जल परामर्शदात्री समिति की बैठक आज:4 जनवरी से 3 में से एक और उसके बाद चार में से दो बारी मिलने लायक पानी
इंदिरा गांधी नहर के किसानों की चार समूह की बारी 4 जनवरी को खत्म हो रही है। अब नहर विभाग को नई बारियां तय करनी हैं। इसके लिए मंगलवार को हनुमानगढ़ जोन की जल परामर्शदात्री समिति की बैठक में निर्णय होगा। फिलहाल जो पानी के हालात हैं, उसके हिसाब से किसानों को जनवरी में 3 समूह की एक और उसके बाद चार समूह की एक बारी पानी मिलने की आस है। जनवरी के पहले सप्ताह में मौसम विभाग ने मावठ के आसार जताए हैं। दरअसल मौसम विभाग ने 31 दिसंबर से एक पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के संकेत दिए हैं। इससे बीकानेर, जोधपुर, अजमेर और शेखावाटी क्षेत्र में मावठ होने के आसार हैं। सिंचाई की एक बारी पानी और थोड़ी सी मावठ बराबर सा असर दिखाती है। पोंग डेम में 1360 फीट के आसपास पानी है, मगर उसमें राजस्थान की हिस्सेदारी अब बराबर की नहीं बची। पानी की आवक 3361 क्यूसेक है, जबकि निकासी 9300 के आसपास है। सिर्फ सिंचाई ही नहीं, मार्च से जुलाई तक पीने का पानी भी नहर से ही लेना है। ऐसे में नहर प्रशासन कोशिश कर रहा है कि अभी सर्दी है, पानी की खपत कम है। ऊपर से मावठ के भी आसार हैं, तो अभी 3 समूह की एक बारी किसानों को दे दी जाए। जब फरवरी करीब होगी और तापमान बढ़ेगा, तब सिंचाई की ज्यादा जरूरत होगी, तो उस वक्त चार समूह की बारी में पानी दिया जाए। इसी कार्ययोजना पर नहर प्रशासन काम कर रहा है, मगर निर्णय मंगलवार को होने वाली जल परामर्शदात्री समिति की बैठक में होना है। इसमें तमाम विधायक भी सदस्य होते हैं। जो सत्ताधारी दल के विधायक हैं, उन पर ज्यादा दबाव है क्योंकि किसानों ने पहले ही अपना पत्ता फेंक दिया है कि उन्हें चार समूह की ही बारी चाहिए। सूत्र बताते हैं कि अगर जनवरी में चार समूह की बारी में पानी मिला तो फरवरी में 3 समूह की बारी हो जाएगी। बीकानेर से दो विधायक हनुमानगढ़ और एक जैसलमेर के सदस्य नहर विभाग में दो जल परामर्शदात्री समितियां हैं। एक हनुमानगढ़ और दूसरी जैसलमेर। हनुमानगढ़ वाली प्रथम स्टेज की है, जिसमें बीकानेर के खाजूवाला और लूणकरणसर विधायक सदस्य होते हैं। जैसलमेर वाली समिति में कोलायत विधायक सदस्य होते हैं। निर्णय अमूमन वही मान्य होता है, जो हनुमानगढ़ समिति करती है, क्योंकि पंजाब से लाइजनिंग का काम हनुमानगढ़ का ही होता है। ऐसे में मंगलवार को बीकानेर के दो विधायक सदस्य बनकर जाएंगे, जिसमें लूणकरणसर विधायक कैबिनेट मंत्री भी हैं। पंजाब से सहयोग की आस कम पंजाब से इस वक्त पानी के मामले में सहयोग की संभावना कम है। इसकी दो प्रमुख वजहें हैं। पहली वजह यह है कि पंजाब और राजस्थान में अलग-अलग पार्टियों की सरकारें हैं। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है, जो बिल्कुल नहीं चाहेगी कि राजस्थान की भाजपा सरकार आसानी से किसानों को खुश करे, क्योंकि पानी का ज्यादातर मामला पंजाब पर निर्भर है। बीबीएमबी तो एक संस्था बनकर रह गई है। वह निर्णायक भूमिका में इसलिए नहीं आती, क्योंकि बीबीएमबी में भी पंजाब का बोलबाला है। फरवरी में गेहूं की फसल को पानी चाहिए फरवरी तक अमूमन सरसों, चना समेत अन्य फसलें पक चुकी होती हैं या पकाव पर होती हैं। फरवरी में ज्यादातर गेहूं और जौ को पानी चाहिए होता है। गेहूं को न्यूनतम 7 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है। खाजूवाला बेल्ट में हनुमानगढ़ जोन का असर है, इसलिए यहां किसान गेहूं की बुवाई करते हैं। इसलिए खाजूवाला से दबाव है कि चार समूह की सिंचाई मिले। "मैं किसानों की मांगों से सहमत हूं। हनुमानगढ़ चीफ इंजीनियर, जयपुर चीफ इंजीनियर और पंजाब में चीफ इंजीनियर से बात कर चुका हूं। मैंने अपना पक्ष मीटिंग से पहले रख दिया है। अब मंगलवार को देखते हैं क्या निर्णय होता है।" -डॉ. विश्वनाथ मेघवाल, विधायक खाजूवाला