प्रदेश में बाड़मेर सबसे गर्म जिलों में, सुबह-रात ठंड:दिन का तापमान 28.8 डिग्री, नए साल के साथ बढ़ेगी सर्दी
रेगिस्तानी बाड़मेर में मौसम का मिजाज लगातार बदलता जा रहा है। प्रदेश में दूसरा सर्वाधिक तापमान बाड़मेर में दर्ज किया गया है। दिसंबर माह खत्म होने वाला है लेकिन इस बार सर्दी का असर कम देखने को मिल रहा है। आमतौर पर इन दिनों में कड़ाके की सर्दी और शीतलहर का प्रकोप रहता है। शनिवार को अधिकतम तापमान 28.8 डिग्री दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने नए साल के साथ सर्दी बढ़ने की संभावना जताई है। दरअसल, तापमान बढ़ने से दिन में सर्दी पूरी तरह गायब हो चुकी है और अब रात के पारे में भी गिरावट नहीं होने से ठंड का असर कम हो गया है। डॉक्टरों का कहना है कि इस मौसम में मौसमी बीमारियों, वायरल बुखार और गले के संक्रमण के मरीज बढ़ रहे हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को सावधानी बरतने की जरूरत है। तापमान में विशेष परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। दिसंबर की इस गर्मी से रबी की फसलों, खासकर जीरा, गेहूं व ईसबगोल के लिए बेहद नुकसानदायक है। रबी की फसलों को पकने और दाना बनने के लिए सर्दी की जरूरत होती है। तापमान बढ़ने से फसल समय से पहले पक सकती है, जिससे दाना छोटा रहने की संभावना है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार बाड़मेर का 28.8 डिग्री तापमान दर्ज किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान 13.1 डिग्री दर्ज किया गया। न्यूनतम तापमान में सबसे अधिक फलौदी का 13.2 डिग्री है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार आगामी चार दिन तक जिले में मौसम शुष्क रहेगा। नए साल के साथ कड़ाके की ठंड और शीतलहर चलने की संभावना है।
रेगिस्तानी बाड़मेर में मौसम का मिजाज लगातार बदलता जा रहा है। प्रदेश में दूसरा सर्वाधिक तापमान बाड़मेर में दर्ज किया गया है। दिसंबर माह खत्म होने वाला है लेकिन इस बार सर्दी का असर कम देखने को मिल रहा है। आमतौर पर इन दिनों में कड़ाके की सर्दी और शीतलहर का
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दरअसल, तापमान बढ़ने से दिन में सर्दी पूरी तरह गायब हो चुकी है और अब रात के पारे में भी गिरावट नहीं होने से ठंड का असर कम हो गया है। डॉक्टरों का कहना है कि इस मौसम में मौसमी बीमारियों, वायरल बुखार और गले के संक्रमण के मरीज बढ़ रहे हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को सावधानी बरतने की जरूरत है।

सुबह के समय रहता है हल्का कोहरा।
तापमान में विशेष परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है। दिसंबर की इस गर्मी से रबी की फसलों, खासकर जीरा, गेहूं व ईसबगोल के लिए बेहद नुकसानदायक है। रबी की फसलों को पकने और दाना बनने के लिए सर्दी की जरूरत होती है। तापमान बढ़ने से फसल समय से पहले पक सकती है, जिससे दाना छोटा रहने की संभावना है।