यह हैं तीन बिंदू... जिनमें खराब प्रदर्शन से हम स्वच्छता रैंकिंग में 22 वें नंबर पर पहुंचे, नेशनल रैंकिंग भी 253वीं
भास्कर न्यूज | झालावाड़ स्वच्छता रैंकिंग में झालावाड़ नगरपरिषद को फिर से झटका लगा है। राजस्थान में स्वच्छता रैंकिंग में जिला पिछड़कर 22वें पायदान पर पहुंच गया है। जबकि नेशनल रैकिंग की बात करें तो वह 253वीं आई हैं। पिछले कई सालों से स्वच्छता रैंकिंग में झालावाड़ पिछड़ा हुआ ही है। इसकी रैंक नहीं बढ़ पा रही है। इस बार भी शौचालयों की सफाई, घर-घर कचरा संग्रहण और मौके पर ही कचरे के निस्तारण में झालावाड़ नगरपरिषद फेल हुई है। दरअसल, झालावाड़ नगरपरिषद को पहले पायदान पर लाने के लाख प्रयास किए गए, लेकिन अधिकारियों की निगरानी नहीं होने और अरुचि के चलते जिले की सबसे बड़ी नगरीय निकाय स्वच्छता रैंकिंग मेंे अव्वल नहीं आ पा रही है। यहां पर इंदौर की तर्ज पर इसे पहले नंबर पर लाने के लिए वहां सफाई निरीक्षकों सहित अन्य का प्रशिक्षण भी करवाया गया। इसी के साथ ही रात में सफाई का कार्य भी करवाया गया, लेकिन उसके बाद भी झालावाड़ नगरपरिषद अव्वल नंबर पर नहीं आ पा रही है। 3. मौके पर कचरे का पृथकीकरण नहीं हो रहा, रोज निकलता है 30 टन कचरा झालावाड़ में कचरा निस्तारण के लिए गागरोन रोड पर शेड बना हुआ है, लेकिन यहां पर भी सही तरीके से न तो गीले, सूखे कचरे को अलग अलग किया जा रहा है और न ही कचरे का निस्तारण हो पा रहा है। इसमें भी नगरपरिषद को अंक नहीं मिल पाए हैं। कचरा निस्तारण केंद्र में बार बार कचरा जल रहा है जबकि इस मार्ग से निकलने वाले लोगों को इस कचरे की सड़ांध दूर दूर तक आती है। झालावाड़ शहर से हर दिन 30 टन कचरा निकलता है जो टनों में यहां पर सड़ांध मार रहा है। ^नगरपरिषद झालावाड़ को अव्वल लाने के प्रयास पूरी तरह से होंगे। इसके लिए अभी से ही तैयारियां की जा रही हैं। पिछले साल से तो फिर भी यहां का परफार्मेंस काफी अच्छा है। - नरेंद्र मीणा, आयुक्त नगरपरिषद झालावाड़ 1. शौचालयों की सफाई व्यवस्था खराब झालावाड़ नगरपरिषद में सफाई सर्वे के लिए आई टीम ने जब निरीक्षण किया तो पता चला कि यहां पर सार्वजनिक शौचालयों की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ी हुई है। इसी के चलते इसके अंक नहीं मिल पाए और स्वच्छता रैकिंग में झालावाड़ नगरपरिषद पिछड़ गई। 2. शहर में घर-घर कचरा संग्रहण का काम भी 50 प्रतिशत ही हो पा रहा झालावाड़ नगरपरिषद के माध्यम से शुरू हुए घर-घर कचरा संग्रहण का काम भी 50 फीसदी ही हो रहा है। जबकि 50 फीसदी घरों से तो कचरा ही नहीं उठाया जा रहा है। नगरपरिषद की गाडियां आधे शहर में तो पहुंच ही नहीं पा रही हैं। इसी के चलते घर-घर कचरा संग्रहण में भी नगरपरिषद को मार्क्स नहीं मिल पाए हैं। यही बड़ा कारण रहा कि नगरपरिषद झालावाड़ घर घर कचरा संग्रहण में पिछड़ गया।