिकॉर्ड सामने आया है। वर्ष 2023 में पुलिस हिरासत या जेल से अपराधियों के फरार होने के मामलों में राजस्थान देश में पहले स्थान पर रहा। एनसीआरबी के अनुसार, वर्ष-2023 में राजस्थान में कुल 90 अपराधी पुलिस हिरासत से फरार हुए। इनमें से 87 पेशी या अन्य कारणों से जेल से बाहर ले जाते समय भागे, जबकि 3 अपराधी जेल तोड़कर फरार हुए। हालांकि, इन फरार अपराधियों में से 53 को दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि शेष अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। देशभर में वर्ष 2023 में कुल 833 अपराधी पुलिस हिरासत से फरार हुए, जिनमें से 10.8% अकेले राजस्थान से थे। इस मामले में राजस्थान पहले, महाराष्ट्र दूसरे और मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा। फरार अपराधियों की दोबारा गिरफ्तारी में राजस्थान तीसरे नंबर पर रिपोर्ट के अनुसार, फरार अपराधियों की पुनः गिरफ्तारी में राजस्थान शीर्ष पर नहीं रहा। केरल पहले स्थान पर रहा, जहां 44 फरार अपराधियों में से 43 को फिर से पकड़ लिया। वहां सफलता का कारण नियमित निरीक्षण, डिजिटल मॉनिटरिंग और बेहतर जेल प्रबंधन व्यवस्था को माना गया है। पुलिस लापरवाही पर कार्रवाई बेहद सीमित एनसीआरबी रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में केवल एक मामले में पुलिस लापरवाही का केस दर्ज किया गया, जबकि 11 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई। इनमें से 7 पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी हुई और जनवरी 2024 तक 7 को सजा सुनाई गई। मध्य प्रदेश में 6 मामलों में 19 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। अपराधियों की फरारी के चर्चित मामले सितंबर 2025: जयपुर की जयपुर सेंट्रल जेल से आजीवन कारावास की सजा काट रहे नवल किशोर महावर और अनस कुमार फरार। 26 सितंबर 2025: जोधपुर कोर्ट से 2012 के हमले के मामले में दोषी ठहराए गए 16 आरोपी एक साथ फरार। 6 सितंबर 2019: कुख्यात गैंगस्टर पपला गुर्जर को उसके हथियारबंद साथियों ने अलवर के बहरोड़ थाने से लॉकअप तोड़कर छुड़ा लिया। 3 सितंबर 2015: आनंदपाल को अजमेर जेल ले जाते समय परबतसर के पास उसके साथियों ने पुलिस वैन पर फायरिंग कर छुड़ा लिया। भास्कर एक्सपर्ट- फरार होने से परिवादियों को खतरा राजस्थान में जेल प्रबंधन की गंभीर समीक्षा की आवश्यकता है। हाई-रिस्क आरोपियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा, दीवारों पर बिजली की व्यवस्था, शिफ्टिंग सिस्टम की कमी और खराब सीसीटीवी फरारी की आशंका बढ़ाते हैं। जेलों में ऑटोमेटेड अलार्म सिस्टम, हैंड्स-फ्री बैरियर और डिजिटल निगरानी लागू की जानी चाहिए। अधिकांश फरारी पेशी के दौरान होती है, इसलिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई को बढ़ावा देना जरूरी है। फरार अपराधी कई बार परिवादियों और गवाहों को नुकसान पहुंचाते हैं। -निधि खंडेलवाल, एडवोकेट, हाईकोर्ट