पहाड़ काटकर जोधपुर-उदयपुर रेलवे लाइन के लिए बनाएंगे रास्ता:250 किमी घट जाएगी दूरी, जीएम बोले- रेल मंत्री के हस्तक्षेप के बाद शुरू हुआ सर्वे
जोधपुर और उदयपुर शहर को एक बार फिर रेल लाइन से जुड़ने की उम्मीद जगी है। प्रोजेक्ट पूरा होने पर दोनों शहरों के बीच की दूरी 250 किमी कम हो जाएगी। उत्तर पश्चिम रेलवे (NWR) के महाप्रबंधक अमिताभ शनिवार को जोधपुर पहुंचे। उन्होंने कहा कि रेल लाइन के लिए एक बार फिर सर्वे शुरू किया गया है। महाप्रबंधक ने कहा- रेलवे ने जोधपुर-उदयपुर कनेक्टिविटी को लेकर नए स्तर पर काम शुरू किया है। इसके तहत मारवाड़ जंक्शन से नाथद्वारा के बीच मौजूद पुराने मीटर गेज रूट को ब्रॉड गेज में बदलने के लिए सर्वे किया जा रहा है। इससे पहले पहाड़ी क्षेत्र और वन विभाग की आपत्तियों के कारण इस प्रोजेक्ट को बीच में ही छोड़ दिया गया था। बताया जा रहा है कि पहाड़ काटकर रेलवे लाइन के लिए रास्ता बनाया जाएगा। महाप्रबंधक के मुताबिक अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के हस्तक्षेप के बाद इसे फिर से शुरू किया गया है। यदि यह लाइन जुड़ती है, तो जोधपुर-उदयपुर के बीच की दूरी करीब ढाई सौ किमी कम हो जाएगी। जो पर्यटन और व्यापार के लिए गेम-चेंजर साबित होगी। भगत की कोठी में बनेगा एक नया कोचिंग टर्मिनल जीएम ने बताया- रेलवे बोर्ड ने अगले 5 साल में देश के 48 प्रमुख स्टेशनों की क्षमता दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें जयपुर के साथ जोधपुर भी शामिल है। जोधपुर शहर के बीचों-बीच से गुजरने वाली माल गाड़ियों के कारण यात्री ट्रेनों पर प्रतिकूल असर अब बीते जमाने की बात होने वाली है। भगत की कोठी (BGKT) में 450 करोड़ रुपए की लागत से एक नया कोचिंग टर्मिनल बनेगा। वहीं, जोधपुर-उदयपुर कनेक्टिविटी को लेकर भी रेलवे ने नए स्तर पर कवायद शुरू की है। मालगाड़ियों का रूट होगा डायवर्ट, खत्म होगी समस्या महाप्रबंधक ने स्वीकार किया कि वर्तमान में BGKT-जोधपुर रूट से कई माल गाड़ियां गुजरती हैं। इस वजह से यात्री ट्रेनों के यातायात पर भी असर पड़ता है और उन्हें सिग्नल के लिए इंतजार करना पड़ता है। इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए जोधपुर को बाईपास करने वाली नई लाइन की योजना बनाई गई है। फिलहाल इस लाइन के अलाइनमेंट और तकनीकी पहलुओं पर अध्ययन चल रहा है। बाईपास लाइन बनने के बाद माल गाड़ियां शहर के मुख्य स्टेशन पर आए बिना बाहर से ही निकल जाएंगी। इससे जोधपुर स्टेशन पर दबाव कम होगा और मुख्य फोकस यात्री सुविधाओं पर रहेगा। भगत की कोठी: 450 करोड़ का टर्मिनल और नई ट्रेनों की उम्मीद अभी जोधपुर से नई ट्रेनें चलाने में सबसे बड़ी बाधा 'रखरखाव सुविधाओं' की कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए भगत की कोठी में करीब 400 से 450 करोड़ रुपए की लागत से मॉडर्न 'कोचिंग टर्मिनल' बनाने का प्रस्ताव रेलवे बोर्ड को भेजा गया है। महाप्रबंधक ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की प्रारंभिक बैठक हो चुकी है। यह टर्मिनल सिर्फ पार्किंग नहीं, बल्कि ट्रेनों के रखरखाव, स्टेबलिंग और ऑपरेशन का केंद्र होगा। इसके बनने से जोधपुर, जैसलमेर और बाड़मेर जैसे सरहदी इलाकों से दक्षिण भारत और अन्य रूटों के लिए नई ट्रेनें चलाना संभव हो सकेगा। भगत की कोठी में बन रहा वंदे भारत मेंटेनेंस डिपो सामान्य नहीं है। जीएम ने बताया कि यह पूरे भारत का पहला ऐसा ट्रेन सेट डिपो है, जो वैश्विक मानकों पर टेक्नोलॉजी पार्टनर के सहयोग से बन रहा है। प्लेटफॉर्म 7 और तीसरी लाइन: ऐसे बढ़ेगी क्षमता 'विजन 2030' के तहत जोधपुर स्टेशन की ट्रैफिक हैंडलिंग क्षमता को 100% बढ़ाया जाएगा। साल 2030 तक जोधपुर स्टेशन पर प्लेटफॉर्म नंबर 6 के साथ-साथ एक नया प्लेटफॉर्म नंबर 7 भी बनकर तैयार होगा। हालांकि, प्लेटफॉर्म 7 'फुल लेंथ' नहीं होगा, लेकिन वहां से छोटी गाड़ियों का संचालन कर मुख्य प्लेटफॉर्म्स का भार कम किया जा सकेगा। इसके अलावा, जोधपुर और भगत की कोठी के बीच 'तीसरी लाइन' का काम भी 2030 तक पूरा हो जाएगा। इन प्रोजेक्ट्स के पूरा होने पर यार्ड की क्षमता और रेक टर्नअराउंड टाइम में भी सुधार होगा।



