राजपुरोहित समाज का कमलेश मेटाकास्ट खनन विरोध को समर्थन:28 जनवरी के आंदोलन में 36 कौम के साथ खड़े रहने का संकल्प
सिरोही की पिण्डवाड़ा तहसील क्षेत्र में प्रस्तावित कमलेश मेटा कास्ट खनन परियोजना के विरोध में सामाजिक समर्थन बढ़ रहा है। इसी क्रम में राजपुरोहित समाज ने 28 जनवरी 2026 को प्रस्तावित आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है। यह ऐलान राजपुरोहित समाज के रोई भीतरोट परगना द्वारा किया गया। यह महत्वपूर्ण निर्णय भारजा गांव में आयोजित एक सामाजिक बैठक में लिया गया। बैठक में समाज के वरिष्ठजनों, प्रबुद्ध नागरिकों और युवा प्रतिनिधियों की मौजूदगी में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें कहा गया कि राजपुरोहित समाज खनन परियोजना के विरोध में आंदोलन का समर्थन करेगा। बैठक में यह भी तय किया गया कि राजपुरोहित समाज खनन परियोजना को रद्द करवाने की मांग को लेकर चार ग्राम पंचायतों के 12 गांवों से हर संभव सहयोग और समर्थन देगा। समाज ने स्पष्ट किया कि यह सहयोग केवल प्रतीकात्मक नहीं होगा, बल्कि आंदोलन के हर चरण में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। राजपुरोहित समाज ने घोषणा की है कि वह इस संघर्ष में 36 कौम के सर्व समाज के साथ एकजुटता से खड़ा रहेगा। समाज के प्रतिनिधियों ने बताया कि यह मुद्दा केवल किसी एक समाज या क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि जनहित, पर्यावरण और भविष्य की पीढ़ियों से संबंधित है। बैठक में समाज की ओर से यह संदेश दिया गया कि "36 कौम की पीड़ा हमारी पीड़ा है।" समाज ने कहा कि वे किसी भी समाज के साथ अन्याय नहीं होने देंगे और गलत के खिलाफ तथा सत्य के समर्थन में पूरी ताकत से साथ देंगे। समाज ने बताया कि प्रस्तावित खनन परियोजना से क्षेत्र की कृषि, जलस्रोतों, पर्यावरण और ग्रामीण जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। इस कारण समाज इसका विरोध कर रहा है। आंदोलन को मिलेगा सामाजिक बल राजपुरोहित समाज के इस फैसले से खनन विरोधी आंदोलन को नया सामाजिक बल मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभिन्न समाजों के एकजुट होने से आंदोलन और अधिक प्रभावी होगा तथा प्रशासन और सरकार तक जनता की आवाज मजबूती से पहुंचेगी।
सिरोही की पिण्डवाड़ा तहसील क्षेत्र में प्रस्तावित कमलेश मेटा कास्ट खनन परियोजना के विरोध को राजपुरोहित समाज का समर्थन मिला।