राजस्थान में 3 MLA की जा सकती है विधायकी?:कमीशन लेते-मांगते के वीडियो सबूत; जानिए- क्या पेंशन से भी हाथ धोना पड़ सकता है?
राजस्थान में 3 विधायकों का कमीशन लेकर MLA फंड से काम करवाने का मामला ठंडा नहीं हो रहा है। खींवसर से बीजेपी विधायक रेवंतराम डांगा, हिंडौन से कांग्रेस विधायक अनीता जाटव और बयाना से निर्दलीय विधायक डॉ. ऋतु बनावत अपने कमीशन की डील करते हुए भास्कर के स्टिंग ऑपरेशन के तहत कैमरे में कैद हुए थे। अब सभी की निगाहें इस मामले में राजस्थान विधानसभा की सदाचार समिति के रिपोर्ट और उसके बाद होने वाले एक्शन पर टिकी हैं। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने मामले की जांच राजस्थान विधानसभा की सदाचार समिति को जांच सौंप दी थी। अब सदाचार समिति की रिपोर्ट का इंतजार है। इसी के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष कोई फैसला करेंगे। सवाल यह है कि यदि सदाचार समिति की रिपोर्ट में तीनों विधायक दोषी पाए जाते हैं, तो विधायकी जा सकती है? विधानसभा अध्यक्ष किस तरह की कार्रवाई कर सकते हैं? क्या पेंशन से भी हाथ धोना पड़ सकता है? क्या विधायक कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं? भास्कर ने विधायी कार्यों के एक्सपर्ट शांतिलाल चपलोत (पूर्व विधानसभा अध्यक्ष) से ऐसे ही कई सवालों के जवाब जाने... भास्कर : कमीशन लेते-मांगते वीडियो में रिकॉर्ड हुए 3 एमएलए से जुड़ा मामला आपने देखा? एक्सपर्ट : हां देखा। मामला बहुत गंभीर लग रहा है। रंगे हाथों पकड़े जाने जैसा। नोटों की गड्डियां लेते दिख रहे हैं। एमएलए कमीशन लेने के लिए या भ्रष्ट आचरण के लिए थोड़े ही चुने गए हैं। नेता खुद ऐसे काम करे, तो दूसरों को क्या रास्ता बताएगा। समाज में जनप्रतिनिधियों का मान-सम्मान इसी कारण कम हो रहा है, क्योंकि जनप्रतिनिधियों को जो काम नहीं करने चाहिए, वे करते जा रहे हैं। जनता के लिए जो ईमानदारी के साथ काम करने चाहिए, वह वे कर नहीं रहे। या फिर, ये लोग जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे। भास्कर : सदाचार समिति कैसे इस मामले की पड़ताल करेगी? इसके क्या अधिकार हैं? एक्सपर्ट : राजस्थान विधानसभा की याचिका एवं सदाचार समिति जनता की शिकायतों और विधायकों के आचरण से जुड़े मामलों की जांच करती है। जैसे विधानसभा सदस्यों के कदाचार, आचार संहिता के उल्लंघन या नैतिक दुर्व्यवहार की जांच करना। यदि किसी विधायक का आचरण गड़बड़ है, तो विधानसभा अध्यक्ष अपने स्तर पर कोई फैसला लेने से पहले मामले को जांच के लिए सदाचार समिति को सौंप देता है। समिति नोटिस जारी कर संबंधित विधायकों को सफाई या बयान देने का मौका देती है। उनसे उनके पक्ष के सबूत भी लिए जाते हैं। मतलब, कोर्ट के जैसे ही संबंधित विधायकों को बचाव का पूरा मौका दिया जाता है। समिति मामले से जुड़े बाहरी व्यक्तियों को भी तलब करती है। समिति सबूत जुटाती है और गवाहों से पूछताछ करती है। सबूत और विधायकों की सफाई के आधार पर समिति अपने स्तर पर जांच करने के बाद सभी पहलुओं को देखते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार करती है। रिपोर्ट में बताया जाता है कि मामला बनता भी है या नहीं। रिपोर्ट में आगे की कार्रवाई के लिए सिफारिशें भी होती हैं। फिर, रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी जाती है। इसके बाद सदाचार समिति की रिपोर्ट पर विधानसभा अध्यक्ष निर्णय करता है। भास्कर : यदि सदाचार समिति की जांच में ये MLA दोषी पाए जाते हैं तो विधानसभा अध्यक्ष को किस तरह के एक्शन लेने का अधिकार है? एक्सपर्ट्स : सबूत पुख्ता हों और सदाचार समिति संबंधित विधायक की सफाई से संतुष्ट नहीं होती, तो वह अपनी रिपोर्ट में तथ्यों का हवाला देते हुए दोष सिद्ध होने की बात अपनी रिपोर्ट में लिखती है। विधानसभा अध्यक्ष उस रिपोर्ट के आधार पर फैसला करता है। यदि छोटे-मोटे कदाचार हों तो सदन में संबंधित विधायकों के लिए निंदा प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। कुछ बड़ा मामला हो तो संबंधित दोषी विधायक को निलंबित किया जा सकता है। लेकिन अपराध संगीन हो, तो संबंधित विधायक के कदाचार की भर्त्सना या निलंबन जैसी दंडात्मक कार्रवाई भी कर सकता है। विधानसभा अध्यक्ष का फैसला ही अंतिम फैसला होता है। भास्कर : क्या विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से उनकी विधायकी भी जा सकती है? एक्सपर्ट : हां, जा सकती है। यदि सदाचार समिति की रिपोर्ट में अपराध सिद्ध होने की बात होती है, तो विधानसभा अध्यक्ष संबंधित विधायक की विधायकी तक छीन सकता है। मतलब, विधायक को पद से हटा सकता है। अध्यक्ष का पद से हटाए जाने का फैसला आते ही, संबंधित विधायक की विधायकी चली जाएगी। विधानसभा अध्यक्ष संबंधित एजेंसी (सीआईडी-सीबी) को एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच के लिए भी निर्देश दे सकता है। भास्कर : पहली बार के एमएलए हैं, क्या उनकी पेंशन भी विधानसभा अध्यक्ष अपने फैसले से रोक सकते हैं? एक्सपर्ट : बिलकुल। संविधान में विधानसभा अध्यक्ष को काफी बड़े अधिकार दिए गए हैं। विधानसभा में वह सुप्रीम पावर होता है और वह पद से हटाने के साथ पेंशन तक रोके जाने का सख्त फैसला भी सुना सकता है। डांगा, जाटव या बनावत पहली बार विधायक बने हैं। विधानसभा अध्यक्ष यदि इन्हें पद से हटाते हुए इनकी पेंशन रद्द करने के आदेश दे देता है, तो संबंधित विधायकों को पेंशन तक से हाथ धोना पड़ सकता है। भास्कर : क्या MLA विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं? एक्सपर्ट : विधानसभा अध्यक्ष सदन में सर्वेसर्वा होता है। आम तौर पर देखें, तो अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ कोई भी एमएलए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। लेकिन ये कमीशन लेने और मांगने वाला संगीन मामला है, जो वीडियो में रिकॉर्ड हो चुका है। ऐसे मामलों के लिए कोर्ट की राह भी आसान नहीं होती। यदि विधानसभा अध्यक्ष इन तीनों एमएलए के खिलाफ विधायक पद से हटाए जाने जैसा कोई सख्त फैसला दे देते हैं, तो सदस्यता तो तत्काल चली जाएगी। मामले को लंबा खींचने के मंशा से एमएलए अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ अपनी याचिका हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लगा सकते हैं। कोर्ट संबंधित एमएलए की याचिका की जांच करेगा। जब सबूत पुख्ता हों, तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट अपने विवेक से सुनवाई नहीं करने का फैसला कर सकते हैं। एमएलए का संगीन अपराध, जिसके पुख्ता सबूत हों, ऐसे मामलों में अदालतों के सुनवाई करने से मना करने के चांसेस ज्यादा रहते हैं। कुल मिलाकर विधायक कोर्ट जा तो सकते हैं, लेकिन सफलता नहीं मिल सकती। भास्कर : आमतौर पर सदाचार समिति की जांच रफ्तार काफी धीमी रहती है और आरोपी MLA अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं? एक्सपर्ट : हां। आमजन के बीच ये यह परसेप्शन बना हुआ है कि दोषी प्रभावशाली व्यक्ति के खिलाफ जांच की रफ्तार काफी धीमी होती है। इसमें एमएलए भी शामिल हैं। कानून ही ऐसा है कि जिसके आरोप कैमरे में कैद हो गए हों, उसे भी अपने बचाव का भरपूर समय मिलता है। सदाचार समिति को मामले को जल्दी निपटाने के लिए गंभीरता से सोचना चाहिए। यदि ऐसे विधायकों की विधायकी जाती हो तो जाए। यदि ऐसे मामलों का निपटारा महीने भर में हो जाए, तो बेहतर रहेगा। वीडियो सहयोग- मुकेश हिंगड़, उदयपुर --- विधायकों के कमीशन मांगने वाली यह खबर भी पढ़िए... राजस्थान- 3 विधायक कमीशन की डील करते कैमरे में कैद:कांग्रेस की अनीता ने 50,000 लिए, बीजेपी के डांगा बोले-40% दो; निर्दलीय ऋतु से 40 लाख की डील विधायक निधि में भ्रष्टाचार पर भास्कर पहली बार अब तक का सबसे बड़ा खुलासा कर रहा है। इसमें विकास कार्यों की अनुशंसा करने के नाम पर विधायक 40% कमीशन ले रहे हैं। इसे उजागर करने के लिए भास्कर रिपोर्टर ने एक डमी फर्म का प्रोपराइटर बनकर विधायकों से संपर्क किया...(CLICK कर पढ़ें)